मोटे तौर पर चुनावी तैयारियां शुरू

Publsihed: 24.Oct.2007, 06:10

मोटे तौर पर चुनावी तैयारियां शुरू हो चुकी। एटमी करार पर यूपीए-लेफ्ट की पांचवीं मीटिंग के बाद मंगलवार को लेफ्ट की तीसरे मोर्चे से गुफ्तगू साफ संकेत। तीसरे मोर्चे में अब फिलहाल चौटाला, चंद्रबाबू और मुलायम। तीनों के साथ प्रकाश करात और एबी वर्धन ने संसद सत्र की रणनीति बनाई। पंद्रह नवंबर को शुरू होने वाला सत्र संभवत: आखिरी होगा। संभवत: करार पर लेफ्ट-यूपीए की अगले दिन होने वाली मीटिंग भी आखिरी होगी। करार की खामियां समझने का काम पूरा हो चुका। लेफ्ट का रुख पहले से ही स्पष्ट।

इसीलिए सोमवार को यूपीए-लेफ्ट मीटिंग से पहले मनमोहन ने यूपीए मीटिंग की। इस मीटिंग में एक बात तय हुई- 'चुनाव की नौबत आई। तो मिलकर लड़ेंगे।' कांग्रेस अलग-थलग होने से बच जाएगी। पवार-करुणानिधि- लालू के तेवरों से यूपीए टूटने का खतरा अब टल गया।  पीएम की शर्मिंदगी और इस्तीफे की धमकी का यह असर जरूर हुआ। भले ही कांग्रेस ने शर्मसारी वाले बयान और इस्तीफे की पेशकश का खंडन किया। पर मंगलवार को पीएम के भाषण से उनके मन में क्या चल रहा है, यह साफ हुआ। चुनावी तैयारियों के और पुख्ता सबूत भी मिले। लेफ्ट से सोलह नवंबर तक की मोहलत के बाद मंगलवार को मैककिंसे सम्मेलन में पीएम ने कहा- 'आज की राजनीति और अधूरे जनादेश में काम करना मुश्किल हो चुका।' प्रधानमंत्री ने अधूरे जनादेश को विकास में अड़चन बताकर इरादे जता दिए। स्वाभाविक है प्रधानमंत्री ने बिना सोनिया गांधी से राय लिए चुनावी तैयारियां शुरू नहीं की होंगी। पीएम के गुस्से और शर्मिंदगी वाले बयान को भले ही सिंघवी ने बेबुनियाद कहा। पर वीरप्पा मोईली ने पुष्टि कर दी। मोईली ने कहा- 'अगर प्रधानमंत्री ने दु:ख जाहिर किया, तो गलत नहीं। जो भी विकास चाहेगा, उसे एटमी करार की इस दशा पर दु:ख होगा ही।' अधूरे जनादेश का दु:ख पीएम ने खुद भी जाहिर कर सिंघवी को गलत ठहराया। पृथ्वीराज चव्हाण भी मंगलवार को कांग्रेस दफ्तर में काफी देर जमे। आन रिकार्ड कुछ बोलने को तैयार नहीं। ऑफ रिकार्ड भी इशारों में बात की। पर यह समझने में किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए- 'चुनाव वक्त से पहले होंगे।' गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद हों। या बजट के बाद। यह वक्त ही तय करेगा। गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद हुए। तो पंद्रह नवंबर से शुरू होने वाले संसद सत्र को आखिरी मानिए। सत्र तीस नवंबर तक चलेगा। यह बात पृथ्वीराज चव्हाण ने साफ की। क्योंकि आम चुनाव ही ज्यादा दूर नहीं। सो कर्नाटक में भी साथ ही चुनाव करवाने का इरादा। देवगौड़ा परिवार विधायकों के दबाव में लाख कोशिश करे। कांग्रेस ने मंगलवार को तय किया- 'कर्नाटक में  चुनाव ही करवाएंगे।'

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