चिदंबरम बोले- सो जाओ नहीं तो भालू आ जाएगा

Publsihed: 06.Jan.2010, 09:52

तो अपन बात कल से ही शुरू करें। अपन ने लिखा था- 'कांग्रेस तो खुद बंटी हुई दिखेगी तेलंगाना मीटिंग में।' आखिर कांग्रेस ने के.एस. राव और उत्तमकुमार को भेजा था। मकसद था- दोनों अपनी-अपनी बात कह दें। पर जब मीटिंग से पहले ही जगहंसाई होने लगी। तो सोमवार की रात प्रणव दा ने दोनों को तलब किया। दोनों के हाथ में चार लाईन का बयान थमा दिया। कहा- 'मीटिंग में जाकर सिर्फ यह बयान पढ़ना है।' पता है न- प्रणव दा मामलों को सुलझाने और लटकाने के कितने माहिर। पिछली लोकसभा में पांच साल तेलंगाना कमेटी के अध्यक्ष रहे। पर कोई रिपोर्ट नहीं आई। सो प्रणव दा ने दोनों के हाथ में जो चार लाईनें थमाई। उनमें लिखा था- 'हम केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि वह विचार-विमर्श का ढांचा तैयार करें।' पर बाहर आकर दोनों ने वह बात कही। जो उनने अंदर कही ही न थी। उत्तम कुमार बोले- 'मैंने तय समय सीमा के भीतर तेलंगाना के गठन की मांग रखी।' के.एस. राव बोले- 'मैंने युनाइटेड आंध्र प्रदेश का पक्ष लिया।' पर जो लड़ाई कांग्रेसी नुमाइंदों में नहीं हुई। वह टीडीपी के नुमाइंदों में जमकर हुई।

येनामल्ला रामकृष्णनन ने युनाइटेड आंध्र का पक्ष लिया। तो प्रकाश रेड्डी ने तेलंगाना का। रेड्डी ने कहा- 'सरकार 9 दिसंबर के तेलंगाना वाले बयान पर कायम रहे। जल्द से जल्द तेलंगाना बनाया जाए।' चिदंबरम ने मीटिंग बुलाई थी संकट का हल निकालने क लिए। जो खुद उनके बयान से शुरू हुआ। तो खरी-खरी सुनाई टीडीपी के येनामल्ला रामकृष्णनन ने। उनने कहा- 'अब जो हमसे हल पूछ रहे हो। तो यह पहले पूछना था। समस्या खुद पैदा की है। अब समस्या से निकलने का हल हमसे पूछ रहे हो। पहले सरकार बताए- उसका रोडमैप क्या है। फिर हम बताएंगे। जब तमिलनाडु की बंटवारे की मांग हो। या महाराष्ट्र के बंटवारे की मांग हो। तो केंद्र कहता है- समस्या को दबा दो। पर जब बात तेलंगाना की उठी। तो आपने 9 दिसंबर को ऐलान कर दिया।' बात कड़वी थी। पर पी. चिदंबरम को निगलनी पड़ी। फिर भी उनने सफाई दी- 'यह गलत धारणा है कि केंद्र सरकार ने जल्दबाजी की। राजनीतिक दलों से सलाह-मशविरा नहीं किया। मुझ पर आरोप है- मैंने बतौर गृह मंत्री जल्दबाजी की। पर यह ठीक नहीं है।' अब यह अपन तो नहीं कह रहे। सोमवार को यह कहा था अभिषेक मनु सिंघवी ने। उन्हीं ने कहा था- 'तेलंगाना का ऐलान करने में जल्दबाजी हो गई।' चिदंबरम कहते हैं- 'जल्दबाजी नहीं हुई।' चिदंबरम सही कहते हैं। उस दिन सोनिया का जन्मदिन न  होता। तो तेलंगाना के तोहफे का ऐलान भी न होता। पर सोनिया के सिर ठीकरा तो नहीं फोड़ सकते चिदंबरम। सो उनने तेलंगाना के लंबे इतिहास को ढाल बनाया। सात दिसंबर की हैदराबाद में हुई आल पार्टी मीटिंग को आधार बनाया। उनने बताया- 'मई 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने चुनाव घोषणा-पत्र में तेलंगाना का समर्थन किया था।' वैसे सनद रहे सो याद दिला दें- 2004 में जब मनमोहन सिंह की पहली सरकार बनी। तो राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी तेलंगाना बनाने का जिक्र था। जो मनमोहन सरकार पांच साल भूली रही। चंद्रशेखर राव को तो पहले मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। फिर संसद छोड़नी पड़ी। पर कांग्रेस नहीं मानी। कांग्रेस मानी सिर्फ सोनिया के जन्मदिन पर तोहफा देने के लिए। खुद समस्या खड़ी करके मीटिंग में चिदंबरम बोले- 'समस्या का हल न निकला। तो माओवादी मौके का फायदा उठाएंगे।' यह तो वही बात हुई। रोते हुए बच्चे को जैसे मां डराती है- 'सो जाओ, नहीं तो भालू आ जाएगा।' बात चल रही थी केसीआर की। तो उनने साफ-साफ कहा- 'सरकार कमेटी बनाए। बात शुरू करे। समय सीमा में तेलंगाना बनाए।' यों चिदंबरम ने बुधवार को बातचीत के लिए बुलाया है केसीआर को। पर आप पूछेंगे- मीटिंग से निकला क्या। तो निकला वही, जो अपन ने कल कहा था। अपन ने लिखा था- 'निकलना-निकलाना कुछ नहीं। सरकार का इरादा मीटिंग-दर-मीटिंग का। ताकि वक्त निकल जाए।' चिदंबरम ने मीटिंग से बाहर निकलते हुए कहा- 'मुझे लगता है कोई भी ग्रुपों और सहयोगियों के साथ बातचीत के खिलाफ नहीं।' यानि नौकरशाहों या राजनीतिज्ञों की एक कमेटी बनेगी। भले ही वह पिछली प्रणव मुखर्जी जैसी न हो। जिसने कभी रिपोर्ट ही नहीं दी। चिदंबरम को भरोसा है- समय सीमा में हल निकल आएगा। पर अपन ने कल बात राष्ट्रपति राज की अफवाहों की भी बताई थी। तो बता दें- असदउदीन ओवैसी ने राष्ट्रपति राज की मांग रखी। उनने भी चिदंबरम को खरी-खरी सुनाई। बोले- 'मैं अपनी पार्टी की राय नहीं बताऊंगा। यहां राय बताने का कोई फायदा नहीं। कमेटी बनाइए। उसमें बताऊंगा। फिलहाल तो आप फोरन राष्ट्रपति राज लगाइए। कानून-व्यवस्था ठप हो चुकी।' बड़ी मुश्किल से सीएम बने हैं रोसैया। चुप्पी साधकर बैठे रहे। हां, टीआरएस के अलावा दो और पार्टियां थी। जिनने खुल्लमखुल्ला तेलंगाना का समर्थन किया। बीजेपी और सीपीआई। सीपीएम और चिरंजीवी की प्रजा रायम ने मुखालफत की।

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