लुधियाना की रैली आडवाणी का मास्टर स्ट्रोक रहा। छह मई को राहुल ने मास्टर स्ट्रोक मारा था। जब उनने जया, नीतिश, चंद्रबाबू को लाने की रणनीति समझाई। यों उनने तीनों को सेक्युलरिज्म के सर्टिफिकेट नहीं बांटे। पर नीतिश का दांव उलटा पड़ा। तो मनमोहन सर्टिफिकेट वापस मांगने लगे। नीतिश ने मनमोहन पर फब्ती कसी। जब कहा- 'मनमोहन सिंह यूनिवर्सिटी ऑफ सेक्युलरिज्म के वायस चांसलर नहीं।' नीतिश ने दो टूक कह दिया- 'बिहार की जनता को धोखा नहीं दूंगा।' इसे आप बुध्ददेव भट्टाचार्य को भी जवाब समझिए। जो नीतिश से बात होने का दावा ठोक रहे थे। बात लुधियाना की चली। तो बता दें- बाढ़ राहत पर मनमोहन उलटे पांव दौड़ते दिखे। जब वह मंगलवार को नीतिश से फुनियाए। कहा- 'बाढ़ राहत के मुद्दे पर नए सिरे से देख लेंगे।' यानी मान मनोव्वल की एक और कोशिश। पर लुधियाना का मास्टर स्ट्रोक मोदी-नीतिश नहीं।
लुधियाना का मास्टर स्ट्रोक चंद्रशेखर राव थे। राव को लाकर आडवाणी ने एक तीर से दो निशाने साधे। राहुल को बता दिया- 'एनडीए मरा नहीं। एनडीए बढ़ेगा।' प्रकाश करात को बता दिया- 'थर्ड फ्रंट नतीजों के बाद कैसे चकनाचूर होगा।' थर्ड फ्रंट के चकनाचूर होने का दूसरा किस्सा मंगलवार को दिल्ली में हुआ। जब एचडी कुमारस्वामी मुंह ढककर सोनिया से मिलने दस जनपथ पहुंचे। पर उधर अब बीजेपी की निगाह चंद्रबाबू, नवीन, जयललिता, माया पर। खैर फिलहाल बात कांग्रेस की। राहुल बाबा की रणनीति तो नतीजों से पहले ही टॉय-टॉय फिस। नीतिश-चंद्रबाबू को तो बुरा-भला कहना शुरू कर दिया। पर जयललिता से अभी उम्मीद नहीं छोड़ी। बीजेपी की तरह कांग्रेस की उम्मीद माया और नवीन पर भी। इतना ही नहीं अलबत्ता सेंधमारी की कोशिश एनडीए में भी। पर यूपीए-लेफ्ट मिलकर भी बहुमत में आते दिखते। तो कांग्रेस इधर-उधर क्यों झांकती। आज जब चुनाव का आखिरी दिन। तो कांग्रेस-बीजेपी जमीन पर आ गर्इं। बीजेपी का दावा अब 160 का। अभिषेक मनु सिंघवी भी 180 से नीचे उतर आए। मंगलवार का ताजा दावा 150 से 160 के बीच का। पवार-ममता-शिबू-करुणानिधि मिलाकर तीस-पैंतीस। तो यूपीए टिका 180-190 के बीच। लेफ्ट के 30-35 भी जोड़ लें। तो 215-220 में निपटेंगे। लालू-मुलायम-पासवान के 30-35 भी जोड़ लें। तो पूरा सेक्युलर कुनबा 250-260 तक। पर जहां लेफ्ट होगा। वहां ममता नहीं। सो यूपीए-लेफ्ट कुनबा 240-250 ही मानिए। सो अब कांग्रेस की निगाह माया, जयललिता, नवीन पर। बात नवीन की। तो कांग्रेस को उड़ीसा से बिस्तर बांधना होगा। यों अपन तो नहीं समझते- जहां मुलायम होंगे, वहां माया होगी। जहां करुणानिधि होंगे, वहां जयललिता आएंगी। पर कांग्रेस की जयललिता-करुणानिधि को एक साथ लाने का भरोसा। माया-मुलायम को एक साथ लाने की उम्मीद। कहीं से सुन लिया होगा- 'उम्मीद पर दुनिया कायम।' सो जनार्दन द्विवेदी बोले- 'ऐसा क्यों नहीं हो सकता।' सो मुलायम से भी बात होगी, माया से भी। करुणानिधि तो अपने हैं ही। जयललिता से भी बात होगी। अब राजनीति में यह करिश्मा हो जाए। तो यूपीए की सरकार बनेगी ही। कांग्रेस की एनडीए के बाकी घटकों पर भी निगाह। जनार्दन द्विवेदी बोले- 'बीजेपी-शिवसेना को छोड़ सबके लिए दरवाजे खुले। जो इन्हें छोड़ चला आए, वह सेक्युलर।' अब जब सभी को न्योता। तो जमीनी हकीकत आप भी समझ गए होंगे। इसीलिए शरद यादव ने मंगलवार को ताल ठोकी- 'बीजेपी सबसे बड़ा दल होगा। एनडीए सबसे बड़ा गठबंधन। जयललिता, ममता, माया, नवीन के लिए दरवाजे हम भी खोलेंगे।' अपन बताते जाएं- जार्ज फर्नाडीस की जगह अब शरद एनडीए के कनवीनर होंगे। नवीन को पटाना शरद के जिम्मे। बीजेडी के सांसदों से सीधी बात भी होगी। सीधी ऊंगली घी न निकला। तो फार्मूला अशोक गहलोत आजमाया जाएगा। जो उनने बीएसपी के साथ आजमाया। जयललिता से बात करेंगे मोदी-जेटली। ताकि सनद रहे। सो याद दिला दें- जयललिता के लिए मोदी अछूत नहीं। चेन्नई गए थे- तो अम्मा ने लंच पर बुलाया था। वह तो मोदी को पीएम बनाने को भी तैयार। पर जैसा दावा शरद यादव का। वैसा ही दावा सिंघवी का भी। बोले- 'सरकार यूपीए की ही बनेगी। कैसे, यह वक्त पर बताएंगे।'
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