गांधी के गुजरात में शराब और हिंसा

Publsihed: 11.Jul.2009, 09:14

आसिफ अली जरदारी ने आखिर सच बोला। मुंबई में आतंकी हमला हुआ। तो जरदारी ने कहा था- 'पाक का कोई हाथ नहीं। पाकिस्तानी पकड़ा गया होगा। तो नान स्टेट एक्टर होगा।' वैसे कसाब के कबूलिया बयान का जिक्र अपन बाद में करेंगे। पहले राष्ट्रपति जरदारी की ही बात। उनने मान लिया- 'पाकिस्तान ने आतंकवाद को शह दी। आतंकवादियों को ट्रेनिंग दी। अब वही आतंकी पाक को बर्बाद करने पर उतारू।' यही बात तो अपन शुरू से कह रहे थे। यह बात जियाउल हक के बाद पाक का हर राष्ट्रपति जानता था। हर प्रधानमंत्रीं जानता था।

जियाउल हक ने तैयार की थी आतंकवाद की रणनीति। पहले पंजाब, फिर कश्मीर। तो अब जरदारी को यह भी मान लेना चाहिए- 'मुंबई के हमलावर भी उसी आतंकी ट्रेनिंग का ही हिस्सा थे।' अपन 'दि वीक' के दावे पर भरोसा करें। तो कसाब ने इंटेरोगेशन में मान लिया है- 'ट्रेनिंग पाक नेवी ने दी थी।' सो जरदारी का पहले वाला नान स्टेट एक्टर वाला बयान झूठा। वैसे झूठ बोलने की आदत सिर्फ पाकिस्तानी हुकमरानों को नहीं। इस मामले में अपन भी कम नहीं। अभी दो दिन पहले की बात। सुषमा स्वराज ने लोकसभा में कोसी बाढ़ राहत वापस मांगने का मुद्दा उठाया। तो पी चिदम्बरम ने खड़े होकर कहा था- 'केन्द्र सरकार ने कभी भी पैसा वापस नहीं मांगा।' तब शरद यादव भड़क गए थे। इतना भड़के कि स्पीकर मीरा कुमार भी फंस गई। कार्यवाही रोकनी पड़ी। शुक्रवार को उसी लोकसभा में प्रणव मुखर्जी ने मान लिया- 'हां, मुझे पता है चिट्ठी गई है। पर वह चिट्ठी टेक्निकल। मैं भरोसा दिलाता हूं। पैसा वापस नहीं वसूला जाएगा।' अब चिदम्बरम के बयान को सामने रखें। तो सोचो मंत्रियों के सौ दिनी वादों का क्या होगा। क्या वादे पूरे करेंगे? या कह देंगे- 'ऐसा वादा तो कभी किया ही नहीं।' सौ दिनों का एक वादा था- महिला आरक्षण का। पवन कुमार बंसल ने शुक्रवार को कह दिया- 'बजट सत्र में महिला आरक्षण बिल नहीं आएगा।' पूछा- 'सौ दिन के वादे का क्या होगा?' तो बोले- 'हमने यह कब कहा था- सौ दिन में पास कराएंगे। बात पहल की थी। स्टेंडिंग कमेटी बन गई। उसकी एक मीटिंग भी हो गई। तो हो गई पहल।' बात चली है बंसल की। तो बताते जाएं- पार्लियामेंट्री अफेयर मिनिस्टर ने बताया है- 'शिक्षा के हक का संशोधन बिल बीस को आएगा।' बात शिक्षा की चली। तो बता दें- सौ दिन में क्रांतिकारी बदलावों का ख्वाब संजोए सिब्बल बेहद खफा। एक मंत्री, एक महामंत्री ने फच्चर फंसा दिया। अब केबिनेट कमेटी की बात। सिब्बल केबिनेट कमेटियों की आदतों से बेहद खफा। फिर से काला कोट पहनने तक का गुस्सा। पर बात सौ दिनों के वादों की। अब वित्त राज्यमंत्री पिलानी मनक्कम को ही लें। उनने एक लिखित जवाब में बताया है- 'सरकार को विदेशों में जमा काले धन की कोई जानकारी नहीं।' याद दिला दें- राष्ट्रपति के अभिभाषण में काले धन लाने पर कार्रवाई की बात थी। काले धन की बात चली। तो काले धंधे का ख्याल आ गया। गुजरात में आजकल शराब के काले धंधे का जोर। अपन नहीं जानते शराब की तस्करी राजस्थान से या महाराष्ट्र से। या दोनों ही राज्यों से। सिर्फ तस्करी ही नहीं। कच्ची शराब की भी ढेरों भट्टियां। पुलिस और पॉलिटिशियन की मिलीभगत भी खुलेगी। शराबबंदी वाले गुजरात में सालों से चल रहा यह गोरखधंधा। जहरीली शराब से मौतें हुई। तो कांग्रेस को राजनीति का अच्छा मौका मिला। गोधरा में कार सेवक ट्रेन में जलाए गए। तो दंगों में सैकड़ों लोग मारे गए। भीड़ सड़कों पर निकल आई थी। जहरीली शराब पीकर लोग मरे। तो यूथ कांग्रेसियों की भीड़ सड़कों पर निकल आई। बसें नहीं छोड़ी, दुकानें नहीं छोड़ी, दफ्तर नहीं छोड़ें। करोड़ों का नुकसान किया। ऐसी हिंसा देख क्या गांधी खुश हुए होंगे।

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