दिखा राहुल का 'टच' मनमोहन की 'पसंद'

Publsihed: 27.May.2009, 20:36

बात अपनी पीठ थपथपाने की नहीं। शोभा भी नहीं देता। पर आपका अखबार सबसे आगे निकला। सबसे ज्यादा भरोसेमंद निकला। पीएमओ से चौबीस घंटे पहले जारी पूरी लिस्ट देख अपन चौंके। बाईस मई को अपन ने 47 नाम लिखे थे। सिर्फ पांच गलत निकले, 42 सही। संगमा की बेटी अगास्था का 43 वां नाम अपन ने 26 मई को जोड़ा। जब अपन ने लिखा- 'तो प्रफुल्ल पटेल इंडीपेंडेंट चार्ज के मंत्री होंगे। पीए संगमा की बेटी अगास्था स्टेट मिनिस्टर।' तो अब यह साफ- मनमोहन समेत 34 केबिनेट। सात इंडिपेंडेंट चार्ज के स्टेट मिनिस्टर और 38 स्टेट मिनिस्टर। राजस्थान से जोशी के साथ मीणा और पायलट मंत्री बनेंगे। यह तो अपन ने बाईस मई को ही लिखा। पर ओला की जगह महादेव सिंह खंडेला की लाटरी निकलेगी। अपन को अंदाज नहीं था। यानी ब्राह्मण, मीणा, गुर्जर, जाट।

मध्यप्रदेश से कमलनाथ, ज्योतिरादित्य, कांति भूरिया का नाम तो अपन ने दिया ही था। पर सुभाष यादव के बेटे अरुण यादव की भी लाटरी खुली। लालू नहीं रहे, तो आखिर कोई यादव तो टीम में रहना चाहिए। अपन ने तेईस मई को लिखा था- 'लालू-शिबू के साथ अर्जुन-ओला भी नहीं आएंगे।' हंसराज भारद्वाज की छुट्टी होगी। यह भी अपन ने तभी इशारा किया। जब लिखा- 'यों अर्जुन-भारद्वाज-ओला-पाटिल-महावीर कभी मनमोहन की पसंद नहीं थे।' तो इन पांचों को केबिनेट में कोई जगह नहीं मिली। अपन ने कल लिखा था- 'सोनिया ने आनंद शर्मा को केबिनेट मंत्री बनवा तो दिया। पर अब वीरभद्र सिंह का क्या करें।' आखिर वीरभद्र का दबाव काम कर गया। जारी लिस्ट में पहला ही नाम वीरभद्र का। सो अर्जुन सिंह की जगह उनका रिश्तेदार ठाकुर वीरभद्र भरेगा। कल अपन ने जब लिखने-मिटाने की बात की। तो अपन ने लिखा था- 'अब विलासराव- वासनिक में से किसको लें। राहुल चाहते हैं-वासनिक। मनमोहन चाहते हैं- विलासराव।' तो आखिर दोनों की चली। दोनों केबिनेट में शामिल। मुंबई पर आतंकी से विलासराव की मुख्यमंत्री गई थी। वह राज्यसभा के भी मेंबर नहीं। सो अब राज्यसभा में लाया जाना पक्का। वैसे मनमोहन की जमकर चली। पर भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे ए राजा को तो केबिनेट मंत्री बनाना ही पड़ा। पर सिर्फ एक। इसे गठबंधन राजनीति की मजबूरी समझिए। पिछली बार तो ग्यारह दागी मंत्री थे। केबिनेट की बात चली। तो बता दें- पीएम समेत 28 कांग्रेसी। अगर आप ममता पवार को कांग्रेस परिवार में मानें। तो सिर्फ चार गैर कांग्रेसी हुए। नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला। डीएमके से अझगरी, दयानिधि और ए राजा। वैसे फारुख की बात चली। तो अपन बता दें- अपन शुरू से लिख रहे थे- वह केबिनेट में होंगे। पर फारुख के चक्कर में सैफुद्दीन सोज मारे गए। यों मनमोहन की केबिनेट में इस बार कुछ जंवा चेहरे भी। जैसे कुमारी शैलजा, जीके वासन, पवन कुमार बंसल, मुकुल वासनिक, अझगरी, कांतिलाल भूरिया। राहुल का 'टच' भी दिखा मनमोहन की टीम में। राहुल की पसंद- सीपी जोशी, वासनिक, जतिन, ए साईप्रताप, सचिन। वैसे राहुल का जादू यूपी में सर चढ़कर बोला। तो मनमोहन ने यूपी को दिया भी झोली भरकर। भले केबिनेट में कोई भी नहीं। सलमान खुर्शीद से कई जूनियर केबिनेट मंत्री हो गए। नाइंसाफी तो श्रीकांत जैना से भी हुई। वह यूएफ सरकार में केबिनेट मंत्री थे। मनमोहन ने स्टेट मिनिस्टर बनाया। इंडिपेंडेंट चार्ज भी नहीं। अपन को नहीं लगता- वह मानेंगे। पर बात यूपी की। जायसवाल, सलमान, जतिन, आरपीएन सिंह और प्रदीप जैन पांच स्टेट मिनिस्टर। बताते जाएं- राजस्थान से पुष्प जैन हार गए। पर झांसी से जीते प्रदीप अब लोकसभा में एकमात्र जैन। अपन ने जब यादव और जैन का जिक्र किया। तो मतलब, सोनिया-मनमोहन ने जातीय समीकरण भी खूब देखा। तो अब रहा स्पीकर का मामला। अपन ने बीस मई को लिखा था किशोर चंद्रदेव का नाम। सो अब तो कोई शक-शुबा नहीं रहा। भाई लोग जयपाल रेड्डी, मोइली और शिंदे को बनवा रहे थे। तीनों पहली ही लिस्ट में केबिनेट मंत्री हो गए। अब आखिरी लिस्ट में किशोर चंद्रदेव का नाम नहीं आया। सो उनका स्पीकर बनना पक्का।

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