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Exclusive Articles written by Ajay Setia

मनमोहन संसद में सफाई दें, सोनिया फिर करेगी फैसला

Publsihed: 28.Jul.2009, 09:41

जनार्दन द्विवेदी ने बयान जारी किया। तो अपन को लगा- अब धुंध छंट जाएगी। सोनिया का आशीर्वाद मिल चुका। अब मनमोहन के स्टैंड का समर्थन होगा। न यूसुफ रजा गिलानी से साझा बयान पर संशय। न जी-8 में हुए गड़बड़झाले पर। जनार्दन द्विवेदी का बयान बिना राय मशविरे के नहीं हुआ होगा। सोनिया के इशारे पर ही हुआ होगा। आखिर शुक्रवार की रात कोर कमेटी हो गई थी। मनमोहन के घर पर हुई कोर कमेटी में सोनिया पहुंची। तो मनमोहन ने तीनों-चारों विवादों पर सफाई दी। सो अपन ने समझा- जनार्दन का बयान उसी कोर कमेटी का नतीजा। पर एक शक जनार्दन द्विवेदी के ताजा बयान के बाद भी। बुधवार वाले जयंती के बयान को याद करिए।

नाकाम हुई सरकार पर हमलावर हुआ विपक्ष

Publsihed: 24.Jul.2009, 22:45

दिल्ली में सावन के अजीब रंग-ढंग। कभी बारी पूर्वी दिल्ली की। तो कभी दक्षिण दिल्ली की। शुक्रवार को तो कमाल हुआ। संसद मार्ग में बरसात हुई। पर संसद में सूखा पड़ा रहा। फिर भी शरद पवार ने हिम्मत नहीं हारी। बोले- 'धीरे-धीरे सुधर रहे हालात। धीरे-धीरे हो रही बरसात। घबराने की नहीं जरूरत। अन्न का भरा है भंडार।' राज्यसभा में कालिंग एटेंशन मोशन का जवाब दे रहे थे। उनने माना- मौसम विभाग की भविष्यवाणी गलत निकली। वैसे पवार ने बहुत देर से माना। देश का आम आदमी तो उसी दिन से मान रहा था। जिस दिन भविष्यवाणी हुई। भविष्यवाणी तो जल्द बरसात की थी। जल्द तो दूर की बात। आधे से ज्यादा सावन बीत चला। पवार ने सिर्फ 17 फीसदी कमी बताई। पच्चीस फीसदी कम हो। तो सूखा घोषित करने का नियम। सो सरकार कहीं सूखा घोषित नहीं करेगी। विपक्ष चीखता-चिल्लाता रहे। जरूरत पड़ी, तो इम्पोर्ट करेगी। दोनों हाथों में लड्डू वाला इम्पोर्ट।

सरकार कूटनीति में पैदल राहुल राजनीति में मस्त

Publsihed: 23.Jul.2009, 20:45

राजनीति अपनी जगह। कूटनीति अपनी जगह। राजनीति में होगा कांग्रेस का सितारा बुलंद। पर कूटनीति में कांग्रेस की चूल्हें हिल गई। नटवर सिंह के बिना तो कांग्रेस कूटनीति में लाचार। प्रणव दा भी काम चला ले गए थे। पर प्रणव दा कूटनीति करते। तो कांग्रेस घरेलू राजनीति में चप्पे-चप्पे पर फंसती। सो पहले बात राजनीति की। लालू-मुलायम अपनी सुरक्षा के लिए पहले चिदम्बरम से मिले। फिर मायावती से भिड़ंत शुरू हो गई। यूपी-बिहार वालों का गुरुवार का सारा दिन बॉडीगार्डों की राजनीति में बीता। संसद के दोनों सदन अखाड़ा बन गए। पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्यसभा में सुरक्षा बरकरार रखने का वादा किया। तो वही वादा लोकसभा में ही दोहराने पर अड़ गए। अपने पवन बंसल भी क्या करते। चव्हाण का बयान दोहरा दिया।

विदेशनीति पर मनमेहन की क्लास लेंगी सोनिया

Publsihed: 23.Jul.2009, 10:16

लालू-मुलायम यूपीए छोड़ विपक्ष में आने को बेताब। झलक बुधवार को साफ दिखी। लालू-मुलायम-राबड़ी की सुरक्षा घटाने की खबर लीक हुई। तो लोकसभा में हंगामा हुआ। सवाल उठाया मुलायमवादी शैलेन्द्र कुमार ने। पर लालू ने साफ कह दिया- 'मुझे कुछ हुआ, तो सुरक्षा घटाने वाले जेल जाने को तैयार रहें।' इशारा चिदम्बरम की ओर ही था। चिदम्बरम पर फब्ती कसते हुए कहा- 'राबड़ी को सुरक्षा दी कब थी। जो हटाने की खबरें छपवा रहे हो।' मुलायम ने तो खुद पर हुए चार हमलों का हवाला दिया। शरद यादव भी दोनों यादवों के साथ दिखे। बोले- 'नाम कैसे लीक हुए। क्या हत्यारों को बताना चाहते हैं- जो करना हो, कर लो।' पर बात मुलायम की। उनकी विपक्ष में जाने की बेताबी साफ दिखी।

अमेरिकी कानून लागू होंगे तो अपनी डेमोक्रेसी खतरे में

Publsihed: 22.Jul.2009, 09:09

बात सिर्फ मनमोहन सिंह की नहीं। जिनके अमेरिका प्रेम से अब सोनिया भी खफा। सोनिया के खफा होने के चार सबूत अपन देंगे। बात यूपीए सरकार के बाकी मंत्रियों की। या तो वे मनमोहन के डर से चुप। या फिर अमेरिकी खौफ से भयभीत। आखिर बुश ने इराक को तबाह कर ही दिया। सामूहिक नरसंहार का कोई हथियार नहीं मिला। फिर भी बिना कसूर सद्दाम को फांसी पर चढ़ा ही दिया। तो क्या इसीलिए यूपीए सरकार अमेरिका से भयभीत? वरना क्या कारण रहा होगा। जो प्रफुल्ल पटेल तीन महीने अमेरिकी बद्तमीजी पर चुप्पी साधे रहे। बात चौबीस अप्रेल 2009 की। अब्दुल कलाम जा रहे थे अमेरिका। अमेरिकी कांटीनेंटल एयरलाइंस ने उनके जूते तक उतरवाए। यह बद्तमीजी न्यूयार्क या वाशिंगटन में नहीं। अलबत्ता दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर हुई। सीआईएसएफ ने कांटीनेंटल एयरलाइंस को बताया भी- 'अब्दुल कलाम देश के पूर्व राष्ट्रपति।

दुनिया के कटघरे में पाक देश के कटघरे में मनमोहन

Publsihed: 21.Jul.2009, 10:00

मनमोहन को अब ज्यादा मुश्किल तो नहीं होनी चाहिए। देश को साझा बयान पर जितना गुस्सा शुक्रवार को था। उतना सोमवार को तो नहीं था। पर सोनिया गांधी को अभी भी संतुष्ट नहीं कर पाए मनमोहन सिंह। सोनिया संतुष्ट हो गई होती। तो अभिषेक मनु सिंघवी सोमवार को मनमोहन का बचाव करते। पर उनने नहीं किया। रूटीन ब्रीफिंग में पूछा गया। तो सवाल से आनाकानी करते रहे। ना साझा बयान का समर्थन। न मुखालफत। यों प्राइवेटली पूछो। तो हर कांग्रेसी सांसद का चेहरा तमतमाया हुआ दिखा। बातचीत को आतंकवाद से अलग करना किसी को नहीं जंचा। यह बात तो किसी को नहीं जंची- 'आतंकवाद पर कार्रवाई का समग्र बातचीत प्रक्रिया से संबंध नहीं होना चाहिए। दोनों को जोड़कर नहीं देखना चाहिए।' यों ऐसा नहीं।

पाक को जो धमकियां थी, वो गीदड़ भभकियां निकली

Publsihed: 18.Jul.2009, 09:20

तो वैसा बवाल नहीं हुआ। जैसा अपन  सोचकर बैठे थे। दलितों का गुस्सा उलटा पड़ता दिखा। तो न कांग्रेस ने संसद में मायावती के खिलाफ हल्ला किया। न राहुल गांधी अमेठी जाते लखनऊ में रुके। रास्ते में रीता बहुगुणा का जला घर देखने जाते। तो मामला तूल पकड़ता। कांग्रेस को बचाव मुद्रा में आता देख माया शेर हो गई। बोली- 'कांग्रेस हमारे वर्करों को गीदड़ न समझे। वे भी सड़कों पर आ गए। तो कांग्रेसी चूहे की तरह दुबकेंगे।' गलत मुद्दे पर फंसी कांग्रेस ने चुप्पी में ही भला समझा। राहुल ने अपना रास्ता पकड़ा। रीता बहुगुणा का जिक्र तक नहीं किया। यों मायावती पर हमलों में कमी नहीं की। बिजली कमी की मूर्तियों से तुलना कर मायावती की खिल्ली उड़ाई। पर बात संसद की। जहां बीजेपी ने भी शुक्रवार का दिन नहीं गंवाया।

तो मनमोहन सिंह मिस्र में जीती बाजी हार कर आए

Publsihed: 17.Jul.2009, 08:20

अपन को जो शक था वही हुआ। अपन ने कल लिखा था- 'हफीज पर कहीं रुख नरम न कर दें पीएम।' अपन को डर था- पाक मुंबई वारदात से पिंडे छुड़ाने की कोशिश करेगा। पर अपन को लगता था- मनमोहन नहीं झुकेंगे। आखिर मनमोहन बार-बार कह रहे थे- 'पाक पहले मुंबई के हमलावरों पर कार्रवाई का सबूत दे।' पर अपना डर सही निकला। मनमोहन का रुख नरम हो गया। साझा बयान में हफीज सईद का तो जिक्र तक नहीं। अपन अगर साझा बयान से हफीज सईद को ढूंढें भी। तो मनमोहन सिंह हारे हुए निकलेंगे। साझा बयान में कहा गया-  'गिलानी ने भरोसा दिलाया- मुंबई के हमलावरों को सजा दिलाने की पाक हर संभव कोशिश करेगा। उतनी कोशिश करेगा, जितनी उसके बस में हुई।' इसका मतलब समझते हैं आप।

हफीज पर कहीं रुख नरम न कर दें पीएम

Publsihed: 16.Jul.2009, 09:23

अपन ने कल लिखा ही था- पाक नहीं बदला। जो अपन ने लश्कर -ए-तोएबा चीफ हाफिज सईद के मामले में देखा। इसका असर मंगलवार की रात मिस्र में भी दिखा। जब शिवशंकर मैनन की सलमान बशीर से गुफ्तगू हुई। मैनन अपने विदेश सचिव। बशीर पाकिस्तान के। अपन ने जो समझा। हाफिज सईद पर बात वैसे ही बिगड़ी। जैसे आगरा में मुशर्रफ-वाजपेयी में बिगड़ी थी। बशीर ने पाकिस्तानी जर्नलिस्ट बाकिर सज्जाद सईद से कहा- 'सफलता के लिए धीरज की जरूरत।' तो अपन को समझने में देर नहीं लगी। मैनन ने समग्र बातचीत शुरू करने से इनकार किया होगा। आज मनमोहन-गिलानी गुफ्तगू होगी। यों मनमोहन-गिलानी मीटिंग से पहले मैनन-बशीर फिर बैठ चुके होंगे। पर अपन को किसी साझा बयान की उम्मीद नहीं।

पाक नहीं बदला, फिर भी मनमोहन बात को राजी

Publsihed: 15.Jul.2009, 09:58

अपने यहां फैमिली प्लानिंग की आवाज उठाना गुनाह। जब-जब कानून की बात उठी। खुदा की नियामत बताकर मुखालफत हुई। बंदे मातरम् पर भी बंट जाती है अपनी संसद। फैमिली प्लानिग तो दूर की बात। अपन आज यह सवाल न उठाते। अगर मुस्लिम देश में कानून की बात न उठती। पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में उठा है सवाल। पीएमएल-क्यू के मेंबर रियाज फालियाना ने एसेंबली में कहा- 'दो से ज्यादा बच्चों पर टैक्स लगाया जाए। तभी आबादी पर कंट्रोल होगा।' यों दकियानुसियों ने मुखालफत की। पर बहुतेरे मेंबर समर्थन में भी उठे। बाकायदा बहस हो गई। अपने यहां तो संसद में बहस भी नहीं होती।