महाराष्ट्र में सत्ता समीकरण बदलेंगे

Publsihed: 03.Dec.2021, 18:09

अजय सेतिया / बंगाल का चुनाव जीतने के बाद से ममता बेनर्जी ने कांग्रेस मुक्त भारत का मोदी का एजेंडा थाम लिया है | याद होगा उन के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने चुनाव नतीजों के तुरंत बाद शरद पवार , अमरेन्द्र सिंह और मेघालय में कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकुल संगमा से मुलाक़ात की थी | अमरेन्द्र सिंह ने अलग पार्टी बना कर पंजाब में कांग्रेस को चुनौती दे दी है | वह सोनिया राहुल कोसबक सिखाने और नरेंद्र मोदी के हाथ मजबूत करने के लिए किसान आन्दोलन को नाकाम कने में लगे हुए हैं | मुकुल संगमा कांग्रेस के 17 में से 12 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और मेघालय में कांग्रेस को तीसरे नम्बर की पार्टी बना चुके हैं | मेघालय में रातो-रात कांग्रेस की लुटिया डुबोने की सारी रणनीति प्रशांत किशोर ने मुकुल संगमा के साथ बनाई थी |

अब ममता बनर्जी ने कांग्रेस को कमजोर करने के लिए यूपीए के घटक दलों से बातचीत शुरू कर दी है , उनने दो दिसंबर से महाराष्ट्र का दौरा कर शरद पवार और आदित्य ठाकरे से मुलाक़ात की | शरदपवार की एनसीपी और आदित्य ठाकरे की शिव सेना इस समय यूपीए का हिस्सा है और महाराष्ट्र में इन दोनों दलों की बदौलत कांग्रेस भी सरकार में साझेदार है | ममता की रणनीति महाराष्ट्र में मेघालय दोहराने की है | यानि कांग्रेस के विधायकों को अपने पाले में ला कर तृणमूल कांग्रेस , शिवसेना और एनसीपी की साझा सरकार बना कर कांग्रेस को सत्ता से बाहर करना | ग्राऊंड वर्क प्रशांत किशोर कर रहे हैं , जैसाकि उन्होंने पंजाब और मेघालय में किया | शरद पवार की मौजूदगी में ममता बेनर्जी का यह कहना कि यूपीए नाम की कोई चीज नहीं है , कोई छोटी मोटी बात नहीं है | शरद पवार की मौजूदगी में में कही गई यह बात भविष्य का संकेत देने के लिए काफी है | 

इतना क्या कम था कि उन्होंने राहुल गांधी पर सीधे हमला बोलते हुए कहा कि "आप हर समय विदेश में नहीं रह सकते." | इस का मतलब यह है कि राहुल गांधी के गैर जिम्मेदाराना राजनीतिक व्यवहार के कारण काग्रेस विपक्ष की भूमिका निभाने में सक्षम नहीं है | एक तरह से उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को नपुंसक करार देते हुए खुद को मोदी से लड़ने वाला सक्षम योद्धा बताया है | ठीक उसी समय प्रशांत किशोर ने आग को और भभकाते हुए कहा कि विपक्ष का नेतृत्व करना किसी की बपौती नहीं है | कांग्रेस पिछले दस साल में 90 प्रतिशत चुनाव हारी है | यह टिप्पणी सोनिया , राहुल और प्रियंका को मोदी का मुकाबला करने में असक्षम बताने और कांग्रेसियों को गांधी परिवार के खिलाफ बगावत के लिए उकसाने वाली है | तभी सोनिया गांधी के विरोध का झंडा उठाने वाले नटवर सिंह ने भी ममता बेनर्जी की हर बात का समर्थन कर के आग में घी डालने का काम किया | 

दस जनपथ ने उन की इस साजिश को तुरंत भांपा और कांग्रेस के नेताओं को निर्देश दिए गए कि वे ममता को मुहं तोड़ जवाब दें | लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने तुरंत टिप्पणी की कि वह नरेंद्र मोदी के साथ मिल कर कांग्रेस को कमजोर करने का काम कर रही हैं | यानि भारत को कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य पूरा करना | राज्यसभा में विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खड्गे ने जरा समझदार टिप्पणी करते हुए कहा कि विपक्ष के नेताओं को एक दुसरे के खिलाफ दोषारोपण करने की बजाए सरकार के खिलाफ मिल कर काम करना चाहिए | अपन फिर प्रशांत किशोर पर लौटते हैं , 2015 के बाद जब मोदी ने उन्हें छोड़ दिया था , तो वह राहुल गांधी के पास गए थे , लेकिन उत्तरप्रदेश के 2017 के विधानसभा की विफल रणनीति के बाद राहुल गांधी ने भी उन्हें छोड़ दिया था | अब वह मोदी और राहुल दोनों से दुश्मनी पाले हुए हैं | 

प्रशांत किशोर की मोदी और राहुल के प्रति कुंठा ममता बनर्जी केलिए लाभकारी साबित हो रही है , क्योंकि वह उन्हें राष्ट्रीय नेता बनाने के लिए ब्रोकर का काम कर रहे हैं | वह गोवा से लेकर मेघालय तक में कांग्रेस नेताओं को ममता की पार्टी में शामिल कराने का काम कर रहे है | राहुल गांधी और मोदी के विरोधी प्रशांत किशोर की तरह ममता बनर्जी ने गांधी परिवार और अब मोदी के भी एक और विरोधी सुब्रहमन्यम स्वामी से भी हाल ही में मुलाक़ात की है | गांधी परिवार और मोदी विरोधी यशवंत सिंहां पहले ही तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं | वह उन लोगों को अपने साथ जोड़ रही है जो मोदी और गांधी दोनों के विरोधी हों | लेकिन फिलहाल देखने वाली बात यह है कि वह महाराष्ट्र कांग्रेस विधायक दल में कितनी बगावत करवा पाती है और वहां राजनीतिक समीकरण बदल कर कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब हो पाती है या नहीं | 

 

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