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Exclusive Articles written by Ajay Setia

देवगौड़ा की शर्तों से अटका न्यौता

Publsihed: 03.Nov.2007, 10:36

चेन्नई में वेंकैया नायडू कह रहे थे- 'येदुरप्पा को न्यौता नहीं मिला। तो 129 एमएलए लेकर दिल्ली जाएंगे।' पर यह गीदड़-भभकी के सिवा कुछ नहीं। देवगौड़ा की नई चिट्ठी ने गठबंधन में ही आग लगा दी। जेडीएस के एमएलए दिल्ली तो तब पहुचेंगे। जब देवगौड़ा की हरी झंडी होगी। यूपीए-लेफ्ट में वन-टू-थ्री पर छीना-झपटी। जेडीएस-बीजेपी में वन-टू-नाइन पर। देवगौड़ा ने तो शर्तों का पुलिंदा सामने रख दिया। अपन ने कल सही लिखा था- 'बीजेपी माने तो मरी, न माने तो मरी।'

देवगौड़ा की टेढ़ी चाल से बीजेपी हुई बेहाल

Publsihed: 01.Nov.2007, 21:51

देवगौड़ा की टेढ़ी चालों का पता था। फिर भी बीजेपी चाल में फंस गई। तीस अक्टूबर को अपन से एक गलती हुई। असल में देवगौड़ा ने अपनी पहली वाली चिट्ठी वापस नहीं ली। बीजेपी को तभी समझ लेना चाहिए था। देवगौड़ा का मन साफ होता। तो विधानसभा भंग करने की सिफारिश वाली चिट्ठी वापस लेते। नई चिट्ठी लिखते। पर देवगौड़ा ने नई चिट्ठी गवर्नर की बजाए राजनाथ को लिखी। जिसमें ऐसी-ऐसी नई शर्तें। जिन्हें बीजेपी माने, तो मरी। न माने, तो मरी। वैसे तो स्कूल में बच्चों को भी सिखाया जाता है- 'लालच बुरी बला।'

'पॉजिटिव रिस्पांस' लेकर लौटे येदुरप्पा

Publsihed: 01.Nov.2007, 06:11

येदुरप्पा अगली बार सीएम बनकर दिल्ली आएं। सो फिर हो न हो। अपन को लगा अभी मिल लिया जाए। पर येदुरप्पा के पास वक्त कहां था। दौड़ते हुए दिल्ली आए। भागते हुए बेंगलुरु लौट गए। पर पीएम से मुलाकात के बाद वेंकैया के घर पहुंचे। तो अपना मिलना तय हो गया। पीएम से मुलाकात में अच्छी खबर थी। सो खुशनुमा मूड में शॉपिंग का प्रोग्राम बना। औरंगजेब रोड से हवाई अड्डे के रास्ते में भागते-दौड़ते शॉपिंग हुई। इसी बीच एक दुकान पर येदुरप्पा से अपनी मुलाकात। खुशनुमा मूड ने अंदर की बात पूछने का मौका ही नहीं दिया। पर अपन ने फारमेल्टी के लिए पूछा- 'पीएम से कैसा संकेत मिला?'

गवर्नर की गुहार पर आज तो टला टकराव

Publsihed: 31.Oct.2007, 09:30

अपने रामेश्वर ठाकुर बेहद मुश्किल में। एसेंबली भंग करने का कांग्रेसी दबाव मानें। या डेमोक्रेसी का ख्याल रखें। डेमोक्रेसी के लिहाज से सोचें। तो येदुरप्पा के पास बहुमत से सोलह एमएलए ज्यादा। एसेंबली भंग हो गई होती। तो यह टंटा ही खड़ा नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही हालात के लिए फैसला दिया- 'सरकार बनाने की गुंजाइश रहे। सो पहले सस्पेंड की जाए।' इसी नजरिए से गवर्नर ने दिल्ली में कहा था- 'कोई गठबंधन सामने आए। तो सरकार बनने की गुंजाइश बरकरार।'

सोनिया ही करेंगी कर्नाटक का फैसला

Publsihed: 29.Oct.2007, 20:32

पिछले दिनों आपने भी वह खबर देखी होगी। पति-पत्नी में तलाक का मुकदमा तीन साल चला। पर जब तलाक हुआ। तो तीसरे दिन दोनों ने फिर शादी कर ली। तलाक के बाद दोनों को एक-दूसरे से दूरी का अहसास हुआ। हू-ब-हू यही हाल कर्नाटक में बीजेपी-जेडीएस का।  तलाक हुए अभी महीना भी पूरा नहीं हुआ। दुबारा शादी के मंडप पर जा बैठे। येदुरप्पा सेहरा बांधकर घोड़ी पर बैठ गए। दुल्हन ने सहमति दे दी। पर पंडित फेरे करवाने को तैयार नहीं। पर पहले दुबारा शादी की रामलीला सुन लो।

'तहलका' मोदी पर, नींद कांग्रेस की उड़ी

Publsihed: 27.Oct.2007, 10:08

अपन सीएनबीसी टीवी-18 देख रहे थे। मुद्दा था- राजनीति में असभ्य भाषा। बात कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद की। जिनने गुजरात में जाकर कहा- 'नरेंद्र मोदी को तो अपने बाप का भी पता नहीं।' इसे अपन मां की गाली कहेंगे। कोई राजनेता पब्लिक मीटिंग में मां की गाली देगा। वह भी उस गुजरात की भूमि पर जाकर। जहां गांधी और पटेल हुए। भारत में तो कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता। पर यह सब हुआ। तो चैनल पर बहस में करन थापर ने जयंती नटराजन से पूछा। वह झेंपती हुई बोली- 'मैं होती, तो ऐसा नहीं कहती।' करन ने पलटकर कहा- 'आपने भी तो आडवाणी को लौह पुरुष की जगह लो (घटिया)पुरुष कहा।' जयंती शर्मसार नहीं हुई।

यूपीए को तलाक यूएनपीए से हनीमून

Publsihed: 25.Oct.2007, 22:09

अपन एक बार फिर याद करा दें। एटमी करार का ड्राफ्ट जारी हुआ। तो अपन ने सबसे पहले इसे देश के खिलाफ कहा। अपना शुरू से मत रहा- करार से अपना फायदा कम, अमेरिका का ज्यादा। पीएम और कांग्रेस यह बात अब तक नहीं मान रहे। मनमोहन-सोनिया से एक सवाल तो वाजिब ही होगा। अगर करार अपने हक में। तो अमेरिका इतना बेचैन क्यों? निकोलस बर्न्स की इसी साल वाली ताजा धमकी क्यों? आडवाणी से अमेरिकी राजदूत डेविड मल्फर्ड की गुहार क्यों। अमेरिका मनमोहन की मदद पर क्यों उतर आया। अपन को यह समझने में कोई दिक्कत नहीं। फायदा अमेरिका का न होता। तो वह अपन को जूते की नोंक पर रखता। लेफ्ट से बात नहीं बन रही। तो बीजेपी पर डोरे।

बीता दिन संगीन मामलों में अदालती फैसलों का

Publsihed: 25.Oct.2007, 09:47

वैसे तो बुधवार का दिन अदालतों के नाम रहा। चार बड़े मशहूर केसों में साठ जनों को उम्रकैद हुई। चारों केसों में जानी-मानी हस्तियां। यों तो हफ्ते की शुरूआत फिल्मी हस्तियों पर चाबुक से हुई। सोमवार को संजय दत्त जेल में गए। मंगल को आमिर खान के गैर जमानती वारंट निकले। बुध को सलमान खान अदालत की चौखट पर पहुंचे। संजय दत्त का मामला मुंबई के दंगों से जुड़ा। आमिर खान का राष्ट्रीय ध्वज के अपमान से। सलमान का चिंकारा शिकार मामले से। तीनों संगीन मामले। पर तीनों के हिमायतियों की कमी नहीं। कानून तोड़ने वालों की बात छोड़िए। अपने यहां तो आतंकियों के भी हमदर्द। अफजल की फांसी वाला मामला लटकना इसका सबूत।

करार पर किरकिरी होगा पूर्ण जनादेश का एजेंडा

Publsihed: 24.Oct.2007, 05:07

एटमी करार पर यूपीए-लेफ्ट चख-चख अब आखिरी दौर में। अपने मनमोहन तो उम्मीद छोड़ चुके। भले ही अमेरिका ने अभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी। मंगलवार को व्हाइट हाऊस के प्रवक्ता टोनी फ्रेटो बोले- 'अभी से निराशा जाहिर करना जल्दबाजी होगा।' अब अपन को नहीं पता। मनमोहन ने पंद्रह अक्टूबर को बुश से क्या कहा। पृथ्वीराज चव्हाण बता रहे थे- 'एटमी करार पर बात नहीं हुई।' तो नाइजीरिया में संजय बारू ने जो  बताया था। वह क्या था? चव्हाण ने मुंह फेर लिया। हू-ब-हू यही बात अमेरिका में भी हुई। टोनी फ्रेटो बोले- 'बुश-मनमोहन बात की सही-सही जानकारी मुझे नहीं।' पर बात मनमोहन के निराश होने की।

मनमोहन का अमेरिका से इमोशनल रिश्ता ?

Publsihed: 23.Oct.2007, 04:25

अपन कुत्ते-बिल्ली का खेल कहें। तो कोई बुरा मान लेगा। सो अपन इसे कछुए और खरगोश की दौड़ कहेंगे। कभी कछुआ आगे, कभी खरगोश। कभी मनमोहन आगे, कभी प्रकाश करात। कौन कछुआ, कौन खरगोश। अपन यह भी नहीं जानते। पर यह चिख-चिख अब बहुत बेढंगी हो गई। कानों को नहीं सुहाती। कभी करात की धमकी। कभी एबी वर्धन की। तो कभी मोहलत बढ़ाना। कभी मनमोहन का चुनौती देना। तो कभी वापस लेना। पता नहीं यह नौटंकी कब तक चलेगी। पहले कहा था- 'पांच अक्टूबर को आर या पार होगा।' फिर कहा- 'नौ अक्टूबर को इधर या उधर होगा।' फिर कहा- 'दुर्गा पूजा-दशहरे के बाद।' रावण दहन के बाद का नाम सुन यूपीए बेहद डर गया।