बात आकर टिकेगी ममता, माया और जयललिता पर

Publsihed: 06.May.2009, 21:55

ममता ने आंख दिखाई। लालू-पासवान भड़के। तो कांग्रेस की घिग्गी बंध गई। राहुल ने नीतिश की तारीफ की। तो लालू-पासवान को भड़कना ही था। ममता तो राजनीति में राहुल से ज्यादा स्पष्टवादी। सो उनने दो टूक कह दिया- 'तृणमूल-वामपंथियों में एक को चुनना होगा।' अपन नहीं जानते राहुल को दाना फेंकने की जल्दी क्या थी। बंगाल-बिहार का चुनाव तो निपटने देते। बात चंद्रबाबू नायडू की। राहुल ने तारीफ क्या की। राजशेखर रेड्डी की तो नींद उड़ गई। आराम फरमा रहे थे शिमला में। नींद उड़ी, तो बिना सोनिया-राहुल से मिले हैदराबाद उड़ गए। चुनाव निपटाकर राजशेखर शिमला में आराम फरमा रहे थे। तो चंद्रबाबू छुट्टी मनाने यूरोप चले गए। सीएम बनकर जाते। तो केंद्र से इजाजत लेनी पड़ती।

राहुल के चंद्रबाबू की तारीफ का राजनीतिक मतलब- 'आंध्र में कांग्रेस को उम्मीद नहीं रही।' उड़ीसा में अभी कांग्रेस की उम्मीद बरकरार। वरना चंद्रबाबू के साथ नवीन बाबू को भी मिलती तारीफ। तो क्या आंध्र सौंपकर केंद्र के लिए समर्थन मांगेंगे राहुल। बुधवार को अश्विनी कुमार डेमेज कंट्रोल करने आए। पर सेक्युलरिज्म के नए सर्टिफिकेट साथ ले आए। अपन ने तो कहा ही था- 'जमीनी हकीकत से नावाकिफ नहीं राहुल।' सो नीतिश, चंद्रबाबू, जयललिता के साथ सेक्युलरिज्म का नया सर्टिफिकेट मिला मायावती को। ताकि सनद रहे। सो बता दें- चारों वाजपेयी सरकार में शामिल थे। मायावती का जिक्र नहीं किया था राहुल ने। मायावती की तो जमकर बखिया उधेड़ रहे थे राहुल। बुधवार को अचानक सेक्युलर कहने का मतलब समझिए। अपन तो पहले से लिख रहे- माया-ममता-जयललिता होंगी किंग मेकर। पर राहुल के लेफ्ट पर डोरे डालते ही ममता भड़क चुकी। यानी कांग्रेस बंगाल में ज्यादा सीटों के लिए ममता छोड़ देगी। बिहार में लालू-पासवान छोड़ देगी। यूपी में मुलायम को छोड़ देगी। यह सवाल हुआ। तो अश्विनी कुमार ने बाकायदा हाथ जोड़ दिए- 'कृपया यह मतलब न निकालिए कि हम उन्हें कूड़ेदान में फेंक रहे हैं। हमें नए लोगों की जरूरत पड़ सकती है।' अब बताइए- एक सांस में बहुमत का दावा। दूसरे सांस नए लोगों की जरूरत। पर जब सीधा सवाल हुआ- 'माया लोगे, तो मुलायम फेंकने पड़ेंगे। नीतिश लोगे, तो लालू फेंकने पड़ेंगे। लेफ्ट लोगे तो ममता फेंकनी पड़ेगी। जयललिता लोगे, तो करुणानिधि फेंकने पड़ेंगे।' उकताकर अश्विनी बोले- 'यह तो निर्भर करेगा सीटों पर। जिसकी सीटें ज्यादा होंगी। उसी को परेफरेंस देगी कांग्रेस।' बात ज्यादा सीटों की। तो जयललिता को लेकर अब कांग्रेस को भ्रम नहीं। सो सोनिया ने अपना तमिलनाडु दौरा रद्द कर दिया। अब राहुल का दौरा भी रद्द होगा। यों शुक्रवार को जाना है राहुल ने। मनमोहन का तो तमिलनाडु में दौरा रखा ही नहीं। पर क्या इसके बावजूद जयललिता कांग्रेस को समर्थन देगी। यों राहुल के बयान ने इशारा किया। तो मंगलवार की रात बीजेपी ने चैनल खोल दिया। अपन बता दें- जयललिता उसे समर्थन देगी। जो करुणानिधि को बर्खास्त करे। ममता की शर्त होगी बुध्ददेव को बर्खास्त करने की। मायावती मांगेगी सीबीआई से निजात। साथ में यूपी के लिए पैकेज और होम मिनिस्ट्री। तीनों देवियों का ऊंट उसी करवट बैठेगा। जिस करवट मांगें पूरी होंगी।

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