मक्का-मदीना से फिदायिन हमलों के खिलाफ फतवा
अपन ने वंदेमातरम् के खिलाफ फतवे की आलोचना की। तो आतंकवाद के खिलाफ फतवे की तारीफ भी होनी चाहिए। मक्का-मदीना से इस बार मुसलमानों को नया संदेश मिला। जेहाद के नाम पर आतंकवाद फैलाने वालों को सबक। संदेश मक्का-मदीना से आया। सो दुनियाभर के मुसलमानों को मानना चाहिए। वह भी बकरीद के मौके पर। सो इसे मोहम्मद पैगंबर का संदेश मानना चाहिए। देबबंद के जिस दारूल उलूम का देश की आजादी में योगदान रहा। जिस दारूल-उलूम ने बंटवारे की मुखालफत की। उसी दारूल-उलूम से वंदेमातरम् के खिलाफ फतवा चुभा था। सिर्फ हिंदुओं को नहीं। सच्चे मुसलमानों को भी चुभा था। जैसा गुजरात के डीआईजी ने अपने लेख में लिखा- 'नमाज पढ़कर जमीं को चूमना वंदेमातरम् ही है। तो फिर वंदेमातम की मुखालफत क्यों।' अपन को तसल्ली हुई। जब हजारों सच्चे मुसलमानों ने फतवे की मुखालफत की। बैतूल में तो मस्जिद के सामने वंदेमातरम् गाकर की। अपन कहेंगे- भारतीय मुसलमानों को कट्टरपन छोड़ना चाहिए। तो कोई बुरा मान लेगा। पर ज्यादातर मुस्लिम देशों के शासक आधुनिक हो चुके।