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Exclusive Articles written by Ajay Setia

सौ दिनी एजेंडे में उलझी मनमोहन की केबिनेट

Publsihed: 26.Jun.2009, 20:39

अपन जानते हैं दसवीं के इम्तिहान का एक बोर्ड नहीं हो सकता। सो अपन ने कल इस पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी। सभी प्रांतों की संस्कृति, इतिहास, भाषा-बोली अलग-अलग। मौसम के मुताबिक छुट्टियों-इम्तिहानों का वक्त भी अलग-अलग। सो एक बोर्ड की बात देश में नया बवाल खड़ा करेगी। अपन ने सिब्बल की उन्हीं योजनाओं की तारीफ की। जो तारीफ के काबिल। वैसे जितनी तारीफ अपन ने कर दी। उतनी कांग्रेसी भी करने को तैयार नहीं। शुक्रवार को कांग्रेस का एक महासचिव सिब्बल पर बरसा। महासचिव आन रिकार्ड कहने को तैयार नहीं। पर इसका मतलब यह नहीं- पार्टी में बवाल नहीं होगा।

अपनी यूनिवर्सिटियों को ही मिले एफडीआई का हक

Publsihed: 26.Jun.2009, 08:39

बदलाव की बयार तो काम में भी बहने लगी। मनमोहन ने आडवाणी के सारे अच्छे काम अपना लिए। सुशासन की पूरी तैयारी। काला धन वापस लाने का वादा। आतंकवाद के खिलाफ प्रो-एक्टिव नीति। एक रैंक एक पेंशन। सब नागरिकों को पहचान पत्र। पहचान पत्र तो आडवाणी का पुराना सपना। जो वह अपने वक्त नहीं कर पाए। मनमोहन ने राष्ट्रपति के अभिभाषण में वादा किया। तो अभिभाषण के बीसवें दिन 25 जून को काम शुरू कर दिया। इंफोसिस के नंदन नीलेकणी को यूआईडी अथारिटी बनाकर चेयरमैन बना दिया। बात मुकाबले की चली। तो मुकाबला तो करना पड़ेगा।

कांग्रेस में बारी रेवड़ियों की, बीजेपी में बदलाव की

Publsihed: 25.Jun.2009, 10:34

बदलाव की बयार बहने लगी। बदलाव की बयार दोनों तरफ बही। बीजेपी ने उत्तराखंड से बदलाव की शुरूआत की। तो कांग्रेस ने महासचिवों से पहले गवर्नर बदलने शुरू किए। बात बीजेपी-कांग्रेस की चली। तो बुधवार को दोनों एक मुद्दे पर सहमत दिखे। अशोका रोड से वेंकैया नायडू माओवादियों के मुद्दे पर लेफ्ट के रुख पर भड़के। तो अकबर रोड से मनीष तिवारी। पहले लेफ्ट के रुख की बात। बुधवार को लेफ्ट ने कहा- 'माओवादियों को आतंकवादी बताने से समस्या का समाधान नहीं होगा।' बता दें- चारों वामपंथी दल माओवादियों पर बैन से खफा। पर वामपंथी सीएम बुध्ददेव भट्टाचार्य अपने दल से सहमत नहीं। इसका धमाकेदार खुलासा श्रीप्रकाश जायसवाल ने किया।

बीजेपी की हार का पहला विकेट उत्तराखंड में गिरा

Publsihed: 24.Jun.2009, 08:17

भुवन चंद्र खंडूरी का गुस्सा सातवें आसमान पर। बीजेपी आलाकमान ने इस्तीफा जो मांग लिया। यों फैसला हुआ सोमवार की कोर कमेटी में। पर अबके खबर लीक नहीं हुई। सो मंगलवार को लीक न होने पर खूब चुटकलेबाजी हुई। बीजेपी के नेता कहते मिले- 'यह फायदा है अरुण जेटली के विदेश में होने का।' वैसे अपन बता दें- आडवाणी का पहला विकेट गिरा। आडवाणी ही बचा रहे थे खंडूरी को। नहीं तो चुनावों से पहले ही निपट जाते। फौजी बैकग्राउंड के खंडूरी एमएलए साथ नहीं रख पाए। बीजेपी ने एसेंबली चुनाव में किसी को प्रोजेक्ट नहीं किया था। पर पार्टी के अध्यक्ष तब कोश्यारी थे। पर आडवाणी ने लोकसभा से इस्तीफा दिलाकर खंडूरी को सीएम बनवाया। मकसद था- नेशनल हाईवे जैसा करिश्मा उत्तराखंड में भी दिखे। पर खंडूरी के पांव जमीन पर नहीं रहे।

तो सांप्रदायिक हिंदुत्व पर चोट करे बीजेपी

Publsihed: 23.Jun.2009, 08:20

वरुणवादी हिंदुत्व चलेगा न तोगड़ियावादी। बजरंगदली, रामसेना जैसा हिंदुत्व भी नहीं। वरुण को आडवाणी-राजनाथ का समर्थन मिला। तभी से भ्रम था। शाहनवाज और नकवी ने कुछ और नहीं पूछा। उनने पूछा था- 'बीजेपी में दीनदयाल उपाध्याय-आडवाणी का हिंदुत्व चलेगा। या पीलीभीत मार्का हिंदुत्व।' बीजेपी पीलीभीत मार्का हिंदुत्व कबूल करे। तो उसमें नकवियों-शाहनवाजों का क्या काम। सो बीजेपी ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में साफ किया- 'कट्टरपंथ कबूल नहीं। पर हिंदुत्व जीवन पध्दति। हिंदुत्व इस देश की आत्मा। हिंदुत्व ही भारतीय।'

बीजेपी मीटिंग में जमकर चले जुबान के जूते

Publsihed: 21.Jun.2009, 08:22

हार के बाद अब मंथन की बारी। शनिवार दिल्ली में सीपीएम और बीजेपी बैठे। तो पटना में लालू की टोली। हारने वाली यही तीनों पार्टियां। सीपीएम की मुसीबत सिर्फ हार नहीं। अलबत्ता एसेंबली की संभावित हार का भी डर। पर हार की सबसे ज्यादा छटपटाहट लालू को। सोनिया-मनमोहन ने भी दूध से मक्खी की तरह निकाल दिया। यों शकील अहमद बता रहे थे- 'लालू हमसे मिलकर लड़ते तो न उनका ऐसा हाल होता, न हमारा।' पर आज बात न लालू की, न सीपीएम की। आज बात बीजेपी की। जिसकी दो दिनी वर्किंग कमेटी शनिवार को शुरू हुई। अपन को पहले से अंदेशा था- जमकर चलेंगे जुबान के जूते। इसीलिए अपन ने 19 जून को लिखा था- 'अपन वर्किंग कमेटी की वजह नहीं जानते।

क्या केन्द्र लालगढ़ को मानेगा आर्गेनाइज्ड क्राइम

Publsihed: 19.Jun.2009, 20:39

यों गुजकोक और लालगढ़ में कोई समानता नहीं। पर समानता इस लिहाज से। गुजकोक आर्गेनाइज्ड क्राइम के खिलाफ बिल। लालगढ़ आर्गेनाइज्ड क्राइम का सबूत। पहले बात गुजकोक की। बात उन दिनों की। जब अक्षरधाम में आतंकी हमला हुआ। तब मोदी ने महाराष्ट्र के मकोका जैसा बिल पास करवाया गुजकोक। यानी- 'गुजरात कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम।' आर्गेनाइज्ड क्राइम के खिलाफ दुनियाभर में कानून बने। वैसे जरूरी नहीं, जो सब जगह 'आर्गेनाइज्ड क्राइम' शब्द का इस्तेमाल हो। जैसे इटली में नहीं। पर क्रिमिनल एसोसिएशन का जिक्र है। इटली के संविधान की धारा 416 में लिखा है- 'जब तीन या ज्यादा जने एक से ज्यादा क्राइम के लिए इकट्ठे हों। तो उन्हें तीन से सात साल की सजा होनी चाहिए।'

कांग्रेस में आज केक कटेंगे, बीजेपी में मातम

Publsihed: 18.Jun.2009, 20:36

राहुल गांधी को जन्मदिन की बधाई। दिग्गी राजा अपनी पार्टी के राजकुमार का जन्मदिन मनाएंगे। अपन न तो राजा लिख सकते हैं, न राजकुमार। यह है कांग्रेस का नया फरमान। फरमान अपनी सिर आंखों पर। देर आयद, पर दुरुस्त आयद। अपन बात कर रहे थे राहुल के जन्म दिन की। तो दिग्विजय सिंह आज यूपी में जाएंगे। दलितों के साथ बैठकर लंच करेंगे। नाम रखा है समरसता दिवस। दिग्विजय सिंह खुद राज परिवार से। अपने जन्मदिन पर दलितों के साथ लंच करते। तो अच्छा भी लगता। जैसे राहुल महासचिव। वैसे ही वह खुद कांग्रेस के महासचिव। दस साल मध्यप्रदेश के सीएम भी रह चुके। पर बात सिर्फ दिग्विजय सिंह की नहीं। बात सारी कांग्रेस पार्टी की। अपन को यह तो नहीं पता- राहुल गांधी आज खुद कहां होंगे।

पाक की ईमानदारी ही तो शक के घेरे में

Publsihed: 18.Jun.2009, 12:34

अपन पाक के लिए यह तो नहीं कहते- 'लातों के भूत बातों से नहीं मानते।' पाक के पास एटमी हथियार न होता। तो वाजपेयी संसद पर हमले के बाद यह फार्मूला अपनाते। फौजें तो उनने बार्डर पर भेज ही दी थी। भले देर लगी। पर वाजपेयी ने मुशर्रफ के घुटने टिकाकर ही दम लिया। जब उनने छह जनवरी 2004 को मुशर्रफ से कहलवाया- 'सरजमीं पाक से भारत के खिलाफ आतंकवाद नहीं होने देंगे।' अपन को वह 15 जुलाई 2001 का वाकया भी याद। जब आगरा में संपादकों से ब्रेक फास्ट में मुशर्रफ ने कहा था- 'कश्मीर में आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही है।' इसी बात पर टूट गई थी बात। मुशर्रफ ख्वाजा मुइन्नुद्दीन चिश्ती की दरगाह में नहीं जा सके।

न-न करते बात उन्हीं से कर बैठे

Publsihed: 17.Jun.2009, 07:57

अपन नहीं जानते मनमोहन सिंह ने पहले चुप्पी क्यों साधी। दिल्ली से रूस उड़े थे। तो पूछा था- 'क्या जरदारी से बातचीत होगी?' उनने चुप्पी साध ली। शायद मनमोहन सिंह दुविधा में थे। राष्ट्रपति के अभिभाषण में दिखाई सख्ती पर चलें। या अमेरिकी दबाव में गतिरोध तोड़ें। अमेरिकी उपविदेश मंत्री विलियम बर्न्स दस जून को भारत आए। तो उनने साफ-साफ कहा था- 'अमेरिका चाहता है भारत-पाक बातचीत शुरू हो।' तब कृष्णा ने भी कह दिया था- 'बातचीत तभी शुरू होगी। जब पाक सीमा पार से आतंकवाद रोके।'