यूपीए के गले में महंगाई, भ्रष्टाचार, बाबरी का फंदा

Publsihed: 19.Nov.2009, 09:53

अपन ने कल सवाल उठाया था- 'ओबामा-जिंताओं की आपसी बात में भारत-पाक जिक्र क्यों?' विदेश मंत्रालय के अपने प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने भी यही एतराज उठाया। भारत-पाक संबंधों में चीन का दखल अपन को मंजूर नहीं। पर पाक को मंजूर। सो ओबामा की यह हरकत अपने लिए खतरे की घंटी। बुधवार को अमेरिकी राजदूत ने सफाई दी- 'राष्ट्रपति खुद मनमोहन को बात का ब्योरा देंगे।'मनमोहन अगले हफ्ते अमेरिका में होंगे। भारत के बुधवार को दिखाए तेवर तो काबिल-ए-तारीफ। पर क्या 24 नवंबर को मनमोहन के तेवर ऐसे ही रहेंगे। अपन को शक। बात अमेरिका-चीन की होगी। तो आज से शुरू सेशन में अरुणाचल और दलाई लामा की भी होगी। देश की सरहदों में घुसे चीनी हेलीकाप्टरों की भी होगी। सर-जमीं हिंदुस्तान छोड़ते ही मनमोहन को तेवर बदलने की आदत। बात सर जमीं की चली। तो वंदेमातरम् की बात करते चलें।

मुस्लिम समाज की तरफ से अच्छे संकेत आने लगे। अपन ने सलमान खुर्शीद और फारुख के फतवा विरोधी तेवर बताए ही थे। पर नेताओं की जुबान का क्या भरोसा। अपन को भरोसा मुस्लिम समाज पर। अपन को असली खुशी तब मिली। जब बेतुल में मुस्लिमों ने मस्जिद के सामने खड़े होकर वंदेमातरम गाया। दूसरी खुशी तब हुई। जब गुजरात के डीजीपी खंडवावाला ने लेख में लिखा- 'नमाज पढ़ने वाला हर मुसलमान जमीन को माथे से छू कर नमन करता है। सच्चा मुसलमान मां के पैर तले जन्नत मानता है। यही धरती हमें पाल पोसकर बड़ा करती है। सो उसे मां कहना और वंदना करना हर मुसलमान का फर्ज।' उनने लिखा, पैगम्बर साहब ने कहा था- 'वंदन, सम्मान और सलाम की हकदार मां। पिता का होता है चौथा स्थान।' बुधवार को अपन और ज्यादा खुश हुए। जब 117 मुस्लिम विद्वान खुलकर जमात-ए-हिंद के खिलाफ बोले। पर बात चली थी आज से शुरू होने वाले शीत सत्र की। यों तो हर सेशन से पहले हंगामें के मुद्दे ढूंढना अपन खबरचियों की आदत। पर इस बार हंगामें के मुद्दे राजनीतिक कम। जनसमस्याओं से जुड़े ज्यादा होंगे। पर पहले बात सरकार की। पवन बंसल बता रहे थे- 'छह बिल लोकसभा में पेंडिंग। तेरह राज्यसभा में। सरकार की लिस्ट में 62 नए बिल। फाइनेंस, रेलवे, झारखंड की सप्लीमेंट्री डिमांड भी पास होगी। पर बात नए बिलों की। तो उनमें से चार अध्यादेश। एक अध्यादेश तो गन्ने की कीमतों पर। जिस पर पहले ही दिन हंगामा होगा। इस मसले पर समूचा विपक्ष एकजुट। बागडोर होगी अजित सिंह के हाथ। संसद के बाहर घेराव होगा। भीतर हंगामा। पर बात पूरे सेशन की हो। तो उसमें बड़े मुद्दे होंगे- मंहगाई और भ्रष्टाचार के। यूपीए दोनों मुद्दों पर घिरेगी। मधु कोड़ा और ए.राजा यूपीए की ही देन। एक का घोटाला 4000 करोड़ का। तो दूसरे का 60000 करोड़ का। मंहगाई का तो पूछो मत। बुधवार को दिल्ली में टमाटर 50 रुपए किलो मिले। अपन को संसद में मनमोहन-पवार की सफाई का इंतजार। पर मनमोहन-पवार जितने ही घिरेंगे पी. चिदंबरम भी। यों तो हर छह दिसंबर को संसद में हंगामे का रिवाज। पर इस बार हंगामा कुछ खास होगा। वजह बाबरी ढांचा टूटने की सत्रहवीं बरसी नहीं। अलबत्ता लिब्राहन आयोग की रपट होगी। ढांचा टूटने के दसवें दिन सोलह दिसंबर 1992 को बना था आयोग। इसी साल तीस जून को आयोग ने रपट दी। सो तीस दिसंबर तक संसद में एटीआर के साथ रपट पेश करना जरूरी। पर बुधवार को जब पवन बंसल मीडिया के सामने आए। तो बंसल को भनक तक नहीं थी। पूछा, तो बोले- 'चिदंबरम से पूछकर बताऊंगा।' यों सेशन 21 दिसंबर तक। सुनते हैं आयोग की रपट दोधारी तलवार। सो फूंक-फूंक कर कदम रख रही है सरकार। क्या आखिरी दिन 21 दिसंबर को पेश होगी रपट। या नौ दिन बचे होने का बहाना बनाकर टालेगी सरकार। रपट में आडवाणी-जोशी, कल्याण-उमा का जिक्र होगा ही। क्या आडवाणी को जाते-जाते हीरो बनने का मौका मिलेगा। क्या नेता पद के साथ संसद भी छोड़ देंगे आडवाणी। उनने हवाला के वक्त भी ऐसा किया था।

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