नीच अंदर नीच जात, नानक तिन के संग

Publsihed: 25.May.2009, 20:39

आस्ट्रिया की राजधानी वीएना में गुरु रविदास के अनुयाइयों पर सिखों के हमले ने सिख समुदाय में जातिवाद को सतह पर ला दिया है। वीएना की इस घटना के बाद पंजाब में शुरू हुए दंगों से सिखों में व्याप्त जातिवाद का जहर सबके सामने आ गया है।
गुरु नानक देव जाति प्रथा के बेहद खिलाफ थे। उनके जमाने में जातिवाद शिखर पर था। ऊंची जाति के लोग दलितों को छू लेने पर खुद को अपवित्र मानकर गंगाजल से नहाते थे। दलित की छाया को अपवित्र मानते थे ऊंची जाति के लोग, खासकर ब्राह्मण। ऐसे वक्त में गुरुनानक देव ने भाई लालो को अपना परम सहयोगी चुना था, जो दलित था। गुरुनानक देव ने कहा था- 'नीच अंदर नीच जात, नानक तिन के संग, साथ वढ्डयां, सेऊ क्या रीसै।'

यानी नीच जाति में भी जो सबसे ज्यादा नीच है, नानक उसके साथ है, बड़े लोगों के साथ मेरा क्या काम। सिख धर्म में लंगर प्रथा जातिवाद खत्म करने के लिए ही शुरू की गई थी। ताकि सिख धर्म के अनुयाइयों में बराबरी का एहसास हो। गुरुबाणी में यह भी लिखा है- 'ब्राह्मण, खत्री, सुद, वैश-उपदेश चाऊ वरणों को सांझा।' यानी गुरुबाणी का उपदेश ब्राह्मणों, क्षत्रीय, शूद्र और वैश्य सभी के लिए एक जैसा है।
गुरु नानक देव और गुरु रविदास एक ही समय में हुए थे। दोनों की आपस में कई मुलाकातें भी हुई। गुरुनानक देव का जन्म ननकाना साहिब में हुआ, तो गुरु रविदास का जन्म बनारस में हुआ था। वह चमार के घर में पैदा हुए थे, लेकिन ब्राह्मणों की तरह रहते थे। उन्हें काशी के नरेश ने इस बात पर तलब किया था कि वह माथे पर तिलक क्यों लगाते हैं। जातिवाद के खिलाफ मुहिम चलाने वाले गुरु रविदास की गुरुनानक देव से गहरी पटती थी। गुरुनानक देव ने बनारस जाकर गुरु रविदास से उनकी लिखी बाणियां और दोहे हासिल किए थे, जिन्हें बाद में गुरुबाणी में शामिल किया गया था।
गुरुग्रंथ साहिब में शामिल ये 40 दोहे ही अब गुरु गोबिन्द सिंह के सिखों और गुरु रविदास के अनुयाइयों में झगड़े का कारण बने हुए हैं। पंजाब के भटिंडा में जन्मे संत पीपल दास ने बीसवीं सदी के शुरू में गुरु रविदास की बाणी के आधार पर डेरा सच खंड शुरू किया। डेरा सच खंड में निम्न जातियों के सिख और हिंदू बड़ी तादाद में शामिल हो चुके हैं। डेरा सच खंड ने गुरु रविदास की जन्मस्थली बनारस में एक विशाल मंदिर बनाया है जिसका उद्धाटन दलित नेता बसपा प्रमुख कांशीराम से करवाया गया था। पीपल दास के बाद संत स्वर्ण दास, संत हरिदास, संत गरीब दास और अब निरंजन दास डेरा के प्रमुख हैं। वीएना में संत निरंजन दास को ही निशाना बनाया गया था, लेकिन वह बच गए हैं और उनके बाद डेरा में नंबर दो की हैसियत रखने वाले संत रामानंद की मौत हो गई है।
सिखों के डेरा सच्चा सौदा और डेरा सच खंड के झगड़ों का मुख्य कारण यह है कि गुरु ग्रंथ साहिब के बाद कोई गुरु नहीं हो सकता और गुरु ग्रंथ साहिब के कुछ हिस्से लेकर कोई नया ग्रंथ सिखों को गवारा नहीं। सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम सिंह की सबसे बड़ी गलती यह है कि वह गुरु गोबिन्द सिंह का पहनावा पहनकर उनका स्वांग करते थे। डेरा सच खंड गुरु रविदास के दोहों पर आधारित ग्रंथ बना चुका है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल 40 दोहे भी शामिल हैं। गुरु गोबिन्द सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब लिखने के बाद गुरु प्रथा खत्म कर दी थी। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब में लिखा था- 'सब सिखन को हुकुम है, गुरु मान्यो ग्रंथ।' लेकिन डेरा सच खंड के साथ ताजा झगड़े का कारण जातिवाद माना जा रहा है, जिसे खत्म करने के लिए सिख धर्म की स्थापना हुई थी। गुरु गोबिन्द सिंह ने जातिवाद को खत्म करने के लिए हुकुम दिया था कि हर सिख अपने नाम के आखिर में 'सिंह' लिखेगा और सिख महिलाएं 'कौर', लेकिन गुरु गोबिन्द सिंह का मकसद खत्म हो चुका है। सिख अपने नाम के पीछे ढिल्लो, सेखों, मेहता, भल्ला आदि लगाकर खुद को मजहबी (छोटी जाति पृष्ठभूमि वाले सिख) सिखों से अलग दिखाने लगे है ये सभी जातियां उनके जाट-क्षत्रीय होने का सूचक हैं। वीएना में हुई हिंसा की पंजाब में हुई प्रतिक्रिया बरसों से पनप रही इसी जातिवादी मानसिकता का विस्फोट है। जबकि गुरु नानक देव ने कहा था- 'एक पिता, एक के हम वारिस, मानस की जात सभै एक पहचानबो।'

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