मुस्करा कर मुरझा से गए कांग्रेसियों के चेहरे

Publsihed: 15.May.2009, 20:36

अब मीडिया ही ऐसी हरकतें करेगा। तो नेता दुर्गति करेंगे ही। अपन नीतिश को लेकर मीडिया की पतंगबाजी बताएंगे। पर पहले बात वामपंथियों के गुस्से की। ए बी वर्धन ने भीड़ के सामने एक खबरची को डांटा। कहा- 'आपका चैनल ज्यादा ही पतंगबाजी पर उतारू।' वृंदा करात ने कहा- 'समझ नहीं आ रहा विजुअल मीडिया को हो क्या गया। बेसिर पैर की खबरें चला रहा है।' पतंगबाजी का लाईव प्रदर्शन तो तब हुआ। जब एक चैनल मुखिया ने कहा- 'वेंकैया नायडू हैदराबाद में डेरा डाले बैठे हैं। चंद्रबाबू मिलने का वक्त नहीं दे रहे।' रविशंकर प्रसाद ने डांटते हुए कहा- 'जरा तथ्य जांचकर खबर चलाओ। वेंकैया नायडू तो दिल्ली में ही हैं।' चैनल मुखिया ने माफी नहीं मांगी। वह अपनी गलत खबर पर खिलखिलाया। फिर खबर चलाई- 'जयललिता बीजेपी की फोन काल नहीं उठा रही। सारी कोशिशें नाकाम।' फिर खबर चली- 'कांग्रेस ने जयललिता से संपर्क साधा।' जयललिता ने बयान जारी करके कहा- 'कांग्रेस या बीजेपी ने मुझ से संपर्क नहीं साधा।' हू-ब-हू ऐसी खबर आडवाणी-मायावती मुलाकात की चली। तो मायावती को भी खंडन करवाना पड़ा। खबर बड़ी दिलचस्प थी। मायावती मारुति-800 पर बैठकर आडवाणी से मिली।

अब एक चैनल ने यह चंडूखाने की खबर चलाई। तो दूसरे ने उससे भी बड़ी लकीर खींची। कहा- 'जयललिता से सीक्रेट मुलाकात के लिए नरेंद्र मोदी चेन्नई रवाना।' ब्लैक कैट कमांडो सिक्योरिटी वाले मोदी की सीक्रेट मुलाकात। अपन चौंके। वही हुआ- थोड़ी देर बाद मोदी के अहमदाबाद पहुंचने की खबर आई। यों अपन बता दें- बीजेपी, कांग्रेस दोनों की निगाह जयललिता पर। भले ही कपिल सिब्बल ने कहा- 'करुणानिधि को छोड़ हम जयललिता से कैसे बात करेंगे।' पर जयललिता गठबंधन को अठाईस सीटें आई। तो कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ेगी। आखिर रामदास कब काम आएंगे। वैसे अपन दोहरा दें- 'सत्ता की चाबी जयललिता और मायावती के हाथ होगी।' वृंदा करात थर्ड फ्रंट टूटने की खिल्ली उड़ाए, तो उड़ाए। पर शरद यादव ने बिलकुल ठीक कहा। वह बोले- 'हम तो पूरी तरह एनडीए के साथ। थर्ड फ्रंट वाले मेढक।' मेढकों की फितरत फुदकने की। यों उनने चौथे फ्रंट को भी मेढक कहा। पर अमर सिंह का इधर-उधर फुदकना वैसा नहीं। अपन राजनाथ सिंह से मुलाकात की बात कर रहे। उसके भी राजनीतिक मायने खूब निकाले गए। मोदी से हाथ मिलाने पर नीतिश की सेक्युलरिज्म पर शक किया था मनमोहन ने। अमर सिंह पर ऐसा शक क्यों नहीं। वह तो कानाफूसी करते दिखे। नीतिश की बात चल ही रही है। तो ताजा बात बताएं। नीतिश ने शुक्रवार को पटना में कहा- 'यूपीए सरकार ने बिहार की अनदेखी की। अब बिहार के राजनेता सूबे को विशेष दर्जे की शर्त पर समर्थन दें।' नीतिश का इशारा लालू-पासवान को था। जो पांच साल केन्द्र में मंत्री रहे। पर बिहार को विशेष दर्जा नहीं दिला सके। चुनौती उन्हीं के सामने रखी। जो यूपीए सरकार बनाने को उतावले। आडवाणी तो पहले ही वादा कर चुके। आडवाणी जब 10 अप्रेल को बक्सर में थे। तो उनने बिहार को विशेष दर्जे का वादा किया। पर भाई लोग दिन भर 'राग कंडीशन' बजाते रहे। कहा- 'नीतिश ने यूपीए को समर्थन के दरवाजे खोले। बिहार को विशेष दर्जे की शर्त पर समर्थन देंगे।' दिग्गी राजा फौरन लपके। पर नीतिश के खंडन ने कांग्रेस के चेहरे की हंसी उड़ा दी। अब सबकी निगाह ईवीएम मशीनों पर। उसी के बाद ही शुरू होगा मोल-भाव। वैसे अपन बताते जाएं। सब एग्जिट पोलों में यूपीए आगे। पर अपना अनुमान बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होगी। डेढ़ सौ सीटों के साथ। एनडीए सबसे बड़ा गठबंधन। दो सौ सीटों के साथ। लालू-पासवान-मुलायम के बाद भले ही यूपीए बड़ा हो। पर अब देर कितनी। हजामत करवाते शख्स ने नाई से पूछा- सिर पर कितने बाल। नाई ने कहा- अभी सामने आ जाएंगे। तो आज ही खुल जाएंगी ईवीएम मशीनें। पर चाबी होगी अठाईस सांसदों वाली जयललिता। सत्ताईस सांसदों वाली मायावती। सत्रह सांसदों वाले चंद्रबाबू। दस सांसदों वाले नवीन के हाथ। इन सभी को भी अपने शरद यादव ने फुदकने वाले मेढक कहा।

आपकी प्रतिक्रिया