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Exclusive Articles written by Ajay Setia

कांग्रेस ने जीत से सीखा, बीजेपी ने हार से भी नहीं

Publsihed: 16.Jun.2009, 05:17

अपन ने तेरह जून को लिखा था- 'बीजेपी की महाभारत अभी तो शुरू ही हुई है।' अपन ने गलत तो नहीं लिखा था। उसी दिन यशवंत सिन्हा का बम फट गया। पर यशवंत के बाद कोई बम फटता। पहले ही राजनाथ ने धमकी दे दी- 'अब कोई फन्नेखां बनेगा। तो सख्त कार्रवाई होगी।' सो मुरली मनोहर जोशी का बम धरा रह गया। प्यारे लाल खंडेलवाल और विनय कटियार का भी। सुषमा स्वराज सोमवार को भोपाल में जो बोली। अनुशासनहीनता के दायरे में नहीं आता। तूफान तो बीजेपी में है ही। उसे वालकेनो कहें या रीटा या आईला। उससे फर्क नहीं पड़ता। पर उनने कहा- 'आडवाणी पांच साल विपक्ष के नेता रहेंगे।' तो अपन कतई सहमत नहीं। या तो वह चंदन मित्रा वाले मामले से डर कर बोली।

बीजेपी की महाभारत अभी तो शुरू ही हुई है

Publsihed: 13.Jun.2009, 00:16

जो खुद जीत नहीं सकता। बेटे को जिता नहीं सकता। दूसरी जमीन पर दूसरों की दया से जीते। वह जब युवा चेहरे पर आपत्ति उठाए। तो बीजेपी में हड़कंप मचना ही था। बीजेपी में अब चारों तरफ घमासान। कर्नाटक से लेकर दिल्ली तक। येदुरप्पा के खिलाफ पहले अनंत कुमार लठ्ठ लिए घूमते थे। अब बारी ईश्वरप्पा की। ईश्वरप्पा ने येदुरप्पा के खिलाफ मोर्चा खोल लिया। सेंट्रल हाल में अपन ने अनंत कुमार को इतना खुश पहले नहीं देखा। जितना इस बार सेशन के दौरान दिखे। कांग्रेस क्यों फायदा उठाने से चूके। सो कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार जयराम रमेश मैदान में। उनने बेल्लारी पर निगाह टिका ली। बेल्लारी बनी है बीजेपी की दूध देने वाली गाय।

लालू सोचते होंगे- अब आई सीपीएम की भैंस पानी में

Publsihed: 12.Jun.2009, 05:16

अब सीपीएम भी बेदाग नहीं। सीपीएम के केरल सेक्रेटरी के खिलाफ भ्रष्टाचार की चार्जशीट। प्रकाश करात ने पिनराई विजयन को बचाने की लाख कोशिश की। सीबीआई को मुकदमा चलाने की इजाजत न मिले। अपने ही सीएम वीएस अच्युतानंदन पर दबाव डाला। एडवोकेट जनरल से विजयन के हक में रिपोर्ट लिखवाई। केबिनेट से विजयन के हक में फैसला करवाया। पर गवर्नर आरएस गवई ने केबिनेट की सिफारिश ठुकरा दी। सीबीआई को मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी। गवर्नर ने वही किया। जो उन्हें करना चाहिए था। यह पहली बार नहीं हुआ। भाई महावीर जब एमपी के गवर्नर थे। तो उनने भी सीएम दिग्विजय की सिफारिश के खिलाफ मंत्रियों पर मुकदमे की इजाजत दी थी। कांग्रेस ने सिर्फ एक ही गवर्नर ऐसा बनाया- जो कांग्रेसी नहीं था।

सोनिया बोली- आसान नहीं महिला आरक्षण

Publsihed: 11.Jun.2009, 05:19

सौ दिन का फंडा। फंडे का सबसे बड़ा फंदा है महिला आरक्षण। पर सौ दिन का सरकार को उतना बुखार नहीं। जितना यादवों-लोधों और मीडिया को। राष्ट्रपति से अभिभाषण में मनमोहन ने यही तो कहलवाया था- 'मेरी सरकार 100 दिनों के भीतर इन उपायों पर कदम उठाएगी।' जो पच्चीस मुद्दे गिनाए। उनमें महिला आरक्षण भी था। सो बात सिर्फ कदम उठाने की। सौ दिन में बिल पास कराने की तो बात नहीं। यों पवन बंसल बता रहे थे- 'आखिरी हफ्ते में शुरू होगा बजट सेशन।' अपना अंदाज 29 जून का। पहली जुलाई को ममता का रेल बजट। दो को इकनामिक सर्वे। तीन को प्रणव दा का बजट। पर बात महिला आरक्षण पर आल पार्टी मीटिंग की। फिलहाल तो सरकार के पास दूसरे कई काम।

बीस-पच्चीस फीसदी में सहमति की हवा

Publsihed: 10.Jun.2009, 06:54

शरद-मुलायम-लालू यादवों के साथ अब लोध कल्याण सिंह भी। घर के भेदी ने लंका ढहाने का मन बना लिया। उनने सामने बैठे लालकृष्ण आडवाणी से तो कुछ नहीं कहा। एनडीए के कनवीनर शरद यादव से कहा- 'क्यों नहीं आडवाणी से कहते- महिला आरक्षण में पिछड़ों-अल्पसंख्यकों का कोटा हो। आडवाणी न मानें, तो खत्म करो एनडीए।' शरद चुप्पी साधकर बैठे रहे। पर इसे आप शरद की चुप्पी न समझिए। शरद ने ही सुकरात की तरह जहर का घूंट पीने की बात कही थी। सोमवार को मुलायम ने वह राह अपनाई। तो मंगलवार को लालू और कल्याण ने। बीजेपी छोड़ चुके कल्याण को मुलायम ने अपनी पार्टी में तो नहीं लिया। पर कल्याण का साथ लिया-दिया।

जेना को केबिनेट दर्जा देकर मनाएंगे मनमोहन

Publsihed: 09.Jun.2009, 04:47

मनमोहन का मंत्रिमंडल तो बन चुका। प्लेनिंग कमिशन भी निपट चुका। संसद के गलियारों में अब रेवड़ियों की गुफ्तगू। गलियारों से लेकर सेंट्रल हाल तक। जिसे देखो, कोई नई अफवाह सुनाएगा। अफवाहों के जोर का नमूना देखिए। सेंट्रल हाल में बतिया रहे केबिनेट मंत्री से एक नियुक्ति के बारे पूछा। तो बोले- 'फलां नाम की अफवाह सुनी है।' मंत्री अफवाह की बात करें। तो अंदाज लगाइए क्या-क्या चल रहा होगा। मंत्री के मुंह से अफवाह का लफ्ज सुनते ही अपन मुस्कराए। तो उनने सफाई दी- 'पीएम ने मुझसे बात नहीं की। सो सुनी-सुनाई बात को मैं अफवाह ही कहूंगा।' बात अफवाहों की चल ही पड़ी। तो बताते जाएं- पीएम का मीडिया सलाहाकर कौन होगा? अब इस को लेकर कुछ अटकलें। तो कुछ अफवाहें। पर कुछ गंभीरता भी। मनमोहन ने पिछली बार संजय बारु को चुना था। संजय बारु न कांग्रेसी थे, न कांग्रेस के करीब। न ही राजनीतिक पत्रकारिता का इतिहास।

सिर मुड़ाने से अब जहर खाने तक की राजनीति

Publsihed: 06.Jun.2009, 08:29

असल में संसद शुक्रवार को शुरू हुई। पहले ही दिन कोई सदन में सो जाए। वह भी चेयरमैन की कुर्सी पर बैठकर सो जाए। तो इसे अपशकुन न समझें। राज्यसभा में पहले ही दिन यह हो गया। जयंती नटराजन आसन पर बैठी-बैठी सोने लगी। तो अरुण जेटली ने जयंती को चिट भिजवाई- 'सदन में बैठकर सोने पर तब तक किसी को एतराज नहीं होगा। जब तक कोई सो कर खर्राटे न लेने लगे।' अर्दली ने चिट देकर चौंकाया। तो जयंती पढ़कर मुस्कुराई। यह फर्क अब राज्यसभा में अक्सर दिखा करेगा। यही फर्क है जसवंत और जेटली में। जेटली की 'सेंस आफ ह्यूमर' का जवाब नहीं। पर जेटली जब हमले करने को आएं। तो सामने वाले की बखियां उधेड़कर रख दें। यों तो जेटली जनता के फैसले पर फूल चढ़ाने की तैयारी से आए थे। 

दो राष्ट्रपति, दो भाषण वादा देश-दुनिया बदलने का

Publsihed: 04.Jun.2009, 20:36

अपनी राष्ट्रपति का इस साल दूसरा अभिभाषण हुआ। हर साल के पहले सेशन में तो अभिभाषण होता ही है। नई लोकसभा चुनकर आए, तब भी अभिभाषण। सो 2004 के बाद 2009 में ऐसा हुआ। अपन जहां अपनी राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के अभिभाषण की बात करें। वहीं गुरुवार को एक और राष्ट्रपति का भाषण हुआ। जिसकी चर्चा दुनियाभर में। यह हैं- अमेरिकी राष्ट्रपति बाराक हुसैन ओबामा। अपन पहले भी इसी कालम में लिख चुके- बाराक ओबामा के पिता मुस्लिम थे। अब जब पूरी दुनिया के मुसलमान अमेरिका के खिलाफ। तो अपन को बाराक ओबामा से ही कुछ उम्मीद थी। सो ओबामा ने गुरुवार को मिश्र की राजधानी काहिरा जाकर शुरूआत की।

राजनाथ-आडवाणी-अरुण की तिकड़ी छह महीने ही

Publsihed: 03.Jun.2009, 20:36

ज्योति बाबू-अटल बिहारी की रिटायरमेंट के बाद करुणानिधि ही सबसे बुजुर्ग नेता। अपन यह कहें- करुणानिधि सबसे बुजुर्ग एक्टिव नेता। तो गलत नहीं होगा। वाजपेयी-ज्योति बाबू के बाद अब रिटायरमेंट की बारी करुणानिधि की। करुणानिधि बुधवार को 86 साल के हो गए। तो बधाईयों का तांता लगा। करुणानिधि संन्यास का ऐलान कर ही देते। तो अच्छा रहता। जैसे वाजपेयी ने बीजेपी के मुंबई अधिवेशन में किया था। जैसे ज्योति बाबू ने सीएम पद की कुर्सी छोड़कर किया था। करुणानिधि बुधवार को ज्योतिबाबू का अनुसरण करते। तो हिस्ट्री में ज्योतिबाबू के बाद नाम लिखा लेते। यों करुणानिधि अपना राजनैतिक वारिस अपने बेटे स्टालिन को बना चुके। पिछले हफ्ते की ही तो बात। अब एसेंबली इलेक्शन में स्टालिन सीएम प्रोजेक्ट होंगे। मनमोहन-सोनिया की बधाई तो बनती थी। सो उनने दी। बधाई आडवाणी और डी राजा ने भी भेजी। पर बात जब राजनैतिक बुजुर्गों की चले।

स्पीकर-डिप्टी स्पीकर पर भी जातिवादी तड़का

Publsihed: 03.Jun.2009, 04:56

तो बीजेपी ने अपना मन बदल दिया। सुमित्रा महाजन की बजाए अब करिया मुंडा डिप्टी स्पीकर होंगे। ब्राह्मण की जगह आदिवासी। यों महिला डिप्टी स्पीकर का आइडिया बीजेपी का था। जिसे कांग्रेस ने चुरा लिया। यों कांग्रेस ने पहले आदिवासी केशव देव को स्पीकर बनाना था। बीजेपी का आइडिया देख कांग्रेस ने मोर्चा मारा। केशव देव की बनी बनाई बात बिगड़ गई। कोर कमेटी में सोनिया ने कहा- 'क्यों न महिला स्पीकर बनाई जाए। हमने पहले महिला राष्ट्रपति बनाई।' अब सोनिया कहे, तो टोकने की हिम्मत कौन करे। महिलाओं पर विचार शुरू हुआ। तो टारगेट राहुल पर आकर अटका। तो वहां सिर्फ एक ही महिला तो जीतकर आई। मीरा कुमार, दलित भी। तो कांग्रेस के लिए यह सोने पर सुहागा हो गया। कांग्रेस ने दलित महिला कार्ड खेला। तो बीजेपी को भी टारगेट झारखंड का ख्याल आया। झारखंड के चुनाव बस आए-कि- आए। तो कांग्रेस के दलित कार्ड पर बीजेपी का आदिवासी कार्ड।