बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव हो, तो मोदी जैसा कोई नहीं
संघ ने बंद मुट्ठी खोल ली। बीजेपी की साख बढ़ेगी या घटेगी। यह तो बीजेपी वाले या संघ वाले जाने। पर एनडीए का कुनबा बिखरेगा। एनडीए का आडवाणी को नेता मानना भी आसान नहीं था। पर शरद यादव-नीतीश कुमार जैसों ने आडवाणी को करीब से देखा था। तो आडवाणी को कबूल करना आसान हुआ। वरना मीडिया ने आडवाणी की ऐसी इमेज बना दी थी। अपन को तो वाजपेयी के बाद ही कुनबा बिखरने का अंदेशा था। आडवाणी का असली व्यक्तित्व मीडिया की बनाई इमेज से कोसों दूर। शरद यादव ने एक बार कहा था-'हमने आडवाणी के साथ छह साल काम किया। हमें उन्हें एनडीए का नेता मानने में कोई प्रॉब्लम नहीं।' मीडिया की नजर में मोदी की इमेज तो आडवाणी से भी बुरी।