पीएम जवानो को सुरक्षा की गारंटी देंगे क्या .

Publsihed: 13.Jan.2017, 18:39

नेता चीन से जंग के समय जीप घोटाला करेगा. बोफोर्स घोटाला करेगा. अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकाप्टर घोटाला करेगा.एम्बरार एअयरक्राफ्ट घोटाला करेगा. यूरिया घोटाला करेगा. चारा घोटाला करेगा. 2 जी घोटाला करेगा. कोल घोटाला करेगा. तेलगी घोटाला करेगा. सत्यम घोटाला करेगा. तो आईएएस घोटाला क्यो नही करेगा. असल में बेता और ब्यूरोक्रेट का घोटालो में गठबंधन है. जो 1948 मे शुरु हुआ. 68 साल से बिना ब्रेक चल रहा . हाल ही में तमिलनाडू का चीफ सक्रेटरी पकडा गया. वह बेचारा कोई अकेला नहीं. देश के सारे चीफ सक्रेटरियो के यहाँ छापे मार कर देख लो. कोई एक भी बेदाग निकल आए, तो बता देना. . पीएम मोदी हाल ही में देहरादून गए. तो अपने भाषण में स्कूटर में 35 लीटर पेट्रोल डलवाने का मामला उठाया था. पर उस आईएएस का बिग़डा क्या. अपन केदारनाथ आपदा के गवाह हैं.  कैसे पीडितो तक तो पानी नहीं पहुंचा. पर एक डीएम मिनरल वाटर की बोतलो से बाल्टी भर कर नहा रहा था. जब नेता और अफसर लूट-लूट कर खा रहे हो. तो सेना के अफसर क्यो पीछे रहे. अर्धसेनिक बलो के अफसर क्यो पीछे रहे. सेना में अफसरो की लूट के किस्से छावनियो के आस-पास बिखरे पडे हैं. अर्धसेनिक बलो में चल रहे भ्रष्टाचार की सुगबुगाहट तो हमेशा से थी . जहाँ जहाँ सेना की छावनिया हैं, वहा वहा पेट्रोल-डीजल तक बिकने की खबरे आती रही हैं. अखबारो में खबरे छपती रही हैं. छावनियो के आस-पास के दुकानदारो से पूछ लो. आप को अनेको किस्से मिल जाएंगे. फर्जी बिलो. बिलो पर सौ फीसदी तक की रिश्वत के किस्से मिलेंगे. सरकार ने सेना में चल रहे भ्रष्टाचार पर आंखे मूंदे रखी. यही कारण था  शोषण का शिकार जवान कभी सामने नहीं आए. जो भी जहाँ भी सामने आया. उस पर अत्याचार हुए. कोर्ट मार्शल हुए.  जिस से बाकी जवानो ने हिम्मत नहीं की. सरकार का रूख हमेशा अधिकारियो की बात सुनने का रहा . यह पहला मौका है.  जब पीएम ने खुल कर कहा-" न खाऊंगा, न खाने दूंगा." मोदी के इस बयान से हवा बनी है.  हर किसी में हिम्मत जगी है. विश्वास बना है कि भ्रष्टाचारियो की शामत आ गई. तभी तो पहली बार जवान खुल कर सामने आ रहे. एक हफ्ते में चार जवानो के वीडियो सामने आ चुके. बीएसएफ, सेना और सीआरपीएफ के जवानो ने मुह्न खोला है. पर आप ने बीएसएफ की पहली प्रतिक्रिया देखी थी. जब तेज प्रताप यादव ने वीडियो जारी किया. तो बीएसएफ ने तेजपाल का चरित्रहनन शुरु कर दिया था. बीएसएफ ने कहा-" तेज बहादुर का करियर विवादों में रहा है. उसे 20 साल की सेवा में 4 बार कड़ी सजा मिल चुकी. उस पर अपने कमांडेंट पर बंदूक ताने तक का संगीन आरोप लग चुका . शुरूआती दिनों में तेज बहादुर को काउंसलिंग की जरूरत पड़ी थी. वह बिना बताए ड्यूटी से गायब हो जाता था. उसे शराब पीने की भी "बुरी लत " थी. फिर वही हथकंडा अपनाया गया. जो 68 साल से अपना रहे थे. तेजपाल यादव को धमकाया गया. किसी दूसरी बटालियन में भेज दिया. बृहस्पतिवार को आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने जब यह कहा‌-" सेनिको को शिकायते सोशल मीडिया पर नहीं करनी चाहिए. सेना के अंदर ही शिकायत निवारण सेल है. वही शिकायत करनी चाहिए." तो अपन को वही पुरानी ढर्रे वाली बाते लगी. पर बाद में उन ने बदले निजाम की झलक दिखाई. जब एलान किया-" दिल्ली में चीफ आफ आर्मी स्टाफ के दफ्तर में शिकायत बाक्स लगेगा. सभी कमांड हेडक्वार्टरो पर भी शिकायत बाक्स लगेंगे. बाक्स में आई शिकायते सीधे उन के पास पहुंचेगी. जांच से पहले शिकायतकर्ता का नाम हटा दिया जाएगा." आप सोचो अगर सेना,बीएसएफ, सीआरपीएफ के जवान सामने न आते. तो क्या शिकायत का ऐसा ढांचा बनता. रावत को मलाल है, जवान सोशल मीडिया में क्यो जा रहे. तो अपन उन्हे बता दे कि सोशल मीडिया का दखल न हुआ. तो भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा. सबूत अपने सामने है. पीएमओ में जो शिकायत का ढांचा खडा किया. उस का काफी फायदा तो दिख रहा.  पर शिकायतकर्त्ता अभी भी सुरक्षित नहीं. लांस नायक यज्ञ प्रताप कहते हैं ‌-" मैंने15 जून 2016 को पीएमओ, राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट को शिकायत भेजी. पीएमओ से शिकायत पर सेना को जवाब तलब किया गया. तो मेरे खिलाफ कार्रवाई शुरु हो गई. ब्रिगेडियर, डिप्टी ब्रिगेडियर, कमांडर ने टार्चर शुरु कर दिया. मुझ पर देशद्रोह का मुकद्दमा चलाने की धमकी दी गई. कोर्ट मार्शल की धमकी दी गई. अगर मेरी जगह कोई और होता . तो आत्महत्या कर लेता. या कोई दूसरा कदम उठा लेता." . इस के बाद भी आर्मी चीफ कहते हैं‌-"इनटर्नल रिड्रेस्ल सेल का इस्तेमाल करना चाहिए." अपन तो चारो जवानो को बधाई देंगे. उन ने पीएम के एजेंडे को आगे बढाया. न खाऊंगा, न खाने दूंगा. अब सवाल खडा होता है. बीएसएफ के उस अफसर पर कार्र्वाई होगी या नहीं, जिस अफसर ने तेज प्रताप के खिलाफ चरित्रहनन की शुरुआत कराई. जिसे 16 मेडल मिल चुके थे, उसे शराबी-कबाबी कहा. जबकि शराब खुद सरकार देती है. अब नरेंद्र मोदी का फर्ज बनता है. देश की जनता को उन्होने जो भरोसा दिलाया था.  उस पर खरे उतरे और एक-एक अधिकारी को कटघरे में खडा करे. अगर उन ने  उन्ही अधिकारियो से जांच करवाई . अगर उन ने महाभ्रष्ट गैर सेनिक ब्यूरोक्रेसी से ही जांच करवाई . तो वही होगा, जो 70 साल से होता रहा . पिछले दिनो कर्नाटक के सीएम के एक वीडियो पर बवाल हुआ. वीडियो में एक सरकारी कर्मचारी सीएम को जूते पहना रहा था. एक और वीडियो मध्यप्रदेश के सीएम का भी चर्चित रहा. जिस में एक सरकारी कर्मचारी सीएम के जूते उठा रहा था. पर सेना में पूरे परिवार के कपडे धुलवाना 68 साल से नहीं रूका. अफसरो के बूट पॉलिश करवाना आज भी जारी. जवानो को अफसर के कुत्ते तक घुमाने पडते हैं. अपन बिहार में चार ईमानदार इंजीनियरो का मर्डर देख चुके. अब सीधे पीएम को गारंटी लेनी होगी. वह उन सभी की सुरक्षा करेंगे. जो भ्र्ष्टाचार के खिलाफ मुहिम में उन का साथ देंगे. 

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