दिल्ली के एक अखबार ने 'थ्री इडिएट' को नए रंग में पेश किया। उन कुर्सियों पर रामगोपाल, मुलायम और अमर सिंह को बिठा दिया। अमर सिंह सिंगापुर से लौटेंगे। तो जरूर अखबार पर भड़केंगे। पर मंगलवार को तो उनकी रामगोपाल से तू-तू, मैं-मैं तेज हो गई। कड़कड़ाती ठंड में अमर-रामगोपाल के आग उगलते बयानों ने खूब तपिश दी। उन बयानों का जिक्र अपन करेंगे। पर पहले बात कड़कड़ाती ठंड की। हिमाचल-कश्मीर से आती बर्फीली हवाएं थमने का नाम नहीं ले रही। मंगलवार को न्यूनतम तापमान जरूर साढ़े छह से सात हुआ। पर अधिकतम तापमान 14.9 से घटकर 14.6 हो गया। राजस्थान-मध्यप्रदेश में बरसात ने रंग दिखाया। मध्यप्रदेश में तो उतनी नहीं। पर राजस्थान ने ठंड बढ़ा दी।
राजस्थान ने तो इतनी ठंड लंबे अर्से बाद देखी। पर आम आदमी को ठंड से यादा ठंडा किया है महंगाई ने। अपन ने कल कमरतोड़ महंगाई का जिक्र किया। तो शरद पवार के उस बयान का भी जिक्र किया। जिसमें उनने कहा था- 'मैं कोई योतिषी तो नहीं। जो बता सकूं कि कीमतें कब घटेंगी।' मंगलवार को यह छपा। तो पवार कैंप में खलबली मची। नेता पहले जुबान संभालकर बोलते नहीं। आपको बता नहीं सकते देवगौड़ा ने क्या-क्या कहा था। बास्टर्ड-इडिएट तक सीमित नहीं रहे। नमोनारायण मीणा पूछ रहे थे- अपन ने 'गली-मुहल्लों में भी आवारा ही देते हैं ऐसी गाली' जैसी बात क्यों लिखी। तो अपन ने उनके कान में वह गाली बताई। जो देवगौड़ा ने येदुरप्पा को दी थी। वह ठहाका लगाकर हंसे। और पूछा- 'सच में।' देवगौड़ा अब मीडिया पर दोष मढ़ रहे। शशि थरूर ने भी ठीकरा मीडिया के सिर फोड़ दिया। मीडिया तो गरीब की जोरू हो गई। शरद पवार के नुमाइंदे डीपी त्रिपाठी भी बोले- 'मीडिया ने पवार को मिस कोर्ट किया।' बात महंगाई की चली। तो बताते जाएं- शुक्रवार को शकील अहमद खिल्ली उड़ाकर कह रहे थे- 'बिहार में सिर्फ दो जगह पर जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई हुई।' अपन ने पूछा- 'दिल्ली में कितने जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई हुई?' तो बगलें झांकते हुए बोले- 'जरूर हुई होगी। पूछकर बताऊंगा।' तो मंगलवार को सच बाहर आ गया। शुक्रवार तक दिल्ली सरकार सोई पड़ी थी। चौबीस अकबर रोड से पूछताछ हुई। तो हरकत में आई। इतवार, सोम और मंगल को छापे पड़े। हारुन यूसुफ ने तीन दिन का ब्योरा दिया। बोले- 'चौदह जमाखोरों पर छापेमारी हुई। चार के खिलाफ जमाखोरी की एफआईआर दर्ज हुई।' दिल्ली नहीं, बाकी राय सरकारों की भी यही हालत। रायसरकारों की बात तो छोडिए। मनमोहन सरकार भी जरा फिक्रमंद नहीं। फिक्रमंद होती। तो महंगाई पर केबिनेट बार-बार न टलती। मंगलवार को होनी थी मीटिंग। अपन को कड़े फैसलों का बेसब्री से इंतजार था। पर शाम होते-होते फिर मीटिंग टलने की खबर आ गई। पर बात ठिठुरती दिल्ली को राजनीतिक बयानों से गर्म करने वालों की। आम आदमी पर तो ना इनकी राजनीति का असर। ना राजनीतिक बयानों का। पर राजनीतिक गलियारों में जरूर बयानों की तपिश पहुंची। मुलायम-रामगोपाल सोमवार को अमर सिंह से फुनियाए। तो सुलह-सफाई की हवा चली थी। पर अमर सिंह का बड़बोलापन राख होते अंगारों में फूंक मार गया। अमर सिंह ने झगड़े पर पानी डालते हुए कहा था- 'रामगोपाल ने मुझसे मांग ली।' तो भड़कते हुए रामगोपाल यादव बोले- 'मुझे पूरा भरोसा है- अमर सिंह का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।' यही बात उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कही थी। तो अमर सिंह कपड़ों से बाहर हो गए थे। अब रामगोपाल के शोले सपा को जलाकर राख करेंगे। वैसे जीपी सीप्पी ने एतराज किया। तो रामगोपाल को पिक्चर का नाम बदलकर 'आग' करना पड़ा था। सो अब सपा में रामगोपाल की 'आग' भड़केगी। रामगोपाल ने कहा- 'अमर सिंह कोई खुदा नहीं, जो मैं उससे मांगूं। मुलायम सिंह को अमर का इस्तीफा फौरन मंजूर करना चाहिए।' अमर सिंह चुप रह जाएं। ऐसा हो ही नहीं सकता था। शाम होते-होते उनके ब्लाक पर आ गया- 'वह सुबह कुछ कहता है, शाम को मुकर जाता है। वह मुलायम के परिवार का आदमी है। इसलिए मैं उसके बारे में कुछ नहीं कहूंगा।' अमर सिंह ने पार्टी छोड़ने की धमकी भी दे दी।
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