जगनमोहन के दूत ने छुटा दिए हाईकमान के पसीने

Publsihed: 10.Sep.2009, 00:11

तो कांग्रेस की ओवरहालिंग कब होगी। एसेंबली चुनावों से पहले या बाद में। राजशेखर रेड्डी की मौत न होती। तो अब तक हो गई होती ओवरहालिंग। यों अपना अनुभव बताएं। तो कई बार टलकर कई महीने लटक जाती है ओवरहालिंग। चुनावों से पहले हुई। तो बीके हरिप्रसाद को हरियाणा मिलने की उम्मीद। वह चुनावों में पृथ्वीराज चव्हाण के साथ जुड़ चुके। यों तो पृथ्वीराज जुगाड़ू। पर कर्नाटक की नैय्या पार नहीं लगा पाए थे। बुधवार को हरियाणा के आबर्जवरों की मीटिंग हुई। तो पृथ्वीराज, हरिप्रसाद, हनुमंत के साथ विप्लव ठाकुर भी दिखी। बात हरियाणा की चली। तो अपने मूलचंद मीणा बोले- 'अब कांग्रेस को कोई खतरा नहीं। भजन-माया का गठजोड़ रहता। तो हुड्डा को मुश्किल होती।'

पर अपना अंदाज कड़ी टक्कर का। पंजाबी- गैर जाट बीजेपी-भजन के साथ जुटेंगे। दोनों को महंगाई का फायदा होगा। कांग्रेस को महंगाई का नुकसान। दलित मायावती के साथ जाएंगे। जाट हुड्डा-चौटाला में बंटेंगे। सो कांग्रेस की टक्कर बीजेपी-भजन से होगी। ताकि सनद रहे, सो बताते जाएं। पिछला चुनाव कांग्रेस भजन की रहनुमाई में लड़ी। भजन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। सोनिया ने सीएम नहीं बनाया। तो कांग्रेस छोड़ दी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी चौटाला के साथ जाकर डूबी। पर भजनलाल अपनी सीट निकाल ले गए। बीजेपी को गलती का एहसास तब हुआ। जब चिड़िया चुग गई खेत। पर कांग्रेस दफ्तर में गहमा-गहमी भले हरियाणवियों की हो। बगल वाली कोठी में आंध्र वालों की गहमा-गहमी रही। बगल वाली कोठी यानी दस जनपथ। अपन आंध्र की बात तो करेंगे ही। पर पहले बात सोनिया की। एसएम कृष्णा और थरूर के फाइव स्टार होटल से हटने की बात हुई। तो सेहरा सोनिया के सिर बांधने की मुहिम। कांग्रेस में सेहरा कोई अपने सिर नहीं बांध सकता। सो बुधवार को खबर फैलाई- 'सोनिया ने ही दोनों को होटल से हटने के लिए प्रणव दा से कहलाया।' अब यह खबर इसलिए। ताकि सेहरा प्रणव दा के सिर न बंधे। वैसे अपन को दोनों के होटल में रुकने पर एतराज समझ नहीं आया। अपनी जेब से पैसा दे रहे थे। किसी को क्यों एतराज। यों कोठियों की रेनोवेशन-रख रखाव से फाईव स्टार सस्ते। मंत्रियों को फाइव स्टार का मोह हो। तो सरकार कोठियां किराए पर चढ़ाकर मंत्रियों को 'अशोका'  में भेज दें। पर अपन बात कर रहे थे दस जनपथ की गहमा-गहमी पर। सोनिया ने एक बार तो जगमोहन की जुबान बंद कर दी। पर यह जुबान ऐसे बंद होने वाली नहीं। सो सोनिया खुद हल निकालने में जुट गई। प्रणव दा की टीम तब तक हैदराबाद नहीं जाएगी। जब तक हल न निकले। जगनमोहन के दूत रामचंद्र राव दिल्ली पहुंच चुके। वही हैं जगनमोहन मुहिम के अगुवा। मंगलवार रात सोनिया ने बुलाकर बात की। एक घंटा चली मीटिंग। हल नहीं निकला। सोनिया हल निकाल चुकी होती। तो वीरप्पा मोइली यह न कहते- 'हल इतना आसान भी नहीं।' यानी जगन खेमा खम ठोक चुका। बुधवार को दो मंत्री रोसैया की केबिनेट मीटिंग में नहीं गए। रघुवीरा रेड्डी- जुपल्ली कृष्णाराव। दोनों ने शपथ लेने से भी इंकार किया था। पर बात दिल्ली की। रामचंद्र राव की मंगल को सोनिया से मुलाकात हुई। तो बुध को मनमोहन सिंह से। पर मोइली बता रहे थे- 'जगनमोहन को केन्द्र में स्टेट मिनिस्टर बनाने पर नहीं सोचा।' अपन बता दें- जगनमोहन समर्थकों को यह फार्मूला कबूल नहीं। सो अब डिप्टी सीएम बनाने पर विचार। पर धुकधुकी बंधी है आलाकमान की। कांग्रेस आंध्र में बहुत कम बहुमत से भयभीत। वीरप्पा मोइली बता रहे थे- 'रेड्डी परिवार की उपेक्षा आसान नहीं।' तभी तो सोनिया दिनभर आंध्र के सांसदों से मिली। जयपाल रेड्डी, केएस राव, आरपी सांबाशिवाराव, पी प्रभाकर, राजैया, सुरेश शेटकर, बलराम नायक। और अपनी रेणुका चौधरी भी। जो इस बार हार गई। संकट मोचक प्रणव दा के भी पसीने छूट गए। सो हैदराबाद जाना टला। सोनिया-मनमोहन के बाद प्रणव दा भी मिले रामचंद्रराव से।

आपकी प्रतिक्रिया