India Gate Se

Published: 24.Sep.2020, 21:06

अजय सेतिया / अगर सत्रावसान न हुआ होता , तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी मानसून सत्र में हिस्सा ले सकते थे , जो सत्र शुरू होते ही विदेश चले गए थे और सत्र समाप्ति वाले दिन भारत लौट कर आए | इस बीच संसद सत्र के दौरान कृषि सम्बन्धी तीन बिलों पर कांग्रेस और भाजपा में इतना बड़ा विवाद हुआ कि संसदीय मर्यादाएं तार तार हो गईं | राहुल गांधी की कमी को पूरा करते हुए उन की बड़ी बहन प्रियंका वाड्रा ने इस मसले पर ट्विट किया कि अगर ये बिल किसान हितैषी हैं तो एम्एसपी का जिक्र बिल में क्यों नहीं है ? बिल में क्यों नहीं लिखा है कि सरकार पूरी तरह से किसानों का संरक्षण करेगी ? सरकार ने किसान हितैषी मंडियों का नेटवर्क बढ़ाने की बात बिल में क्यों नहीं लिखी है ? 

अगर यही बात उन के छोटे भाई राहुल ने सदन में कही होती तो वह एक बार फिर हंसी का पात्र बनते क्योंकि नरेंद्र मोदी जरुर उन के ज्ञान की खिल्ली उड़ाते | उन्होंने जो तीन सवाल उठाए हैं , इस तरह के तीनों जवाब अब तक भारत में बने किसी क़ानून में नहीं लिखे गए | गुरूवार को सुबह लोकसभा टीवी पर अपन “नमस्ते भारत” कार्यक्रम में थे तो हमारे कार्यक्रम के…

और पढ़ें →
Published: 23.Sep.2020, 22:12

अजय सेतिया / संसदीय इतिहास में सब से छोटे मानसून सत्र का सत्रावसान हो गया | सत्र बुलाया तो 18 दिन के लिए गया था , लेकिन सिर्फ दस दिन में निपटाने का फैसला हो गया | सत्र छोटा रहा तो इस का यह मतलब नहीं कि कामकाज अधूरा रह गया | विपक्ष ने राज्यसभा में आख़िरी तीन दिन और लोकसभा में आख़िरी दो दिन बायकाट कर के सरकार का काम आसान ही किया | इन्हीं तीन दिनों में सर्वाधिक बिल पास हुए | सरकार ने 18 दिन का अपना काम 10 दिन में निपटा लिया | हालांकि यह अच्छी बात हुई कि टकराव से पहले 20 सितम्बर को ही जल्दी सत्रावसान की सहमती बन गई थी | कृषि सम्बन्धी तीन अध्यादेशों को ले कर कांग्रेस की भूमिका हास्यस्पद रही , इन में से दो मुद्दों पर कांग्रेस घोषणा पत्र में हू-ब-हू वायदा किया गया था | इतना ही नहीं पी.चिदम्बरम और कपिल सिब्बल के वे वीडियो भी सामने आ गए , जिन में उन दो मुद्दों की जोरदार वकालत की गई थी | इन में एक बिल कृषि उत्पादों की जमाखोरी से जुड़ा था , तो दूसरा किसानों को मंडियों से बाहर उत्पाद बेचने की छूट से सम्बन्धित था | इन दोनों बिलों पर कपिल सिब्बल का भाषण तो संसद के भीतर ही हुआ था, जिस का व…

और पढ़ें →
Published: 22.Sep.2020, 21:05

अजय सेतिया /दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार राजीव शर्मा की जासूसी के आरोप में गिरफ्तारी से मीडिया कर्मी स्तब्ध है । राजीव कोई अनाम पत्रकार नहीं है , उन्होंने यूएनआई , ईनाडू , द ट्रिब्यून जैसे प्रतिष्ठित समाचार संस्थानों के साथ काम किया है । रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को कम से कम तीन दशक तक अपने मीडिया संस्थानों के लिए कवर किया । जब अजीत डोवल आईबी के प्रमुख थे , उस समय आईबी के गिने-चुने विशेषज्ञ पत्रकारों में से थे । उनकी अजीत डोवल तक से निकटता थी , रिटायरमेंट के बाद अजीत डोवल जब विवेकानंद फाउंडेशन से जुडे तो राजीव वहां फैलो और को-आरडिनेटर के नाते उनके साथ थे ,लेकिन विचारधारा के टकराव के कारण ज्यादा देर उन के साथ नहीं रह सके क्योंकि लालकृष्ण आडवाणी के गृहमंत्री काल में अजीत डोवल संघ भाजपा के नजदीक आ गए थे , जबकि राजीव कांग्रेसी विचारधारा के करीबी और संघ भाजपा के कट्टर विरोधी थे । इसके बावजूद जब नरेंद्र मोदी ने डोवल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया तो राजीव शर्मा ने उनकी तारीफ में लेख लिखा था । हैरीनी यह है कि जब राजीव थी गिरफ्तारी की खबर आई तो सब से कांग्रेस ने उन का साथ छोड़ा ।…

और पढ़ें →
Published: 21.Sep.2020, 18:34

अजय सेतिया / कृषि सम्बन्धी बिलों को ले कर घमासान अभी जारी है , हालांकि बिल दोनों सदनों में पास हो चुके हैं | बिल पास हो जाने के बाद सरकार के बचाव का मोर्चा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को सम्भालना पड़ा क्योंकि अनुभव , खासकर कृषि मंत्रालय के अनुभव में बाकी सारे मंत्री अनाडी हैं | शनिवार और रविवार को राजनाथ सिंह के लाइम लाईट में आने से राजनीतिक हलकों में सुगबुगाहट भी तेज हुई | सोमवार को हिन्दी के एक बड़े अखबार में कृषि बिलों के पक्ष में राजनाथ सिंह के लेख ने राजनीतिक सुगबुगाहट को और तेज किया , नतीजतन नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने भी सोमवार को बिलों के पक्ष में बयान देते हुए विपक्ष पर हमला किया |

मोदी ने बिहार की चुनावी रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में अब तक उपज बिक्री की जो व्यवस्था चली आ रही थी, जो कानून थे, उसने किसानों के हाथ-पांव बांधे हुए थे | इन कानूनों की आड़ में देश में ऐसे ताकतवर गिरोह पैदा हो गए थे, जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे | आखिर ये कब तक चलता रहता ? अब देश अंदाजा लगा सकता है कि अचानक कुछ लोगों को जो दिक्कत होनी शुरू हुई है, वो क्यों…

और पढ़ें →
Published: 18.Sep.2020, 20:46

अजय सेतिया / देश की राजधानी नई दिल्ली में दूरदर्शन की स्थापना 1959 में हुई थी , जबकि उस के नियमित दैनिक प्रसारण की शुरुआत 1965 में आल इंडिया रेडियों के एक अंग के रूप में हुई | राष्ट्रीय प्रसारण 1982 से शुरू हुआ |  दूरदर्शन और बीबीसी पर कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे प्रणब राय ने 1988 में एनडीटीवी नाम से कम्पनी बनाई और दूरदर्शन से पहले “द वर्ल्ड दिस वीक” और बाद में “न्यूज टू नाईट”  के नाम से रात्रि न्यूज का स्लाट खरीद लिया | 1992 में सुभाष चन्द्रा ने “जी टीवी प्राईवेट न्यूज चेनेल” शुरू किया , जो स्टार न्यूज के लिए काम कर रहा था | जब स्टार टीवी को एक अमेरिकी कंपनी ने खरीद लिया तो एनडीटीवी ने स्टार के साथ करार कर के उन्हें न्यूज देना शुरू किया |

1995 में जीटीवी अपना पहला भारतीय निजी टीवी न्यूज चेनेल ले कर आया | तभी 1995 में ही इंडिया टूडे ने दूरदर्शन का रात्रि 10.20 का स्लाट ले कर “आज तक” नाम से खबरों का प्रसारण शुरू किया | 1999 में इंडिया टूडे ने “आज तक” नाम से अपना प्राईवेट न्यूज चेनेल शुरू कर दिया , उस के चार वर्ष बाद 2003 में प्रणब राय ने भी एनडीटीवी नाम से हिन…

और पढ़ें →
Published: 17.Sep.2020, 19:39

अजय सेतिया / शिव सेना के अखबार सामना ने लिखा था कि समुद्र में रह कर मगरमच्छ से वैर नहीं किया जा सकता | शिव सेना खुद को मुम्बई का वह समुद्र मानती है , जिस से वैर कर के कोई मुम्बई में ज़िंदा नहीं रह सकता | यह धमकी कंगना रनौत को दी गई है , जिस के दफ्तर का छज्जा तोड़ कर पहले सिर्फ चेतावनी देते हुए कहा गया था-“उखाड़ दिया” , बाद की चेतावनी थी कि समुद्र में रह कर मगरमच्छ से बैर करोगी तो जिंदगी से उखाड़ दी जाओगी | असल में इस घमंड की तह में जाने की जरूरत है , बाला साहेब ठाकरे के समय से शिव सेना बड़े से बड़े फ़िल्मी कलाकार से घुटने टिकाती रही है | वे संरक्षण के नाम पर मातोश्री में जा कर चरण भी छूते रहे हैं और भेंट पूजा भी करते रहे हैं | वह भय तब से ज्यादा बन गया है , जब से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने हैं | भय के साथ साथ स्नेह भी बरस रहा है क्योंकि उद्धव सरकार को कांग्रेस , एनसीपी और कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थन है |

पिछले लम्बे समय से बालीवुड पर वामपंथी-मुस्लिम घालमेल का प्रभाव रहा है | यह घालमेल जेएनयू से लेकर शाहीन बाग़ तक दिखा | महेश भट , जावेद अख्तर , शबाना आजमी , अमजद खान , जीशान…

और पढ़ें →
Published: 15.Sep.2020, 19:55

अजय सेतिया / फ़िल्मी दुनिया के नशैडियों को बचाने के लिए वामपंथी लाईन वाले अनुराग कश्यप, जावेद अख्तर , फरहान अख्तर, तापसी पन्नू, स्वरा भास्कर , नसीरुद्दीन शाह , विद्या बालन, सोनम कपूर, दिया मिर्जा, करीना खान नाकाफी थे क्या, कि अमिताभ बच्चन का परिवार भी सामने आ गया है | सुशांत सिंह राजपूत की हत्या में आरोपी नम्बर एक रिया चक्रवर्ती पर नशे के व्यापार का फंदा फसने के बाद से फ़िल्मी दुनिया में सन्नाटा है , क्योंकि रिया उन सभी का राज़ खोलेगी , जो जो नशा करते हैं , क्योंकि रिया और उस का भाई शौविक नशा सप्लाई करने के धंधे में संलिप्त पाया जा रहा है |

पहले अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता नंदा रिया चक्रवर्ती के बचाव में सामने आई तो अब उन की पत्नी जया बच्चन सामने आ गई हैं | आश्चर्य यह है कि जया बच्चन ने फ़िल्मी दुनिया के नशैडियों को बचाने के लिए संसद के मंच का दुरूपयोग किया | हुआ यह कि सोमवार को जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ तो फ़िल्मी पृष्ठभूमि वाले भाजपा सांसद रवि किशन ने फ़िल्मी दुनिया में चल रहे नशे पर लोकसभा में खुल कर बोला | उन्होंने कहा था, ड्रग्स की तस्करी और युवाओं की ओर से इसका…

और पढ़ें →
Published: 14.Sep.2020, 21:41

अजय सेतिया / अपन 1992 से संसद की कार्यवाही को कवर करना शुरू किया था | उन दिनों इतनी सुरक्षा नहीं होती थी | संसद परिसर के भीतर जिस जगह इस समय गांधी की मूर्ति लगी है , वहां अपन स्कूटर खड़ा किया करते थे , फिर जब वहां गांधी की मूर्ति के लिए जगह बनाई गई , तो मूर्ति के पीछे जो दीवार दिखाई देती है , उस के पीछे स्कूटर खड़ा करने लगे | उन दिनों पत्रकार भी उसी गेट से आते थे , जिस गेट से सांसद आते थे , मोटे तौर पर पत्रकार उस गेट से आते थे , जिसे संसद पर हमले के बाद से बंद कर दिया गया था , क्योंकि आतंकवादी संसद मार्ग वाले उसी गेट से अंदर घुसे थे | उस के बाद से तो संसद की सुरक्षा का रूप रंग काफी बदला | संसद भवन और संसदीय सौंध के बीच के बीच की सडक बंद कर के संसद परिसर में मिला ली गई | पत्रकारों को कई तरह की पाबंदियों का सामना करना पड़ा |

पर जैसी पाबंदियों का सामना अब कोरोनावायारस काल में भुगतना पड रहा है , वैसी पाबंदियों की तो कभी कल्पना भी नहीं की थी | बीस साल तक संसद की कार्यवाही को कवर करने वाले पत्रकारों को लांग एंड डीस्टिंगविश केटागिरी का पास मिल जाता है और उन्हें कभी भी सेंट्रल…

और पढ़ें →
Published: 12.Sep.2020, 18:36

अजय सेतिया / 23 मार्च 2020 को हुए बजट सत्र के सत्रावसान के बाद केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश जारी किए थे , इन में एक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग सम्बन्धी अध्यादेश को लेकर सब से ज्यादा विवाद है | यह अध्यादेश अगर 14 सितम्बर से शुरू हो रहे मानसून सत्र में बाकायदा क़ानून का रूप ले लेता है तो भारत में कृषि और कृषकों की परम्परागत स्थिति बदल जाएगी | इस अध्यादेश पर किसानों और विपक्षी दलों ने कई तरह के सवाल खड़े किए हैं | देश भर में जगह जगह प्रदर्शन भी हुए हैं , जिन्हें मानसून सत्र के दौरान भी बड़े पैमाने पर दोहराया जाएगा | इस अध्यादेश का मकसद बड़ी औद्धोगिक इकाईयों के लिए कृषि के क्षेत्र में प्रवेश करने का रास्ता खोलना है |

किसान बड़ी औद्धोगिक कम्पनियों या व्यापारियों से एक मुश्त पैसा ले कर अन्य कार्यों में संलिप्त हो सकते हैं , वैसे अभी भी जिन कृषक परिवारों के बच्चे पढ़ लिख कर नौकरियों करने शहरों में चले गए हैं , वे परिवार एकमुश्त राशि के बदले अपनी जमीनें अन्य परिवारों को कृषि के लिए दे देते है | यानी यह व्यवस्था गाँवों में पहले से लागू है | लेकिन गाँव के ही भूमि रहित किसान क…

और पढ़ें →
Published: 11.Sep.2020, 19:49

अजय सेतिया / कोरोना काल में संसद का मानसून सत्र टाला भी जा सकता था | इसे करने की दो वजहें बताई गई हैं , पहली तो यह कि छह महीने अंतराल में संसद की बैठक होना लाजिमी होता है , दूसरा यह कि इस बीच 23 मार्च के बाद जितने भी अध्यादेश जारी हुए हैं , उन की अवधि भी छह महीने होती है , अगर वे संसद से पास करवा कर क़ानून का रूप नहीं लेंगे तो खत्म हो जाएंगे | अपना मानना है कि सर्वदलीय बैठक में सहमती बना कर सत्र को आने वाले छह महीने के लिए टाला जा सकता था , सर्वदलीय बैठक में सहमति  बना कर केबिनेट राष्ट्रपति को इस आशय की अधिसूचना जारी करने का आग्रह करती | छह महीने की अवधि में अध्यादेश अप्रभावी रहने की स्थिति भी कोई पहली बार नहीं आई , अनेकों बार पहले भी उन अध्यादेशों को दुबारा जारी किया गया है |

खैर अब 14 सितम्बर से संसद का सत्र हो ही रहा है तो उन अध्यादेशों की समीक्षा करनी चाहिए , जो 23 मार्च के बाद जारी किए गए हैं | ऐसे कुल बारह अध्यादेश हैं , लेकिन अपन आज सिर्फ किसानों और कृषि से सम्बन्धित तीन अध्यादेशों की चर्चा करेंगे | ये तीनों अध्यादेश 3 जून को जारी हुए थे | पहला, आवश्यक वस्…

और पढ़ें →