कोविशिल्ड वेक्सीन की सप्लाई शुरू

Publsihed: 01.Jan.2021, 21:46

अजय सेतिया / जैसी कि उम्मींद थी अमेरिकन फाईजर कम्पनी पर भारत में बन रही सीरम कम्पनी की कोविशिल्ड भारी पड़ी है | तीन कम्पनियों ने एक एक दिन के वक्फे पर अपनी अपनी वेक्सीन को मंजूरी के लिए आवेदन किया था | सब से पहले 4 दिसम्बर को फाईजर ने अर्जी लगाई थी , उस के दो दिन बाद आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च पर आधारित पुणे की सीरम कम्पनी ने 6 दिसम्बर को अर्जी लगाई | उस से अगले दिन 7 दिसम्बर को हैदराबाद की भारत बायोटेक ने अपनी वेक्सीन की मंजूरी के लिए अर्जी लगाई |

दुनिया के बड़े देशों में उस देश की दवा नियामक एजेंसी किसी भी कोरोना वैक्सीन को मंजूरी देने का काम करती है, लेकिन कमजोर सिस्टम वाले देश इसके लिए आमतौर पर डब्ल्यूटीओ पर निर्भर करते हैं | विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 फाइजर वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी , लेकिन भारत ने अपनी जांच के बिना फाईजर की वेक्सीन को मंजूरी नहीं दी  | ब्रिटेन और अमेरिका से मंजूरी के बावजूद फाईजर भारत में सीरम के मुकाबले पिछड़ गई | जबकि यूरोप और अमेरिका में फाईजर का टीका पहले से ही उपलब्ध है | अमेरिकन फाईजर की वेक्सीन को अमेरिका से पहले ब्रिटेन ने मंजूरी दी थी और तुरंत वेक्सीन मंगवा कर लगाना भी शुरू कर दिया था | पहला टीका 80 साल की एक महिला ने लगवाया था | आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च और एस्ट्राजेनेका की ओर से भारत की सीरम कम्पनी से बनवाई गई कोविशिल्ड को ब्रिटेन ने ही सब से पहले मंजूरी दी |

30 दिसम्बर को ब्रिटेन से मंजूरी के तीसरे दिन पहली जनवरी को भारत की जांच कमेटी ने कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी | शर्तें एक-आध दिन में ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया तय करेगी | अमेरिकी कंपनी फाईजर और जर्मनी की बायो एन टेक ने मिल कर पहली वेक्सीन तैयार की थी | ब्रिटेन की आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिल कर दूसरी वेक्सीन तैयार की है | तीसरी वेक्सीन शुद्ध रूप से भारतीय है जिसे भारत सरकार सीआईएमआर ने तैयार की है , शुक्रवार को एक्सपर्ट पैनल की ओर से कोविशिल्ड को मंजूरी देने के बाद पैनेल ने भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीनपर विचार करना शुरू कर दिया है | उसे भी जल्द ही भारत सरकार की कमेटी से मंजूर कर लिए जाने के आसार हैं | लेकिन ब्रिटेन और अमेरिका से मंजूरी पा चुकी अमेरिकन और जर्मनी की वेक्सीन भारत में मंजूरी से इस लिए पिछड़ गई है क्योंकि वह वे सब दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा सकी , जो मंजूरी के लिए मांगे गए थे | खुद फाईजर ने कुछ समय माँगा है |

यह संयोग ही है कि अमेरिका में कोरोनावायरस संक्रमण के सर्वाधिक मामले पाए गए और भारत दूसरे नंबर पर रहा , वेक्सीन के निर्माण में भी अमेरिका के बाद भारत दूसरे नम्बर का देश बन गया है | अमेरिका और भारत की वेक्सीन को सर्वाधिक प्रामाणिक माना जा रहा है | वैसे रूस ने सब से पहले वेक्सीन बनाने का दावा किया था , उस ने भारत से मान्यता के लिए अर्जी भी दी थी , लेकिन अभी तक वे दस्तावेज जमा नही किए , जो मान्यता के लिए वांछित थे | अपन बात कर रहे थे अमेरिका और भारत के मुकाबले की , तो भारत की आबादी अमेरिका से कई गुना है, इस के बावजूद भारत में कोरोनावायरस के मामले इस लिए कम हुए क्योंकि एक तो वक्त रहते लाक डाउन शुरू कर दिया गया था , दूसरा कारण भारतीयों की इम्यून पावर दुनिया के कई देशों से बेहतर होना पाया गया |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2020 को पुणे और हैदराबाद में सीरम और भारत बायोटेक के उत्पादन केन्द्रों में जा कर उत्पादन की समीक्षा की थी | मोदी के इस दौरे का मकसद भारत के नागरिकों को आश्वस्त करना था कि भारत वेक्सीन के निर्माण में दुनिया के किसी देश से पीछे नहीं |  चार दिसंबर को आयोजित सर्वदलीय बैठक में पीएम ने उम्‍मीद जताई थी कि कोविड-19 वैक्‍सीन अगले कुछ सप्‍ताह में तैयार हो सकती है | हालांकि पहलेउम्मींद यह जताई जा रही थी कि टीके को मान्यता की प्रक्रिया मार्च तक पूरी होगी , लेकिन खुद प्रधानमंत्री के दखल से यह प्रक्रिया तेजी से पूरी हुई और अब आज से यानी 2 फरवरी  शनिवार को सुबह अखबार आप के हाथ में आने से पहले ही पुणे के कोल्‍ड स्‍टोरेस से वैक्‍सीन के शॉट्स की सप्‍लाई भारत के विभिन्‍न राज्‍यों में शुरू हो जाएगी |  

 

 

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