कांग्रेस तो खुद बंटी हुई दिखेगी तेलंगाना मीटिंग में

Publsihed: 05.Jan.2010, 09:56

सरकार का बेहतरीन फैसला साठ साल बाद आया। अब सजायाफ्ता अफसरों के मैडल छीने जाएंगे। पहला मैडल एसपीएस राठौर का छीना गया। नई पॉलिसी का सेहरा भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के सिर बंधेगा। उनने ही मैडल छीनने की सिफारिश भेजी थी। जिस पर होम मिनिस्ट्री ने पॉलिसी बना दी। बात रुचिका मामले की चल पड़ी। तो बताते जाएं- पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने नई पहल की है। आदेश दिया है- 'उन पुलिस अफसरों, आईएस अफसरों, राजनीतिज्ञों की लिस्ट दी जाए। जिन पर मुकदमे अदालतों में विचाराधीन।' कोर्ट का इरादा अब ऐसे मामले बिना दबाव के जल्द निपटाने का। हाईकोर्ट की तारीफ की जानी चाहिए। पर यह भी याद रखें- इसी हाईकोर्ट ने ही राठौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला खारिज किया था। रुचिका के संबंधी सुप्रीम कोर्ट गए। तो सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर मोहर लगाई।

अदालतों की बात चल रही है। तो बताते जाएं- पटना हाईकोर्ट ने आरजेडी सांसद शहाबुद्दीन को जमानत दे दी। सिवान के सांसद हैं शहाबुद्दीन। मृत्यंजय नामक नौजवान की हत्या का मामला है शहाबुद्दीन पर। यह अलग बात। जो जेल से रिहा नहीं होंगे शहाबुद्दीन। एक और मामले में सजा भुगत रहे हैं वह। पर बात हो रही थी रुचिका की। तो अपनी लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार भी फिक्रमंद दिखी। प्रेस कांफ्रेंस का मुद्दा था- कामन वेल्थ स्पीकर कांफ्रेंस। पर बात चली। तो सवाल-जवाब के समय सांसदों की गैर हाजिरी पर भी हुई। उस पर भी स्पीकर की चिंता बरकरार थी। स्पीकर की बात चल ही रही है। तो बताते जाएं- सुषमा स्वराज ने गोपीनाथ मुंडे को पीएसी चेयरमैन बनाने की सिफारिश भेज दी। तो अपनी तेईस और इकतीस दिसंबर को लिखी बात गलत निकली। अलबत्ता पहले दिन उन्नीस दिसंबर को लिखा ही सही निकला। तब अपन ने लिखा था- 'आडवाणी के नाम का प्रस्ताव पास किया यशवंत सिन्हा ने। तो इसे अब आप नई शुरूआत मानिए। अलबत्ता यशवंत सिन्हा को नई जिम्मेदारी का इशारा समझिए। पीएसी नहीं, तो विदेश मामलों की स्टेंडिंग कमेटी के चेयरमैन होंगे। सुषमा यह पद छोड़ देंगी।' सो यशवंत सिन्हा अब विदेश मामलों की कमेटी के चेयरमैन होंगे। गोपीनाथ मुंडे की तो लाटरी खुल गई। विपक्ष के उपनेता भी, पीएसी के चेयरमैन भी। पिछली लोकसभा में विजय कुमार मल्होत्रा के पास थे दोनों पद। पर ठंड से ठिठुर रही दिल्ली में सबसे ज्यादा राजनीतिक गरमी रही तेलंगाना की। पहले बात ठंड की। तो सोमवार का अधिकतम तापमान ही रिकार्ड तोड़ गया। न्यूनतम की तो बात क्या करनी। अधिकतम ही 14 डिग्री पर अटक गया। आमतौर पर इन दिनों 20-21 होता था। पहाड़ों पर बर्फबारी भी सालों से ऐसी नहीं हुई थी। सो इस बार भले ही सेब आम आदमी के बस में न रहे हों। अगली बार सेबों की बाढ़ आएगी। जो आम आदमी के हिस्से में भी आएंगे। अब बात तेलंगाना की। तो चंद्रशेखर राव तेलंगाना की आग भड़काकर पहली बार दिल्ली पहुंचे। वैसे आग चंद्रशेखर राव ने कम भड़काई। सोनिया गांधी के जन्मदिन ने ज्यादा भड़काई। अभिषेक मनु सिंघवी बता रहे थे- 'तेलंगाना का ऐलान करने में जल्दबाजी हो गई।' वैसे मनमोहन सिंह एक फोन कर देते। तो चंद्रशेखर राव आमरण अनशन तोड़ देते। कांग्रेस की जल्दबाजी चंद्रशेखर राव के कारण नहीं हुई। कांग्रेस की जल्दबाजी सोनिया के जन्मदिन के कारण हुई। अब भुगते कांग्रेस और मनमोहन सरकार। तो बात सरकार की। जब आग पूरी तरह भड़क गई। तो चक्रव्यूह से निकलने का रास्ता नहीं सूझ रहा। सोमवार को आंध्र के सारे नेता दिल्ली आ गए। गवर्नर नरसिम्हन, सीएम के रोसैया, स्पीकर किरण कुमार रेड्डी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी श्रीनिवास। चिरंजीवी भी पहुंच गए। आज की मीटिंग से पहले सोमवार की कसरत बता दें। पीएम के घर पर रोसैया, मोइली, प्रणव, एंटनी, चिदंबरम सिर जोड़कर बैठे रहे। गवर्नर ने भी जल रहे आंध्र की रपट चिदंबरम को सौंप दी थी। सो राष्ट्रपति राज की अफवाहें भी उड़ी। पर बात आज की आल पार्टी मीटिंग की। जिससे निकलना-निकलाना कुछ नहीं। सरकार का इरादा मीटिंग-दर-मीटिंग का। ताकि वक्त निकल जाए। शरद यादव ने तो नेशनल इंटेग्रेशन काउंसिल मीटिंग की मांग कर दी। पर चंद्रशेखर राव ने कहा- 'संवैधानिक प्रक्रिया शुरू की जाए। केंद्र संसद में प्रस्ताव लाए।' पर बात कांग्रेस की। तो कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष को मीटिंग में नहीं भेज रही। अलबत्ता दो एमएलए जाएंगे। संयुक्त आंध्र के समर्थक केएस राव और तेलंगाना समर्थक उत्तम कुमार। कांग्रेस मीटिंग में भी खुद को बंटा हुआ दिखाएगी।

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