तो 26/11 की निगरानी कर रहे थे हेडली-राणा

Publsihed: 17.Nov.2009, 21:18

शनिवार को अपन ने खुफिया तंत्र की पोल खोली। तो अपन ने नागरिकता पहचान पत्र का मुद्दा उठाया था। यों तो नीलकेणी उस काम में जुट चुके। पर काम की रफ्तार बेहद धीमी। उसमें भी फिर कितने सुराख निकलेंगे। अपन अभी क्या कहें। जब पासपोर्ट बनाना मुश्किल नहीं। तो नागरिकता पहचान पत्र क्या मुश्किल होगा। कितने ही बांग्लादेशियों ने राशन कार्ड बनवा लिए। वोटर बनकर सरकारें बनाने का जिम्मा ले लिया। जी हां, कुछ पार्टियों की सरकार बनाने के ठेकेदार हैं अब बांग्लादेशी। वही उन्हें भारत से बेदखल नहीं होने देते। बेदखल की बात चलेगी। तो मानवता की दुहाई देंगे। पर अपन बात कर रहे थे फर्जी पासपोर्ट की। पाकिस्तानी जासूस सईद अमीर अली एयरपोर्ट पर पकड़ा गया। लखनऊ से भारतीय पासपोर्ट बनवा चुका था। मंगलवार को दो सहयोगी पकड़े गए। पासपोर्ट बनवाने में सहयोगी थे मो. अरशद और चांद। दोनों भारतीय।

भारतीय अरशदों और चांदों की बात छोड़िए। अपने यहां तो जयचंदों का इतिहास भरा पड़ा। छोडिए जयचंदों को। आप तो अपने शिकागो के दूतावास से पूछिए। हेडली और राणा को बार-बार भारत का वीजा कैसे देते थे। मंगलवार को अपने विदेश मंत्री एसएम कृष्णा बोले- 'वीजा कैसे दिया गया। इसकी जांच होगी।' अपन ने उस दिन ही बताया था। हेडली तो तीन साल में बारह महीने भारत में रहा। अपनी सारी खुफिया एजेंसियां सोई रहीं। चलो पुणे के ओसो आश्रम में दो बार जाने की बात छोड़ भी दो। पिछले साल 24 जून और इस साल 10 मार्च को गया था। आतंकियों के 'ध्यान' लगाने की विरोधाभासी बातें गले नहीं उतरती। पर हेडली पाक हाई कमीशन के संपर्क में भी था। यों अभी तक सरकार पुष्टि नहीं कर रही। पर हाई कमीशन से सेटेलाइट फोन मिला था। यह बात छनकर बाहर आ गई। अमेरिकी-यूरोपीय देशों की बात छोड़िए। पाकिस्तानी हाई कमीशन पर तो निगाह रखनी चाहिए अपन को। अपने मनमोहन भाई पाकिस्तान पर जितना चाहे भरोसा करें। शर्म-अल-शेख में जाकर जख्म भूल जाएं। या वाशिंगटन-न्यूयार्क जाकर। पर अपन कितने जख्म भूलेंगे। बीएसएफ के चीफ रमण श्रीवास्तव की बात सुनी आपने। मंगलवार को उनने कहा- 'पाकिस्तानी आर्मी और रेंजर करवा रहे हैं घुसपैठ।'  यानी पाक ने आतंकियों को भेजना बंद नहीं किया। पर अपने मनमोहन भाई भारतीय नहीं, अमेरिकी चश्मे से देखने के आदी। अब कोई बाराक ओबाम से पूछे। या हू-जिंताओं से पूछे। आपसी बातचीत में भारत-पाक का जिक्र क्यों। दोनों जानते हैं- अपन को तीसरे देश का दखल मंजूर नहीं। पर तीसरे देश को न्योते का पाकिस्तानी दबाव काम कर रहा। तभी तो मनमोहन बार-बार अमेरिकी दबाव में आते दिखते हैं। पर बात ओबामा और हू जिंताओ की। तो दोनों ने आपसी बातचीत में कहा- 'भारत-पाक में रिश्ते सुधारने का समर्थन करेंगे।' चीन अपनी जमीन दबाकर बैठा है। कश्मीर पर भी वह पाक के साथ। अमेरिका पर भी अपन भरोसा नहीं कर सकते। तिब्बत के मुद्दे पर अमेरिका को पलटते देख लिया अपन ने। तिब्बत विरोधी चीन-अमेरिका की जुगलबंदी देख अपन हैरान। अमेरिका ने पहले कभी तिब्बत को चीन का हिस्सा नहीं कहा। जैसे मंगलवार को ओबामा ने कहा। यों अपन को ओबामा की आलोचना का हक नहीं। अपने नेहरू और वाजपेयी भी यही कर चुके। पर अपन बात कर रहे थे हेडली और राणा की। राणा तो इमीग्रेशन का दफ्तर खोलकर बैठ गया था। याद है अपन ने 14 नवंबर को लिखा था- 'क्लीन चिट लेने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे महेश भट्ट।' क्लीन चिट की खबरें भी छपवाई। पर अब खुलासा हुआ- 'हेडली को राहुल ने कम से कम आठ फिल्मी हस्तियों से मिलवाया। जिनमें दो तो जानी-मानी हीरोईनें।' पर उससे भी महत्वपूर्ण बात हेडली-राणा के मुंबई हमले से लिंक की। एफबीआई का नया खुलासा है- 'हेडली-राणा 26 नवंबर को पाक में बैठे मुंबई हमले की निगरानी कर रहे थे। उनकी हमलावरों से बात भी हुई।' अब एफबीआई भारत भेजेगी हेडली -राणा की आवाज के सैंपल।

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