India Gate Se

Published: 30.Mar.2020, 20:43

अजय सेतिया / यह बात सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाकआउट करने से पहले कई बातों के बारे में विचार नहीं किया | देश की जनता को लाकआउट के लिए सिर्फ चार घंटे दिए गए | 24 मार्च को रात आठ बजे वह टीवी पर आए और अपना भाषण खत्म करते करते रात 12 बजे से लाक आउट का एलान कर दिया | जिस तरह नोट बंदी करते समय कुछ बातों का ध्यान नहीं रखा गया था और बाद में कम से कम सौ बार नियमों में बदलाव किया गया | ठीक वैसे ही लाक डाउन में समस्या का सामना होने पर समाधान ढूंढा जा रहा है | यानी प्यास लगने पर कुआं खोदने वाली कहावत चरितार्थ हो रही है |

इसे माना ही जाना चाहिए कि लाक डाउन का फैसला केबिनेट में लिया गया था , तो केबिनेट में क्या श्रम मंत्री या गृह मंत्री को यह नहीं बताना चाहिए था कि दिल्ली , मुम्बई और सभी प्रदेशों की राजधानियों में लाखों मजदूर रहते हैं , जो दैनिक मजदूरी कर के अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं , उन का क्या होगा | अगर यह बात शुरू में ही प्रधानमंत्री के ध्यान में लाई जाती तो प्यास लगने पर कुआं खोदने की जरूरत नहीं पडती और उतर प्रदेश और राजस्थान में मुख्यमंत्रियों को दिल्…

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Published: 29.Mar.2020, 17:16

अजय सेतिया / देश भर में 21 दिन का लाक डाउन लागू होने के तीसरे दिन ही दिल्ली में अफरा तफरी मच गई | एक तरफ ऐसी अफवाहों का बाज़ार गर्म था कि लाक डाउन अवधि आगे भी बढ़ेगी , तो दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल उन लाखों मजदूरों के खाने-पीने का इंतजाम करने में पूरी तह विफल साबित हो रहे थे | पहले दिन तो उन्होंने सिर्फ 20 हजार दिहाड़ी मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था की थी , जबकि जरूरत कम से कम चार लाख लोगों के लिए भोजन की थी | यह एहसास उन्हें दुसरे दिन हुआ तो उन्होंने 2 लाख लोगों के भोजन की व्यवस्था करने का एलान किया लेकिन तीसरे दिन उस में भी विफल हो गए | नतीजा यह निकला कि यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान से आ कर दिल्ली में काम करने वाले लोगों में बेचेनी बढ़ गई | ख़ास कर यूपी –बिहार के मजदूरों का दिल्ली में बिना काम के दिल्ली में रहना मुश्किल हो गया |

इधर व्यवस्था में नाकाम आम आदमी पार्टी के विधायकों और कार्यकर्ताओं ने यह कर कर उन का होंसला तोड़ा कि लाक आउट तो 21 दिन से भी ज्यादा चलेगा , यह सच भी हो, तो भी उन्हें उन के रहने खाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी , जैसा…

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Published: 26.Mar.2020, 19:14

अजय सेतिया / कांग्रेस को शायद अब एहसास हो गया है कि यह वक्त राजनीतिक बयानबाजी का नहीं है | न ही राजनीतिक आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर कदम पर मीन-मेख निकालने का वक्त है | इस लिए 22 मार्च के जनता कर्फ्यू से दूरी बनाने और खिल्ली उड़ाने के दो दिन बाद राहुल गांधी ने ट्विट कर के सरकार के आदेशों का पालन करने की अपील की और 26 मार्च को जब मोदी सरकार ने गरीबों और निम्न मध्यम वर्ग के लिए 1,70,000 करोड़ के पॅकेज का एलान किया तो राहुल गांधी ने उस का स्वागत किया | राष्ट्र के प्रति कांग्रेस की इस सकारात्मक सोच का स्वागत किया जाना चाहिए | राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ की तरह कांग्रेस सेवा दल भी अभावग्रस्त लोगों की सेवा में जुट जाए तो संकट की इस घड़ी में राष्ट्र एकजुट दिखाई ही नहीं देगा , विजय भी हासिल करेगा |

 

यह एक अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री ने पांच साल पहले ही स्वच्छ भारत की मुहीम शुरू कर दी थी , सोचो इस बीच अगर 4.5 करोड नए शौचालय नहीं बने होते तो भारत कोरोना वायरस का कैसे मुकाबला करता | अक्टूबर 2014 से पहले सि…

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Published: 25.Mar.2020, 19:11

अजय सेतिया  / नरेंद्र मोदी ने जब 22 मार्च के जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था , तो सारा देश शाम 5 बजे इस संकट की घड़ी ने जनता की सेवा करने वालों का आभार करने के लिए तालियाँ, थालियाँ और घंटियां शंख बजा रहा था | शरद पवार मुम्बई में , नवीन पटनायक भुवनेश्वर में , केसीआर और जगनमोहन रेड्डी हैदराबाद में इस हवन में शामिल थे | सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी कहीं दिखाई नहीं दिए | हालांकि खुद राहुल गांधी में फरवरी मध्य में देश को इस खतरे से आगाह किया था | हालांकि उन्हें तब तक यह नहीं पता था कि कोरोना वायरस उन की एक राज्य सरकार निगल लेगा | इधर 2 मार्च को कोरोनावायरस ने दबे पाँव दस्तक दे दी थी, जब राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने भारत में कोरोनावायरस से पीड़ित पहले मरीज की पुष्टि की | उधर उसी दिन दिग्विजय सिंह ने दिल्ली में विस्फोटक बयान दिया था कि भाजपा कांग्रेस के विधायको को खरीदने के लिए 25 से 35 करोड़ रूपए का भाव लगा रही है |

कोरोना वायरस छूआछूट की बीमारी है और सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के खेमे हमेशा से छूआछूत से ग्रस्त रहे हैं | तब यह समझ आ रहा था क…

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Published: 24.Mar.2020, 19:08

अजय सेतिया /प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजुल मीडिया के पत्रकारों से बातचीत के 24 घंटे बाद जब पुलिस ने शाहीन बाग़ से तम्बू उखाड़ फैंके तो मीडिया में कोई शोर शराबा नहीं हुआ | असल में सरकार विजुअल मीडिया के डर से ही चुप्पी साध कर बैठी हुई थी | वरना वह गैरकानूनी धरना 17 दिसम्बर को ही उखाड़ फैंकती | नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध तो पूरी तरह अनपढ़ता पर आधारित है ही , सडक पर धरना लगाना भी गैरकानूनी था |

शुरू में आमजन और मीडिया की आँखों में धूल झोंक कर धरने को सेक्यूलर बताने की कोशिश की गई , कुछ हिन्दुओं , सिखों , ईसाईयों को धरने में बिठा कर सभी धर्मों की ओर से नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध दर्शाया गया | अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के दिल्ली स्थित रिपोर्टरों ने इसी भ्रान्ति में आ कर क़ानून के खिलाफ व्यापक विरोध की बेबुनियाद खबरें लिखीं जिस से दुनिया भर में भारत की छवि खराब हुई | इस लिए भी मोदी सरकार फूंक फूंक कर कदम रखना चाहती थी |

कपिल सिब्बल ने राज्यसभा में यह कह कर कि नागरिकता संशोधन क़ानून से किसी की नागरिकता नहीं जाएग , इस धरने के आधार की हवा निकाल दी थी | साबित हो गया था कि…

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Published: 23.Mar.2020, 19:04

अजय सेतिया / इटली में कोरोनावायरस से सब से ज्यादा लोग मरे हैं | चीन के वुहान प्रांत से भी ज्यादा , जहां से कोरोनावायरस शुरू हुआ था | वुहान में कोरोनावायरस पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है , जबकि दुनिया के सब से विकसित देशों में से एक इटली में अभी कोरोनावायरस से मरने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है | पंजाब के एक पत्रकार ने अपने न्यूज चेनल के लिए इटली में रह रहे अपने एक पंजाबी दोस्त से यह जानने के लिए बात की कि इटली में इतनी ज्यादा मौतें क्यों हो रही हैं , जबकि इटली तो विकसित देश है , जहां हर तरह की मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं |

इटली में रह रहे इस पंजाबी ने सब से पहली बात यह कही कि सरकार जो पाबंदियां लगा रही है उस का अक्षरश पालन किया जाना चाहिए | उस का कहना था कि इटली की सब से बड़ी गलती यह थी कि उस ने शुरू में सम्पूर्ण लाक डाउन की बजाए यह कह दिया था कि कुछ लिमिटेड लोग बाहर आ सकते हैं , अगर इटली की सरकार शुरू में सम्पूर्ण लाक डाउन कर देती तो शायद यह हालात पैदा नहीं होते | आज हालात यह है कि इटली के लगभग सभी स्कूलों को अस्पताल में परिवर्तित किया जा चुका है , मेडिकल के छात्…

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Published: 20.Mar.2020, 19:01

अजय सेतिया / माधव राव सिंधिया जो नहीं कर पाए थे , वह उन के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कर दिखाया है | 1989 में कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के राजनीतिक आका अर्जुन सिंह ने माधव राव सिंधिया को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया था , जबकि कांग्रेस आला कमान यानी राजीव गांधी उन्हें मुख्यमंत्री बनवाने के पक्ष में थे | तब कमल नाथ और दिग्विजय सिंह का इतना कद नहीं था कि उन में से कोई अर्जुन सिंह के वारिस के तौर पर मुख्यमंत्री बनता | इस लिए अर्जुन सिंह ने मोटी लाल वोरा को मुख्यमंत्री बनवा दिया था , जिन की रहनुमाई में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा सत्ता में आ गई थी |

2019 के चुनाव के बाद माधव राव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुख्यमंत्री बनने के पूरे चांस थे , क्योंकि तब के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव की बागडोर उन्हीं के हाथ एन सौंपी थी | लेकिन तीस साल बाद अर्जुन सिंह के दोनों चेले फिर इक्कठे हो गए और सिंधिया को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया | इस बार न सिर्फ ज्योतिरादित्य को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया , बल्कि राजनीति की इसी बिसात बिछाई कि उन्हें लोकसभा का चुनाव भी हरवा…

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Published: 19.Mar.2020, 18:58

अजय सेतिया / अभी कहा नहीं जा सकता कि कोरोना वायरस का प्रकोप कब तक जारी रहेगा | जब यह प्रकोप खत्म होगा तो दुनिया न जाने किस हाल में होगी | इस प्रकोप का दुनिया की आर्थिक स्थिति पर कितना असर पड़ेगा | दुनिया के अर्थशास्त्री इस तरह की भविश्यवाणी कर रहे हैं कि दुनिया की अर्थ व्यवस्था 30 साल पीछे चली जाएगी , यानी जहां 1991 में खडी थी , कुछ महीनों के लिए वहीं जा कर खडी हो जाएगी | लेकिन उस के बाद दो साल में अर्थव्यवस्था सुधर भी सकती है | 

कोरोनावायरस का प्रकोप पिछले साल के आखिर में चीन से शुरू हुआ था , जिस का असर अब दुनिया के लगभग हर देश में देखा जा रहा है | दुनिया भर में हवाई सेवाएं बंद होने के करीब हैं | की देशों ने अपनी जनता को इस प्रकोप से बचाने के लिए कुछ बहुत ही सख्त कदम उठाए , कई देशों ने वीजा रद्द किए और अनेक देशों ने अपनी सीमाएं सील कर दीं | कुल मिला कर कोशिश इस बात की हो रही थी कि महामारी का असर कम से कम हो , इस लिए लोगों को घरों में बंद रहने की हिदायतें दी गई |

इन्हीं एहतियातों के कारण बाज़ारों की रौनक गायब हो रही है , लोग कम से कम एक एक महीने का राशन ले…

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Published: 17.Mar.2020, 23:25

अजय सेतिया / मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ और राज्यपाल लाल जी टंडन में पत्रयुद्ध चल रहा है | यह पत्र युद्ध राज्यपाल ने 14 मार्च को शुरू किया था , जब उन्होंने कमलनाथ को कहा था कि वह 16 मार्च को अपना बहुमत सिद्ध करें | राज्यपाल ने एक चिठ्ठी स्पीकर को भी लिखी थी , जिस में 16 मार्च को सदन में बहुमत साबित करने की प्रक्रिया अपनाने का निर्देश था | स्पीकर ने राज्यपाल की चिठ्ठी की कोई प्रवाह नहीं की और कोरोना वायरस का बहाना बना कर सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी | शायद भाजपा के नेताओं को खुद अपने राज्यपाल पर भरोसा नहीं था , इस लिए विधानसभा स्थगित होते ही शिवराज सिंह ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका लगा दी कि कमलनाथ ने राज्यपाल के कहने के बावजूद बहुमत साबित नहीं किया है , इसलिए उन्हें जल्द बहुमत साबित करने के लिए कहा जाए |

इधर भाजपा सुप्रीमकोर्ट पहुंची हुई है , जिस में कांग्रेस 16 बागी विधायक भी पार्टी बन गए हैं | कोर्ट ने कमल नाथ  और स्पीकर को नोटिस दे कर बुधवार सुभ 10 बजे तक अपना पक्ष रखने को कहा है | एक तरफ कोर्ट सुनवाई कर रही है तो दूसरी तरफ राज्यपाल और मुख्य…

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Published: 16.Mar.2020, 18:54

अजय सेतिया / अपन ने कल ही लिखा था कि कमल नाथ बहुमत साबित नहीं करेंगे , अलबत्ता स्पीकर कोरोना वायरस का बहाना बना कर सदन स्थगित कर देंगे | वही हुआ | कमल नाथ ने राज्यपाल के बहुमत साबित करने के निर्देश देने के अधिकार को ही चुनौती दे दी | राज्यपाल को भेजी गई अपनी छह पेज की चिठ्ठी में उन्होंने अरुणांचल प्रदेश के एक मामले में सुप्रीमकोर्ट के फैसले का जिक्र किया | इस फैसले में सुप्रीमकोर्ट ने कहा था कि -“ हमारे मत में राज्यपाल और विधानसभा के बीच का सम्बन्ध सन्देश भेजने के मामले में उसी हद तक सीमित है जिस हद तक मंत्रिपरिषद उचित समझे | “ कमल नाथ ने इस का अर्थ यह बताया है कि राज्यपाल विधानसभा को बहुमत साबित करने का सन्देश अपनी मर्जी से नहीं भेज सकते , अगर मंत्रिमंडल उन्हें ऐसा करने की सलाह दे , अभी वह ऐसा कर सकते हैं | है ना हास्यस्पद दलील |

ऐसा नहीं लगता कि बहुमत साबित करने के लिए कहने के राज्यपाल के अधिकार को चुनौती देने की सलाह कमल नाथ को अभिषेक मनु सिंघवी ने दी होगी | यह सलाह या तो विवेक तनखा ने दी होगी या कपिल सिब्बल ने | अभिषेक मनु सिंघवी तो अब खुद ही पाला बदलने के इशारे…

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