वाईएसआर की मौत के बाद आंध्र नित नए संकट में

Publsihed: 26.Dec.2009, 09:38

चौदह साल की रुचिका से छेड़छाड़ पर उन्नीस साल बाद उबल पड़ा है देश। उन्नीस साल बाद पुलिस इंस्पेक्टर शंभू प्रताप सिंह राठौर को छह महीने की सजा मिली। इस बीच वह डीजीपी बनकर रिटायर भी हो चुका। ब्यूरोक्रेसी और पालीटिशियन बचाते रहे राठौर को। राठौर ने पहले रुचिका से छेड़छाड़ की। फिर स्कूल से सस्पेंड करवा दिया। रुचिका के भाई पर चोरी का केस चलवा दिया। जिनने राठौर के खिलाफ अदालत में पीआईएल लगाई। उन पर बिजली चोरी के केस बनवा दिए। तंग आकर रुचिका ने आत्महत्या कर ली। चौटाला, बंशीलाल, भजनलाल सब सरपरस्त थे राठौर के। अब देश चाहता है- राठौर को कड़ी सजा मिले। होम मिनिस्टरी की जाग भी अब खुली। पुलिस मैडल और पेंशन रोकने पर कर रही है विचार। पर ब्यूरोक्रेसी-पालीटिशियन की सांठ-गांठ का यह कोई पहला केस नहीं।

दिल्ली हाईकोर्ट में पिछले हफ्ते ही एक रिव्यू पिटीशन दाखिल हुई। यह पिटीशन हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ है। जिसमें हाईकोर्ट की एक सदस्यीय बैंच ने कहा- 'डीएनए जांच का फैसला अठारह साल की उम्र के बाद नहीं हो सकता।' लो, अब अपन खुलकर केस बता दें। केंद्र सरकार मे मंत्री हुआ करते थे प्रोफेसर शेर सिंह। उनकी बेटी थी उज्जवला शर्मा। तीस साल पहले उज्जवला शर्मा को एक बेटा पैदा हुआ। उसका नाम है- रोहित शेखर। रोहित शेखर ने अदालत में अर्जी डाली थी- 'मेरा और एनडी तिवारी का डीएनए टेस्ट कराया जाए।' वैसे वह डीएनए टेस्ट पहले करवा चुके थे। उज्जवला शर्मा अपने पति का डीएनए टेस्ट भी करवा चुकी। दिल्ली के राजनीतिक हलकों में हर कोई जानता है- उज्जवला अपने बेटे के हक की लड़ाई तीन दशकों से लड़ रही। वह राजीव गांधी, नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी, भैरोंसिंह शेखावत सबको अपने बेटे के साथ मिल चुकी। किसी ने कान नहीं धरा। तो आखिर अदालत में गए रोहित शेखर। पर अदालत ने महीना भर पहले फैसला दिया- 'अठारह साल की उम्र होने तक ही डीएनए टेस्ट संभव।' एनडी तिवारी की यही दलील थी अदालत में। जिस पर फैसला उनके हक में हुआ। अब इस मामले में रिव्यू पिटीशन अदालत के सामने। उधर शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के एबीएन चैनल ने एक सीडी चला दी। यह सीडी भी आंध्र के मौजूदा गवर्नर से जुड़ी है। सो आंध्र हाईकोर्ट ने सीडी पर रोक लगा दी। शुक्रवार को यह सब कुछ आनन-फानन में हुआ। पर शाम को भी इंटरनेट पर सीडी चल रही थी। तेलंगाना के बाद आंध्र में विश्वास का यह नया संकट। सोनिया गांधी ने अपने जन्मदिन नौ दिसंबर को तोहफा दिया था तेलंगाना का। जो कांग्रेस के गले की हड्डी बन चुका। पहले रायलसीमा-तटीय आंध्र में हिंसा भड़की। दोनों इलाकों के सांसदों-विधायकों-मंत्रियों ने इस्तीफे थमा दिए। मौका देखकर वाईएसआर के बेटे जगनमोहन रेड्डी भी बगावती हो गए। तेलंगाना के जरिए जगनमोहन की हवा निकालना चाहती थी सोनिया। पर आग भड़की। तो सीसीपीए में ठंडा करके खाने की रणनीति बनी। जो अपन ने सोलह दिसंबर को बताई थी यह रणनीति। पर तेईस दिसंबर को चिदंबरम के लिखित बयान से इस रणनीति का खुलासा हुआ। तो तेलंगाना में आग भड़क गई। तेलंगाना के सांसदों-विधायकों-मंत्रियों ने इस्तीफे सौंप दिए। गुरुवार को तेलंगाना विरोधी नेताओं की ओसमानिया यूनिवर्सिटी में जमकर धुनाई हुई। राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद आंध्र संभलते नहीं संभल रहा। पहले राजशेखर समर्थकों की जगनमोहन को सीएम बनवाने के लिए हिंसा। फिर तेलंगाना आंदोलन का हिंसक हो जाना। सोनिया ने तेलंगाना का तोहफा दिया। तो तेलंगाना विरोधियों की हिंसा। तेलंगाना ठंडे बस्ते में डालने का ऐलान हुआ। तो अब तेलंगाना समर्थकों की हिंसा। ऊपर से गर्वनर विवाद में। सो अब कांग्रेस में ऑपरेशन आंध्र की खुसर-पुसर। विधानसभा भंग कर गवर्नर राज हो सकता है हल। गवर्नर भी बदलकर कोई दिग्विजय सिंह जैसा। पर क्या दिग्विजय सिंह दस साल तक पद न लेने की शपथ तोड़ेंगे। अहमद पटेल खेमे से आई है गवर्नर बनाने की खबर। पर बात एनडी तिवारी की। भले हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। पर कांग्रेस को साख बचानी हो। तो रुचिका केस से सबक लेकर गवर्नर को बर्खास्त करना चाहिए। पर खुद तिवारी को भी या तो इस्तीफा देना चाहिए। या चैनल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा ठोकना चाहिए।

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