करुणानिधि की केकैई बनी तीसरी बीवी राजाथी अम्मल

Publsihed: 26.May.2009, 08:02

अपन को पहले से शक था। इतनी जल्दी झगड़ा नहीं निपटना। सो अपन ने शनिवार को लिख दिया था- 'मंगल-बुध को मंत्रिमंडल विस्तार होगा।' वही हुआ, तैयारी करके टालना पड़ा मंगल का शपथग्रहण। यों वजह तो बंगाल में आया तूफान बताया। जो उड़ीसा की ओर बढ़ गया। पंजाब में फैले जातीय दंगे भी वजह बताया। पर असल वजह करुणानिधि के घर में मचा बवाल। अपन ने इस बवाल का जिक्र पिछले शुक्रवार भी किया। उसी की वजह से शनिवार को सिर्फ कांग्रेस परिवार की शपथ हुई। बात कांग्रेस परिवार की चली। तो बताते जाएं- करुणानिधि के फच्चर का फायदा पवार ने उठाया। उनके खाते दो मंत्री ही होते। पर अब तीन हो जाएंगे। बुधवार को शपथ ग्रहण हुआ। तो प्रफुल्ल पटेल इंडिपेंडेंट चार्ज के मंत्री होंगे। पीए संगमा की बेटी अगास्था स्टेट मिनिस्टर। पवार खुद बन गए। तो अब सुप्रिया सूले नहीं। पवार की रणनीति एक तीर से दो शिकारों की।

कांग्रेस को भी फायदा होगा। रूठे संगमा मान जाएंगे। मनमोहन ने संगमा को वादा करके तोड़ा। वादा था मेघालय में कांग्रेस-एनसीपी सरकार बनाने का। पर राष्ट्रपति राज हटाकर कांग्रेस ने संगमा को दगा दिया। उस दिन इसीलिए शरद यादव से मिले थे संगमा। जैसा अपन ने पहले कहा था- पवार का निशाना आईसीसी की कुर्सी पर। जैसे ही आईसीसी की कुर्सी मिली। पवार मंत्रिमंडल की कुर्सी सुप्रिया सूले को थमा देंगे। भले तब सुप्रिया को छोटी कुर्सी मिले। बड़ी कुर्सी पर प्रफुल्ल को बिठा देंगे। पर बात मंत्रिमंडल विस्तार के असली फच्चर की। अपन ने 22 मई को दो फच्चर बताए थे। पहला- मंत्रियों की तादाद और मंत्रालयों का। दूसरा- एक ही परिवार और भ्रष्ट मंत्रियों का। तब कांग्रेस का दिमाग सातवें आसमान था। सो नौ पर दो का फार्मूला रखा। जिसमें दो केबिनेट, दो स्टेट। करुणानिधि फार्मूला देख भड़के। तो सात पर दो का फार्मूला पेश किया। दो केबिनेट, एक इंडिपेंडेंट, तीन स्टेट। बात उस पर भी नहीं बनी। पर बात तादाद की ही नहीं। बालू- राजा पर एतराज की भी थी। करुणानिधि के परिवार की भी थी। खैर करुणानिधि का बैरंग जाना कांग्रेस के गले में फंसा। तो करुणानिधि के गले में भी फंसा। अब फार्मूला तीन केबिनेट, एक इंडिपेंडेंट, तीन स्टेट का। थोड़ा मनमोहन-सोनिया झुके। तो थोड़ा करुणानिधि झुके। वह बालू को बाहर रखने पर राजी हो गए। बालू ने वाजपेयी का 'हाईवे' प्रोजेक्ट पंक्चर तो किया ही। सड़कों पर भ्रष्टाचार की खड्डे भी खोद दिए थे। पर अब फच्चर अपने कुनबे का। करुणानिधि ने फार्मूला तो निकाल लिया था- 'अझगिरी को केबिनेट, कन्नीमूरी को इंडिपेंडेंट चार्ज।' अझगिरी की मां दयालू अम्मल तो खुश हुई। पर कन्नीमूरी की मां राजाथी अम्मल कोप भवन में जा बैठी। मां कोप भवन में। तो बेटी क्या करती। कन्नीमूरी ने कह दिया- 'मैं मंत्री नहीं बनना चाहती। पार्टी का काम करूंगी।' अपन ने पहले तो सोचा- कन्नीमूरी की मां केकैई बनी। तो कन्नीमूरी भी 'भरत' बनने को तैयार। लगा जैसे करुणानिधि के परिवार में भी एक 'राहुल' आ गया। पर जब मंगलवार की शपथ टली। तो कुनबे का झगड़ा बेपर्दा हुआ।

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