अजय सेतिया / मनीषा की हत्या के आरोपी संदीप सिंह ने हाथरस पुलिस को अलीगढ़ जेल से भेजी अपनी चिट्ठी में लिखा है कि –“ मैं और मनीषा दोस्त थे और फोन पर बात करने के अलावा कभी कभी मिलते भी थे | उस के परिवार को उनकी दोस्ती पसंद नहीं थी | घटना वाले दिन, मैं उससे खेतों में मिलने गया था, जहां उसकी मां और भाई भी थे | उसने मुझसे घर जाने को कहा तो मैं वापस चला आया | और जानवरों को चारा खिलाने लगा | “ उसने आगे लिखा है, “ मुझे बाद में गांव वालों से पता चला कि उसकी मां और भाई ने हमारी दोस्ती की वजह से उसकी पिटाई की और उसे बुरी तरह घायल कर दिया है | मैंने कभी उसे मारा नहीं था, न ही उसके साथ कुछ गलत किया था | उसके परिवार ने मुझे और तीन अन्य पर आरोप लगाकर हमें जेल भिजवा दिया | हम सभी निर्दोष हैं | हमारा आग्रह है कि इसकी जांच की जाए और हमें न्याय दिलाया जाए |”
अलीगढ़ जेल के सीनियर सुपरिटेंडेंट आलोक सिंह ने यह नियमानुसार यह चिठ्ठी हाथरस के एसपी को भेजी है | अब अगला आरोप यह आएगा कि जेल का सुपरिटेंडेंट भी ठाकुर है , इस लिए उस ने चारों ठाकुर आरोपियों से यह चिठ्ठी लिखवाई है | लेकिन संदीप सिंह और उस के अन्य तीन साथियों ने चिठ्ठी में जो लिखा है , उस की आशंका तो पहले से ही प्रकट की जा रही थी , इसी लिए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने मृतका के घर वालों , आरोपियों और पुलिस वालों के नारको टेस्ट करवाने की बात कही थी | नारको टेस्ट का जिक्र आते ही राहुल , प्रियंका , अन्य विपक्षी नेताओं , दलित आन्दोलनकारियों, महिला अधिकार आन्दोलनकारियों और मौके का फायदा उठा कर हिन्दुओ में फूट डालने की कोशिश कर रहे मुस्लिम अलगाववादियों ने नारको टेस्ट का विरोध करना शुरू कर दिया |
सुप्रीमकोर्ट के एक फैसले को दलील के तौर पर पेश किया जा रहा है कि नारको टेस्ट सिर्फ आरोपियों का हो सकता है, वह भी उन की सहमती से | सुप्रीमकोर्ट का ऐसा कोई फैसला नहीं है , जहां सिर्फ आरोपियों का नारको टेस्ट किए जाने की बात कही गई हो | जब शक पैदा हो रहा हो कि आरोप लगाने वाला ही झूठ बोल रहा है तो उस का नारको टेस्ट क्यों नहीं होना चाहिए | झूठे आरोपों के चलते बेगुनाह फंसते रहे हैं , इसलिए अब अनेक कानूनों में झूठे आरोप लगाने वालों को भी सजा का प्रावधान रखा जाता है , यह प्रावधान आरोप लगाने वालों के नारको टेस्ट का रास्ता खोलता है | पीड़िता के पिता ने संदीप सिंह की ओर से चिठ्ठी में लगाए गए आरोपों से इनकार किया है | एक तरफ़ा रिपोर्टिंग करने वाले न्यूज चेनल एनडीटीवी से बातचीत में मृतका के पिता ने कहा, “ मैंने अपनी बेटी खो दी है | वो हम पर कीचड़ उछाल रहे हैं | हम इससे डरते नहीं हैं | आरोप पूरी तरह से गलत हैं | हमें किसी तरह का कोई मुआवजा या फिर पैसा नहीं चाहिए, हमें न्याय चाहिए | “
चलिए उन्होंने मान लिया कि संदीप सिंह ने उन पर झूठे आरोप लगाए हैं , तो अब उन की पत्नी और बेटी आरोपी हैं , आरोप उन पर हैं कि उन दोनों ने लडकी को मारा | इस लिए उब उन्हें नारको टेस्ट से भागना नहीं चाहिए | अगर वे प्रियंका, राहुल, दलित-मुस्लिम आन्दोलनकारियों के उकसावे पर नारको टेस्ट से इनकार करते हैं तो शक की सुई उन्हीं पर खडी होगी और लोग संदीप सिंह की कहानी पर विशवास करने को बाध्य होंगें, जो गलत भी हो सकती है , इस कहानी को पंक्चर करने के लिए मृतका की मां और भाई को नारको टेस्ट के लिए खुद ही सामने आना चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए और मुकद्दमा सही दिशा में आगे बढ़े |
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