ममता दीदी का लालू की धुलाई करने वाला बजट

Publsihed: 03.Jul.2009, 21:25

अपन को तो ममता का रेल बजट बढ़िया लगा। इसलिए नहीं, जो खबरचियों की पत्नियों-पतियों को तोहफा दिया। अलबत्ता इसलिए क्योंकि सबको कुछ न कुछ दिया। महिलाओं के लिए महिला ट्रेन। युवावों के लिए युवा ट्रेन। वह भी 1500 किमी तक 299 में। गरीब-गुरबों के लिए 'इज्जत' रखने वाला 25 रुपए का पास। लालू की तरह नहीं। जिनने एयरकंडीशंड गरीबरथ पर अमीरों को ऐश कराई। ममता ने सबसे बड़ा काम किया- रेलवे को नोट छापने वाली मशीन बनने से बचाया।

लालू ने तो नीतिश के करे-धरे पर पानी फेर दिया था। 'तत्काल' योजना नीतिश कुमार की थी। ताकि किसी को इमरजेंसी में कहीं जाना पड़े। तो आदमी पचास रुपए ज्यादा देकर चला जाए। पर लालू ने तो इसे धंधा बना लिया। रेट पचास से डेढ़ सौ कर दिया। आधी ट्रेन 'तत्काल' में ठोक दी। पांच दिन पहले से रिजर्वेशन शुरू कर दी। गरीब की मजबूरी का खूब फायदा उठाया। लालू ने जनता को बड़ी सफाई से लूटा। कहने को पांचों साल किराया-भाड़ा नहीं बढ़ाया। पर साल के बीच में हर बार बढ़ाया। पांच साल पहले के भाड़े से मिलाकर देख लो। पोल खुल जाएगी। खैर बात ममता की। रेलवे की कायापलट का बजट लगा अपन को तो। पर इंफ्रास्ट्रक्चर न बढ़ा। तो रेलवे एक्सीडेंट वैसे ही होंगे। जैसे सड़कों पर। इन्हीं ट्रेक पर कैसे चलेंगी 69 नई ट्रेनें। इनमें 12 तो नॉनस्टाप। फिर तेरह ट्रेनों के फेरे बढ़ेंगे। सत्ताईस का विस्तार होगा। तो सारा बोझ इसी ट्रेक पर पड़ेगा। यह तो अच्छा है- जो मालगाड़ियों के लिए दो गलियारों की योजना। आखिर वाजपेयी के साथ काम कर चुकी ममता। असर तो होगा ही। वाजपेयी ने 'स्वर्णिम चतुर्भुज' बनाया। तो ममता बनाएंगी- 'डायमंड रेल गलियारा।' लालू का दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा तो अभी हवा-हवाई ही। लालू के हवा-हवाई दावों की बात अपन बाद में करेंगे। पहले बात ममता की। ममता की भी कई योजनाएं देखने को भले भली लगें। पर बाद में जी का जंजाल बनेंगी। जैसे रेलवे के मेडिकल कालेज, नर्सिंग होम। केन्द्र सरकार ने फाइव स्टार होटल बनाकर हाथी पाले थे। जो बाद में बेचने पड़े। वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशनों का सपना तो मनोहरी। पर बन जाएं तो जानें। मिडिल क्लास व्यापारियों को तोहफा होगा। स्टेशन के साथ मल्टीप्लैक्स। जिसमें होगा बजट होटल। कामकाज निपटाने को दफ्तर। जिसमें इंटरनेट, फोन, फैक्स और स्नेक्स भी। ऐसा हुआ, तो रेलवे के इतिहास में अमर होंगी ममता। माधवराव सिंधिया की शताब्दी ट्रेनें क्रांति लाई। तो अब ममता की बारह एयरकंडीशन नॉनस्टाप ट्रेनें दूसरी क्रांति लाएंगी। ममता ने सबका ख्याल रखा। लालू की तरह नहीं। जो सिर्फ बिहार पर मेहरबान थे। ममता ने बंगाल से ज्यादा तो यूपी को दिया। यह ममता-सोनिया में आपसी समझ का सबूत। बंगाल ममता का। यूपी सोनिया का। वैसे ममता ने भेदभाव की झलक नहीं दी। जब नीतिश कुमार ने बजट की तारीफ कर दी। तो रेलवे का अपना नालेज नीतिश जितना तो नहीं। बात लालू के परेशान होने की। लालू पांच साल रेलमंत्री रहे। अपनी पीठ भले कितनी ठोकें। पर अब पोल खुलेगी। जब ममता श्वेत पत्र जारी करेंगी। ममता ने कहा- 'पिछले पांच साल के वित्तीय, सांगठनिक, कार्यप्रणाली पर श्वेतपत्र आएगा।' साफ है- इरादा लालू के दावों की पोल खोलना। लालू ने नब्बे हजार करोड़ के मुनाफे की डींग हांकी थी। ममता ने लालू की कई योजनाओं को हवाई बताकर हवा निकाली। लालू का अंतरिम बजट कूड़ेदान में फेंक दिया। लालू ने तेरह फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया। तो अंतरिम जैसा नहीं था। पूरे साल का बजट था। सोचते थे, वही रेलमंत्री बनेंगे। ममता ने 'धुलाई' की। तो लालू चिड़चिड़े से हो गए। दो बार ममता से नोंक-झोंक हुई। याद न हो, तो याद दिला दें। जोनल हेडक्वार्टर को लेकर बंगाल-बिहार में ठन गई थी। लेफ्टिए तो लालू का कुछ नहीं बिगाड़ पाए। पर ममता ने लालू को धो डाला। अब तक संसद में लालू सबको धोते थे। पहली बार धुले।

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