कोशिश होगी सेशन में 'लिब्राहन' से बचने की

Publsihed: 01.Jul.2009, 20:39

आज शुरू होगा बजट सेशन। आज से ही पेट्रोल चार रुपए महंगा। डीजल दो रुपए। यह है आम आदमी के बजट की शुरूआत। 'आम आदमी' अब कांग्रेस की नई मुसीबत। सरकारी कमेटी की रिपोर्ट ने कहा है- 'देश की पचास फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे हो चुकी।' अपन प्रणव मुखर्जी का बजट तो नहीं जानते। पर ममता ने कहा है- 'रेल बजट आम आदमी का होगा।' पर पहले बात गुरुवार को सेशन शुरू होने की। अपन हफ्ते के बीच सेशन शुरूआत का राज नहीं जानते। चौदहवीं लोकसभा से पहले ऐसा नहीं होता था। सेशन हमेशा सोमवार को शुरू होता रहा। नौ साल बाद कांग्रेस सरकार में लौटी। तो दो बातें नई हुई। सेशन की शुरूआत गुरुवार को। सेशन के दौरान कांग्रेस की ब्रीफिंग चार बजे नहीं। अलबत्ता चार बजकर बीस मिनट पर। अगर यह किसी ज्योतिषी ने बताया था। तो ज्योतिषी सचमुच धांसू।

इसी टोटके से कांग्रेस दुबारा सत्ता में आ गई। पर बात बजट सेशन की। सेशन शांति से चले। इसी एजेंडे पर मीरा कुमार ने बुधवार को आल पार्टी मीटिंग बुलाई। तो अपन बता दें- सेशन में बजट तो मेन एजेंडा होगा ही। पर सेशन में छाया रहेगा मंत्रालयों का सौ दिनी एजेंडा। और बाबरी ढांचे पर लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट। लिब्राहन आयोग का सवाल तो मीरा की मीटिंग में भी उठा। उसकी बात अपन बाद में करेंगे। पहले बात सौ दिनी एजेंडे की। भाई रशीद किदवई ने लिखा है- 'क्या हो गया है इनको। इन्हें जनादेश तो पांच साल का था। सौ दिन का नहीं।' मंत्रियों के सौ दिनी एजेंडे देख कांग्रेसी भी हैरान। अब देखो, जयपाल रेड्डी का एजेंडा। बात सौ दिनों की। पर एजेंडा पांच साल में लागू हो जाए तो गनीमत। अपन ने कपिल सिब्बल के एक बोर्ड में उलझने की बात लिखी ही थी। जिस पर कांग्रेसियों का एतराज भी बताया था। सिब्बल अब धीमी गति से चलने के मूड में। जरूरत पड़े तो पीछे मुड़ने को भी तैयार। बात देशभर में एक शिक्षा बोर्ड की चली। तो अपन को जनसंघ का नारा याद आ गया। जनसंघ का नारा था- 'एक देश, एक संविधान, एक झंडा, एक भाषा।' अब उसी जनसंघ के वारिस मुरली मनोहर जोशी बुधवार को बोले- 'एक बोर्ड, एक इम्तिहान, एक शिक्षा, एक सलेबस संविधान के खिलाफ।' पर बुधवार को मुरली मनोहर जोशी ने अकेले मोर्चा नहीं खोला। एनडीए राज वाले सभी शिक्षामंत्री जुटे। शरद यादव ने मीटिंग की रहनुमाई की। उनने कहा- 'सौ दिन की हड़बड़ी में शिक्षा के साथ गड़बड़ी न करें।' सो बजट सेशन में सिब्बल विपक्ष के निशाने पर होंगे। हंगामे का दूसरा मुद्दा होगा- बाबरी ढांचा और लिब्राहन आयोग। तो मुरली मनोहर जोशी बोले- 'जो भी रिपोर्ट हो। सदन में रखी जाए। उस पर कार्रवाई हो।' वैसे ज्यादातर लोगों को आडवाणी, जोशी, उमा के घिरने की उम्मीद। अपन इस पर ज्यादा भरोसा नहीं करते। इसकी वजह है अनुपम गुप्ता। गुप्ता ने ही भाजपा-संघ नेताओं से जिरह की थी। पर जब गुप्ता ने रपट लिखनी शुरू की। तो लिब्राहन ने आयोग से निकाल बाहर किया। तब अनुपम गुप्ता ने खबर लीक की थी- 'आडवाणी पर नरम रुख अपनाने का दबाव था।' पर लाख टके का सवाल- क्या रिपोर्ट बजट सत्र में रखी जाएगी? बुधवार को मुलायम-रघुवंश ने पीएम पर दबाव डाला। पर पीएम ने कोई वादा नहीं किया। न मीटिंग में, न मीटिँग से बाहर। टालू जवाब में बोले- 'बजट सत्र से बहुत उम्मीदें। कामकाज ठीक ढंग से चले। यह सरकार की प्राथमिकता।' पी चिदंबरम भी सवाल को टालते दिखे। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी भी। तिवारी से पूछा, तो बोले- 'सरकार तय करेगी।' वह तो रिपोर्ट पर कार्रवाई के वादे से भी बचे। सरकार फूंक-फूंककर कदम रखने के मूड में। सो जरूरी नहीं, जो इसी सेशन में पेश हो। छह महीने का कानूनी वक्त मौजूद। एटीआर में इतना वक्त तो लगेगा ही। इस वक्त कोई चुनावी फायदा भी नहीं।

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