ईडी पोलिटिकल वेंडेटा का हथियार ?

Publsihed: 03.Jun.2022, 18:35

अजय सेतिया / देश की कई परंपराएं टूट रही हैं | साठ साल तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी का एतराज स्वाभाविक है | वह यह दर्शाना चाहती है कि देश पर राज का हक उन्हीं का था | वैसे इंदिरा गांधी ने 1976 में लोकतंत्र को खत्म करने की योजना बनाई थीं | हालांकि वह वैसा नहीं कर सकीं | अगर वह वैसा कर लेतीं , तो भारत की हालत भी आज पाकिस्तान और म्यांमार जैसी होती | खैर नई परंपरा यह टूटी है कि केन्द्रीय एजेंसियां बिना परवाह किए मंत्रियों को गिरफ्तार कर रही है | और खुद को देश की पहली फेमिली समझने वाले परिवार को नोटिस दे कर उन के गौरख धंधों का हिसाब मांग रही हैं | सोनिया गांधी और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड मामले में पहले ही जमानत पर हैं | अब ईडी ने दोनों को फिर समन किया है | तो कांग्रेस ने उन्हें समन किए जाने को पोलिटिकल वेंडेटा यानी राजनीतिक विद्वेष कहा है | स्मृति ईरानी इस परिवार के पीछे हाथ धो कर पड़ी है | भाजपा ने ईडी वाले मामलों पर मोर्चा संभालने की जिम्मेदारी उन्हें दे रखी है | सो स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस में अब बचा ही क्या है कि हम पोलिटिकल वेंडेटा करेंगे |

वैसे भी कांग्रेस ने भाजपा का बिगाड़ा क्या था कि भाजपा सरकार पोलिटिकल वेंडेटा करे | सोनिया और राहुल गांधी ने मोदी को खून का सौदागर ही तो कहा था | सालों साल सीबीआई से पूछताछ ही तो करवाई थी | गोधरा काण्ड को एक्सीडेंट बताने के लिए लालू यादव से रेलवे की कमेटी ही तो बनवाई थी | भगवा आतंकवाद की कहानी बना कर देश के अस्सी प्रतिशत हिन्दुओं को आतंकी ही तो कहा था | सेना के अफसर को भगवा आतंकवाद में गिरफ्तार कर के भारत की सेना पर सवाल ही तो उठाए थे | फिर सेना पर सवाल उठाने की वह परंपरा जनरल रावत पर सवाल उठाने तक जारी रही थी | वैसे ईडी जिस तरह गैर भाजपाईयों नेताओं पर छापे मार रही है और समन जारी कर गिरफ्तारियां कर रही है | तो पहली नजर में पोलिटिकल वेंडेटा लगता है | पर हर केस गुण दोष के आधार पर तय होगा | सोनिया राहुल किसी सरकारी पद पर नहीं हैं , इन्हें किसी पद से इस्तीफा नहीं देना | पर ईडी के सवालों और अदालत में वकीलों को  जवाब तो देना है | पोलिटिकल वेंडेटा होगा तो अदालत में धराशाही हो जाएगा | फिर पोलिटिकल वेंडेटा का सवाल बनेगा | अभी तो आप खुद सवालों के घेरे में हैं | पाक साफ़ निकलिए , तब पोलिटिकल वेंडेटा बताना | तो लोग मानेंगे |

अब यह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का फर्ज था कि वे अपने मंत्रियों की गिरफ्तारी से पहले इस्तीफा लेते | वे इस्तीफा न देते तो बर्खास्त करते | महाराष्ट्र और दिल्ली सरकारों के दो मंत्री जेल में हैं | महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख कांग्रेस की तासीर वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस से ताल्लुक रखते हैं | अनिल देशमुख अब और बुरे फंसने वाले हैं | क्योंकि सचिन वाजे सरकारी गवाह बन गया है | वह अदालत में बताएगा कि अनिल देशमुख कितने करोड़ का हफ्ता माँगता था | नवाब मलिक के जैसे दाऊद इब्राहिम के साथ रिश्ते निकल रहे हैं | तो राष्ट्रवादी कांग्रेस में राष्ट्रवादी कुछ नहीं है | दिल्ली के मंत्री सतेन्द्र जैन भी कांग्रेस की तासीर वाले हैं | मनी लांड्रिंग के गौरखधंधे कांग्रेस की तासीर में ही होते हैं | अरविन्द केजरीवाल ने सतेन्द्र जैन को क्लीन चिट दे दी है | खुद ही जज बन गए हैं | जबकि मंत्री और विधायक बनने से पहले जिन कंपनियों में वह डायरेक्टर थे | उन कंपनियों पर मनी लांड्रिंग का उस समय का मामला है , जब वह डायरेक्टर थे | इस लिए वह जवाबदेही से बच नहीं सकते | फिर मंत्री बनने के बाद दिल्ली में करोड़ों की जमीन खरीदने का मामला | यह ओम प्रकाश चौटाला की तरह आमदनी से ज्यादा संपत्ति का मामला है | चौटाला पहले सरकारी नौकरियां बेचने में जेल में रह चुके हैं , अब आमदनी से ज्यादा संपत्ति मानले में सजा हुई है |

सरकार परंपराएं तोड़ कर काम कर रही है | तो विपक्ष भी परंपराएं तोड़ कर काम कर रहा है | इस मामले में जयललिता और लालू प्रसाद यादव की तारीफ़ करनी पड़ेगी | इन दोनों ने अपनी गिरफ्तारी से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था | अनिल देखमुख की गिरफ्तारी उन के इस्तीफा देने के काफी बाद में हुई | नवाब मलिक और सतेन्द्र जैन जेल में होने के बावजूद मंत्री बने हुए हैं | तो सवाल उद्धव ठाकरे और अरविन्द केजरीवाल से बनता है | महाराष्ट्र की राजनीति को निकृष्ठता की हदें पार कर रही है | उद्धव ठाकरे ने अपनी आलोचना करने पर केन्द्रीय मंत्री नारायण राणे को गिरफ्तार करवा दिया था | इसे कहते हैं पोलिटिकल वेंडेटा |

 

 

आपकी प्रतिक्रिया