इटली ने चौंकाया देश को, सोनिया को भी

Publsihed: 14.Jul.2009, 11:02

सावन का पहला सोमवार भी बीत गया। मेघ नहीं बरसे। बरसने की रिहर्सल करते रहे। इटली से लौटे पीएम ने मायूस होकर समीक्षा की। मौसम विभाग ने वही चंडूखाने की पेली। कहा- ''देर से ही सही। आज आएगा मानसून। घबराइए नहीं।'' मनमोहन अब बेफिक्र होकर पांच दिन फ्रांस और मिस्र में बिताएंगे। तो एक उम्मीद बंधी रहेगी। पर फिलहाल इटली की। सोमवार को लोकसभा में दो बार इटली का जिक्र आया। सो सोनिया रह रह कर चौंकी। एक का संबंध तो मनमोहन के दौरे से। दूसरे बार इटली का जिक्र मुलायम ने किया।

मुलायम ने जब इटली का जिक्र किया तो सोनिया के कान खड़े हुए। आखिर 1999 मे इटली मूल का सवाल उठाकर अड़चन बने थे मुलायम। मुलायम ने भी जानबूझकर इटली का जिक्र किया। चाहते तो चीन का कर लेते। रूस का कर लेते। हुआ यों कि सवाल जवाब हो रहा था - एचआरडी पर। कपिल सिब्बल विदेशी यूनिवर्सिटियों की पैरवी कर रहे थे। तभी मुलायम ने सावधान किया। बोले- 'फिर देश को गुलामी की तरफ मत धकेलो। विदेश विश्वविद्यालय अंग्रेजी और अंग्रेजी संस्कृति पढ़ाएंगे। दुनिया के सिर्फ सात देशों में बोली जाती है अंग्रेजी।  मैं इटली गया था। तो वहां बिना इंटरप्रेटर के किसी को अंग्रेजी समझ नहीं आई। 'इटली का नाम सुना। तो सोनिया चौंकी।  पीछे बैठे आनंद शर्मा से पूछा-' क्या कह रहे हैं मुलायम?' आनंद शर्मा ने अंग्रेजी में समझाया। तो सोनिया ने सिर हिलाया। पर बात कपिल सिब्बल की। उनने कहा -'विदेशी यूनिवर्सिटियां वहीं पढ़ाएंगी जो यहां नहीं पढाया जा रहा है।' तो अपन बता दें-एमबीए विदेशी यूनिवर्सिटियों का खास शगल। जो अपने यहां जगह-जगह कुकरमुत्ते की तरह उगे कॉलेजों में मौजूद। अपन उदाहरण के लिए बता दें। ब्रिटिश डब्ल्यूएलसी की चार ब्रांचें खुल चुकी है इंडिया में।  कोई सिलेबस ऐसा नहीं। जो अपने यहां पहले से नहीं। पर बहुत ऊंचा खेल है। विदेशी युनिवर्सिटियों का। जो मुलायम को मंत्री बनने पर ही समझ आएगा। पर मुलायम अब मंत्री बनने से रहे। मुलायम -लालू-पासवान अब धीरे-धीरे विपक्ष की ओर। लालू ने तो आडवाणी के एजेंडे पर काम शुरु कर दिया। उस दिन अपन ने इलैक्ट्रोनिक इवीएम मशीनों पर आडवाणी का नजरिया बताया। अब लालू ने नारा दिया है - 'इवीएम मशीने हटाओ, मतपत्र लाओ।' आप खुद ही सोचिए। नवीन चावला के सीइसी बनते ही यह अविश्वास पैदा हुआ। वरना पहले कहां किसी को ऐतराज था। पर अपन बात कर रहे थे संसद की। तो संसद में सोमवार को एक और नजारा हुआ। कांग्रेसी सांसदों ने पहले गांधी की मूर्ति पर धरना दिया। फिर लोकसभा में हंगामा किया। मुद्दा था-नरेन्द्र मोदी। शराब कांड पर कांग्रेस की दुविधा खत्म हुई। शकील अहमद शुक्रवार को मोदी पर हमले से बचे। पर सोमवार को अहमद पटेल की रहनुमाई में धरना हुआ। शराब कांड पर मोदी से इस्तीफे की मांग हुई। तो बीजेपी को भड़कना ही था। वैंकेया नायडु बीजेपी ब्रीफिंग में बोले -'कांग्रेस राजनीति से बाज आए। कांग्रेस को मोदी पर हमले का बहाना चाहिए। ' बात शराब की चली। तो राजस्थान एसेंबली का किस्सा भी बताते चलें। जहां 8 पीएम रिकार्ड में आ गया। वसुंधरा राजे का भड़कना जायज ही था। बात ओछी राजनीति की चली तो अपन को याद आई उज्जैन की। जहां 26 अगस्त 2006 को प्रोफेसर सब्बरवाल की हत्या हुई। एबीवीपी के छह मेम्बर प्रोफेसर की पिटाई में पकड़े। कांग्रेस और कुछ मीडिया वालों ने खूब राजनीति की। शिवराज चौहान पर एबीवीपी की मदद का आरोप मढ़ा। मुकदमा नागपुर ट्रांसफर हुआ। ताकि सीएम प्रभावित न कर सकें। अब एबीवीपी के सभी छह मेम्बर बरी।  तो सिखियानी बिल्लियां खंभा नोंच रही होंगी। पर अपन संसद ही लौट चलें। जहां अपन बात कर रहे थे इटली की। जहां अभी-अभी मनमोहन  जी-8 से लौटे। जी-8 का फैसला बताते चलें। फैसला है-'एटमी टैक्नोलॉजी-ईंधन उसी को मिलेगा। जो एनपीटी पर दस्तख्त करें। ' तो अपने एटमी करार का क्या होगा। यह सवाल वासुदेव से लेकर सुषमा स्वराज तक ने उठाया। यह तो प्याज खाकर जूते खाने वाली बात होगी।

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