मनमोहन संसद में सफाई दें, सोनिया फिर करेगी फैसला

Publsihed: 28.Jul.2009, 09:41

जनार्दन द्विवेदी ने बयान जारी किया। तो अपन को लगा- अब धुंध छंट जाएगी। सोनिया का आशीर्वाद मिल चुका। अब मनमोहन के स्टैंड का समर्थन होगा। न यूसुफ रजा गिलानी से साझा बयान पर संशय। न जी-8 में हुए गड़बड़झाले पर। जनार्दन द्विवेदी का बयान बिना राय मशविरे के नहीं हुआ होगा। सोनिया के इशारे पर ही हुआ होगा। आखिर शुक्रवार की रात कोर कमेटी हो गई थी। मनमोहन के घर पर हुई कोर कमेटी में सोनिया पहुंची। तो मनमोहन ने तीनों-चारों विवादों पर सफाई दी। सो अपन ने समझा- जनार्दन का बयान उसी कोर कमेटी का नतीजा। पर एक शक जनार्दन द्विवेदी के ताजा बयान के बाद भी। बुधवार वाले जयंती के बयान को याद करिए।

उनने कहा था- 'पार्टी पीएम के साथ खड़ी है।' और जनार्दन द्विवेदी ने भी सोमवार को वही कहा। दोनों के बयान में ज्यादा फर्क नहीं। पर द्विवेदी का थोड़ा कूटनीतिक किस्म बयान। पहले अपन बता दें- जनार्दन द्विवेदी ने कहा क्या। उनने कहा- 'पार्टी को भरोसा है कि प्रधानमंत्री 29 जुलाई को संसद में बोलेंगे। तो तमाम अटकलों-आशंकाओं-भ्रांतियों को विराम दे देंगे।' यानी सोनिया ने मनमोहन को सफाई देने का कहा है। वह संसद में सफाई देकर आशंकाएं दूर करें। पर बात आशंकाओं की चली। तो जरा उस पर चर्चा हो जाए। मिस्र वाले साझा बयान में दो बातें घोर आपत्तिजनक। पहली- 'द्विपक्षीय मुद्दों को आतंकवाद से अलग करना।' दूसरी- 'बलूचिस्तान को साझा बयान में शामिल करना।' तो आशंकाएं सिर्फ विपक्ष की नहीं। आशंकाएं कांग्रेस में भी कम नहीं। सबसे पहले मनीष तिवारी का बयान। कहा- 'पार्टी न साझा बयान के पक्ष में, न खिलाफ।' दूसरा बयान अभिषेक मनु सिंघवी का। हू-ब-हू वही। जो पहले दिन मनीष तिवारी ने कहा। ताकि सनद रहे। सो बता दें- दोनों बयान मनमोहन के संसद में बयान के बाद आए। यानी कांग्रेस संसद में दिए बयान से संतुष्ट नहीं थी। कोर कमेटी में जब मनमोहन सिंह ने सफाई दे दी। तो भी पार्टी संतुष्ट नहीं। देखिए सोमवार को क्या हुआ। द्विवेदी का बयान सोनिया-मनमोहन मतभेदों को दबाने की कोशिश थी। पर ब्रीफिंग में सिंघवी ने मतभेद दबने नहीं दिए। उनने फिर वही कहा- 'पार्टी साझा बयान का न तो समर्थन करती है, न विरोध।' वही पुराना स्टैंड। अब अपन ताजा हालात बता दें। कांग्रेस में गुटबाजी शिखर पर। सोनिया दोनों पक्षों को सुनने के पक्ष में। एक गुट मनमोहन को घेरने का हिमायती। तो दूसरे गुट की राय-'अपने ही पीएम की इतनी छीछालेदार ठीक नहीं।' अपन को एक नेता ने कहा- 'साझा बयान के बहाने मनमोहन को कड़ा संदेश दे दिया। अपने बचाव का पूरा मौका भी दे दिया। अब वह 29 को संसद में अपनी सफाई दें। फिर 30 जुलाई को कांग्रेसी सांसदों को भी सफाई दें। इसके बाद सोनिया समर्थन करेंगी। आखिर अपने ही पीएम के खिलाफ क्यों खड़ी होगी कांग्रेस।' अपन को इस बात में कोई संदेह नहीं लगता। सोनिया खुद 30 जुलाई को मनमोहन का बचाव करेंगी। तीस जुलाई को बादल छटेंगे। पर लाख टके का सवाल दूसरा। तीस को ही क्यों। सोनिया ने मनमोहन की दलीलें मान ली होती। तो कांग्रेस का साफ रुख संसद में बयान से पहले होता। पर सोनिया ने मनमोहन को घेरने का पूरा मौका दिया। विपक्ष को भी। मीडिया को भी। संसद को भी। कांग्रेसी सांसदों को भी। बता दें- आज एनडीए के सांसद राष्ट्रपति से मिलेंगे। दोपहर एक बजे आडवाणी की रहनुमाई में। यों इसमें राष्ट्रपति की भूमिका नहीं होगी। न ही वह मेमोरेंडम पर कोई एक्शन लेंगी। ममोरेंडम तो पीएम को तब फारवर्ड होगा। जब एनडीए बुधवार को संसद में मनमोहन को घेर चुका होगा। कांग्रेसी सांसद गुरुवार को घेरेंगे। फिर आएगा कांग्रेस का समर्थन। पर बलूचिस्तान पर बचाव की मुद्रा अपनाते हुए। विदेशमंत्री और विदेश सचिव पर गिरेगी गाज। शायद विदेशमंत्री एसएम कृष्णा भी नप जाएं। सलमान खुर्शीद तैयार बैठे हैं। सोमवार को वह मनमोहन के बचाव में आए। एक बात तो साफ- मनमोहन का कुछ बिगडेगा नहीं। अपनी पार्टी के कुछ नेता भले कितनी खुराफात करें। अमेरिका का समर्थन सब पर भारी पड़ेगा।

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