देवगौड़ा की टेढी चालें

Publsihed: 31.Oct.2007, 10:39

पिछले दो सालों में एचडी देवगौड़ा ने घाघ राजनीतिज्ञ की छवि भले ही बनाई। मक्कार राजनीतिज्ञ का लेबल भी खुद पर चिपका लिया। कब कौन सी राजनीतिक चाल चलेंगे, कब कौन सी करवट ले लेंगे। इसे समझना आसान नहीं। शुक्रवार को पुराने साथी एमपी प्रकाश को कांग्रेस से गठबंधन करने की हरी झंडी दी। शनिवार को बीजेपी को समर्थन की चिट्ठी दे दी। बीजेपी इस चिट्ठी से फूली नहीं समाई और सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।

कर्नाटक के गवर्नर रामेश्वर ठाकुर ने गुरुवार को दिल्ली में जब कहा- 'गठबंधन की सरकार बनने की संभावना अभी भी खुली।' तो उन्होंने सोचा नहीं था- देवगौड़ा एक बार फिर बीजेपी से हाथ मिला लेंगे। उस समय एमपी प्रकाश की कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी पृथ्वीराज चव्हाण से बात चल रही थी। गवर्नर ने जैसे ही शुक्रवार का घटनाक्रम देखा। विधानसभा भंग करने की सिफारिश वाली देवगौड़ा की चौबीस अक्टूबर की चिट्ठी रसीद भेज दी। साफ था- देवगौड़ा की यह चिट्ठी विधानसभा भंग करने का आधार बनेगी। अपने विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने के लिए देवगौड़ा यही चाहते थे। कांग्रेस और बीजेपी भी यही चाहती थी। लेकिन बदले हालात में बीजेपी ने देवगौड़ा से नई चिट्ठी की गुहार लगाई। तो देवगौड़ा ने बीजेपी को पानी पिला दिया। देवगौड़ा से नई चिट्ठी हासिल करने में बीजेपी को 48 घंटे मेहनत करनी पड़ी। देवगौड़ा ने गवर्नर को नई चिट्ठी लिखने के बदले विभागों के नए सिरे से बंटवारे की शर्त रख दी। येदुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने के विरोधी भाजपाई ने भी देवगौड़ा के कान भरे।  लेकिन घाघ राजनीतिज्ञ देवगौड़ा पर घाघ कूटनीतिज्ञ यशवंत सिन्हा भारी पड़े। सिन्हा ने सोमवार दोपहर अज्ञात स्थान पर देवगौड़ा से आमने-सामने बात की। इससे पहले देवगौड़ा अपने दूतों वाईएसवी दत्ता और मराजुद्दीन के माध्यम से ही बात कर रहे थे। सिन्हा गवर्नर को नई चिट्ठी लिखवाकर ही बाहर निकले। सिर्फ यहीं पर बात खत्म नहीं हुई। शाम को जब बीजेपी-जेडीएस विधायकों ने येदुरप्पा को नेता चुना। तो  सीधे राजभवन जाने का फैसला किया। लेकिन कुमारस्वामी यह कहकर कन्नी काटने लगे- 'हल्फिया बयान और चिट्ठी तो भेजी ही जा रही है। एमएलए चले जाएं। मेरी क्या जरूरत।' बीजेपी नेताओं को कुमारस्वामी की मिन्नत करनी पड़ी। देवगौड़ा ने सोमवार को विधायकों  के राजभवन में धरने की योजना भी नाकाम कर दी। बीजेपी ने मंगलवार को सभी विधायक दिल्ली लाकर राष्ट्रपति भवन में परेड करवाने का प्रस्ताव रखा। तो देवगौड़ा ने कहा- 'मुझे यह पसंद नहीं।' आखिर बीजेपी ने बुधवार को अपने सांसदों के माध्यम से सारे हल्फिया बयान राष्ट्रपति को सौंपने की रणनीति बनाई है। गवर्नर पर दबाव के लिए बीजेपी ने बुधवार को राजभवन के बाहर धरने का एलान किया। तो देवगौड़ा इसके भी हक में नहीं थे। लेकिन बीजेपी की रणनीति कामयाब रही। गवर्नर ने मंगलवार दोपहर येदुरप्पा और सदानंद गौड़ा को बुलाकर दो दिन की मोहलत मांग ली। बीजेपी मान गई है। पर कोई चांस नहीं लेना चाहती। इसलिए बुधवार को महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने दो घंटे धरना होगा। लेकिन एचडी देवगौड़ा इस सारे अभियान से अलग-थलग हैं। उनके दोनों हाथों में लड्डू हैं। बीजेपी को समर्थन न देने का कलंक भी हट गया। सरकार न भी बनी, तो अब विधायकों का दल-बदल करवाकर कांग्रेस सरकार की गुंजाइश खत्म।

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