अजय सेतिया / यह बात सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाकआउट करने से पहले कई बातों के बारे में विचार नहीं किया | देश की जनता को लाकआउट के लिए सिर्फ चार घंटे दिए गए | 24 मार्च को रात आठ बजे वह टीवी पर आए और अपना भाषण खत्म करते करते रात 12 बजे से लाक आउट का एलान कर दिया | जिस तरह नोट बंदी करते समय कुछ बातों का ध्यान नहीं रखा गया था और बाद में कम से कम सौ बार नियमों में बदलाव किया गया | ठीक वैसे ही लाक डाउन में समस्या का सामना होने पर समाधान ढूंढा जा रहा है | यानी प्यास लगने पर कुआं खोदने वाली कहावत चरितार्थ हो रही है |
इसे माना ही जाना चाहिए कि लाक डाउन का फैसला केबिनेट में लिया गया था , तो केबिनेट में क्या श्रम मंत्री या गृह मंत्री को यह नहीं बताना चाहिए था कि दिल्ली , मुम्बई और सभी प्रदेशों की राजधानियों में लाखों मजदूर रहते हैं , जो दैनिक मजदूरी कर के अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं , उन का क्या होगा | अगर यह बात शुरू में ही प्रधानमंत्री के ध्यान में लाई जाती तो प्यास लगने पर कुआं खोदने की जरूरत नहीं पडती और उतर प्रदेश और राजस्थान में मुख्यमंत्रियों को दिल्…
और पढ़ें →