अजय सेतिया / अपन ने पहले भी लिखा था कि लोकतंत्र में सरकारों को क़ानून बनाते समय उन लोगों के साथ मिल कर ड्राफ्ट बनाना चाहिए , जिन के हित में क़ानून बनाए जाते हैं | कृषि को ले कर जिन लोगों ने नीति आयोग में बैठ कर कानूनों के ड्राफ्ट तैयार किए थे , उन का किसान या किसानी से कोई वास्ता नहीं था | कानूनों में इतनी खामियां इस लिए रह गई , क्योंकि नीति आयोग में बैठे ब्यूरोक्रेट्स ने उद्धोगपतियों के हित में क़ानून बनाए | ब्यूरोक्रेट्स ने इन्ही उद्धोगपतियों के हितों को सामने रख कर कानूनों के ड्राफ्ट तैयार किए , जो उन के बच्चों की विदेशों में पढाई और उन की विदेश यात्राओं को प्रायोजित करते हैं |
मोदी सरकार अगर ब्यूरोक्रेट्स के बनाए ड्राफ्टों को अपनी पार्टी के किसान मोर्चे और आरएसएस के किसान संघ को भेज कर उन से सलाह ले लेती तो इतनी बड़ी मुसीबत में नहीं फंसती , जितनी मुसीबत में फंस गई है | बुधवार को सात घंटे की बातचीत में जब किसानों ने हर क़ानून की खामियां और कानूनों को खरीददार उद्धोगपतियों के पक्ष में होने के सबूत दिए तो कृषि मंत्री और वाणिज्य मंत्री की आँखें फटी की फटी रह गई | बात…
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