हिन्दू आतंकवाद थ्योरी की साजिश में शामिल थे करकरे

Publsihed: 20.Apr.2018, 23:49

अजय सेतिया / शुक्रवार की दो बड़ी खबरों ने यूपीए सरकार के समय मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए सत्ता के दुरूपयोग की पोल खोली है | कांग्रेस की महाराष्ट्र सरकार की ओर से कर्नल पुरोहित पर मुकददमा चलाने की इजाजत पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की इजाजत दी है | दुसरे मामले में कांग्रेस की ओर से अपने न्यायपालिका के साथियों की मदद से नरोदा पाटिया केस में फंसाई गई  बीजेपी की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को गुजरात हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है | उनको निचली अदालत ने 28 साल की सजा सुनाई थी | इसी बीच सेना का 16 जनवरी 2008 का वह दस्तावेज बाहर आ गया है , जिस में कहा गया है कि कर्नल पुरोहित एक मिशन पर मिलट्री इंटेलिजेंस के लिए काम कर रहे थे | यूपीए सरकार ने इस दस्तावेज को नजरअंदाज कर दिया और सेना पर दबाव बनाया गया कि वह भी चुप्पी साधे | 

यूपीए सरकार ने भारतीय सेना के कर्नल श्रीकांत पुरोहित को 2008 में गिफ्तार करवाया था , यह तब की बात है जब यूपीए सरकार पाकिस्तान से रिश्ते सुधार रही थी | पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने के लिए तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान को भी आतंकवाद से प्रभावित देश बता दिया था | शरमलशेख में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बातचात के दौरान मनमोहन सिंह  ने बलूचिस्तान के आतंकवाद को कश्मीर के आतंकवाद से जोड़ दिया था | इस लिए भारत की आतंकवादी वारदातों में पाकिस्तान को बरी करने, भारत के स्लीपिंग मुसलमानों को बरी करने के लिए हिन्दू आतंकवाद की साजिश रची गई | इसी साजिश के अंतर्गत मनमोहन सरकार ने अपनी ही सेना के एक कर्नल श्रीकांत पुरोहित पर आरडीएक्स रखने का और हिन्दू आतंकवाद फैलाने का आरोप लगा कर उन पर अमानवीय अत्याचार करवाए |   

पाकिस्तान को खुश करने और 2009 के चुनावों में मुस्लिम वोट बटोरने के लिए अजमेर शरीफ, समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद , मालेगांव जैसी वारदातों में हिन्दुओं को फंसाया गया |शुक्रवार को मिलट्री इंटेलिजेंस के रिटायर्ड डीडीजी ब्रिगेडियर राज कुमार ने एक टीवी चेनल पर इंटरव्यू देते हुए खुलासा किया है कि उन पर यह दबाव बनाया गया था कि वह चुनावों को देखते हुए कर्नल पुरोहित के खिलाफ जल्द रिपोर्ट दे | उन्होंने यह माना है कि 16 जनवरी 2008 का वह दस्तावेज उन के ध्यान में था जिस में कर्नल पुरोहित को पुणे में मिलट्री इंटेलिजेंस के ख़ास मिशन में लगाया गया था | उसी मिशन के अंतर्गत वह कुछ हिन्दू और मुस्लिम संगठनों के सम्पर्क में थे | इस के बावजूद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और पी.चिदम्बरम ने खुलेआम हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी पेश की |

25  जुलाई 2017 को जब साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत मिली और असीमा नन्द बरी हो तो साफ़ था कि कर्नल पुरोहित के खिलाफ रची झूठी कहानी भी जल्द खुल जाएगी , जिन्हें मालेगांव विस्फोट में फंसाया गया था |आखिर मालेगांव के सारे आरोपी भी बरी हुए और मक्का मस्जिद ब्लास्ट के भी सारे आरोपी बरी हुए | असल में पहले मालेगांव विस्फोट में शुरू में 13 मुस्लिम पकडे गए थे | इन में से एक पाकिस्तानी भी था , महाराष्ट्र की एटीएस ने 2006 में सभी के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी | पर 2008 में जब हेमंत करकरे को एटीएस का चीफ बनाया गया तब राजनीतिक हस्तक्षेप से सब कुछ बदल गया |तब की केंद्र और महाराष्ट्र सरकार ने हेमंत करकरे के माध्यम से हिन्दू आतंकवाद की कहानी खडी की, अब एटीस का अगला कदम इस हिन्दू आतंक को साबित करना था | इसे ले.कर्नल पुरोहित के जरिए साबित किया जा सकता था|अपने काम-काज के दौरान कर्नल पुरोहित का संपर्क हिन्दू संगठनों से था ही|सवाल यह है कि एटीस की निगाह कर्नल पुरोहित पर ही क्यों गई, इस के बारे में नीचे खुलासा किया जाएगा |

पहली नवम्बर 2008 को एटीएस ने लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार किया था |हेमंत करकरे की मुंबई में पाकिस्तानी आतंकवादी से मुठभेड़ में मौत के बाद कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कबूल किया था कि उनकी हेमंत करकरे से रोज बात होती थी |स्पष्ट है कि पी.चिदंबरम और शिंदे के अलावा दिग्विजय सिंह को भी हिन्दू आतंकवाद साबित करने के काम में लगाया गया था , क्योंकि वह किसी सरकारी जिम्मेदारी पर नहीं थे इस लिए एटीस से सम्पर्क बनाए रखने का काम दिग्विजय सिंह कर रहे थे | कर्नल पुरोहित की गिरफ्तारी की अपनी अलग कहानी है | जिस में सेना के अफसरों की आपसी प्रतिद्वंदिता का भी खुलासा होगा| इस बाबत कर्नल पुरोहित ने पहले 2013 में मनमोहन सिंह को और बाद में 31 मई 2014 को नरेंद्र मोदी को चिठ्ठी में लिखा है | किस तरह पुलिस की मौजूदगी में सेना के एक अफसर ने उन की पिटाई की थी , जो पूरी तरह गैरकानूनी और पुलिस से मिलीभक्त थी |

कर्नल पुर्रोहित की गिरफ्तारी के बाद सेना की अपनी जांच में भी पाया गया था कि कर्नल पुरोहित के खिलाफ लगाया गया आरोप झूठा है | इसलिए सेना ने कर्नल पुरोहित को न तो निलंबित किया, न उन का वेतन रोका | अभी ये खबरें आना बाकी है कि दरअसल पुरोहित को अपने गुप्त आपरेशन के दौरान कुछ राजनीतिज्ञों के राज़ मिल गए थे | इन्हीं में से एक राज कथित तौर पर जाली नोटों के व्यापार से जुड़े भी थे | अगर ये राज सार्वजनिक हो जाते तो कई नेताओं का राजनीतिक जीवन बर्बाद हो जाता, क्योंकि मामला सीधा देशद्रोह का बनता | इससे बचने का एक ही रास्ता था कि ले.कर्नल पुरोहित को बीच से हटाया जाए,  तभी मालेगांव ब्लास्ट हुआ था |  कांग्रेस ने हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी रख ही दी थी, तभी  हेमंत करकरे ने नकली नोटों के कारोबारियों से मिल कर कर्नल पुरोहित को ब्लास्ट में फंसाया था | पर 2011 में यूपीए शाशनकाल में ही जांच एनआईए को सौंपी गई थी तभी  एनआईए को एटीएस की सारी कहानी झूठी लगी थी | 

इस लिए साध्वी प्रज्ञा के बारे में एनआईए ने अदालत में  कहा कि कोई सबूत नहीं है | खुद सुप्रीमकोर्ट ने 15 अप्रेल 2015 को कहा था कि किसी के खिलाफ पुख्ता सबूत पुख्ता नहीं है इसलिए जमानत पर विचार होना चाहिए | पर कर्नल पुरोहित को इस के बाद भी जमानत मिलने में सवा दो साल लग गए थे , उन्हें पिछले साल अक्टूबर में जमानत मिल सकी , वह भी तब जब उन्होंने सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया |इस बीच एक बड़ी बात यह हुई थी कि पुरोहित के खिलाफ खड़े किए मुख्य गवाह कैप्टन नितिन दात्रे जोशी न सिर्फ मुकर गया , अलबत्ता उन्होंने खुद मानवाधिकार आयोग को पुलिस के खिलाफ शिकायत भी की | इस शिकायत में कैप्टन  जोशी ने लिखा कि करकरे की एटीएस ने डरा धमका कर उन से कर्नल पुरोहित के खिलाफ बयान दिलवाया था | उसे थाने में बुला कर कहा गया कि उस ने पुरोहित के खिलाफ बयान न दिया तो उसे भी फंसा देंगे | 

यह देश के इतिहास का सब से बड़ा शर्मनाक केस है | जिस में चुनी हुई सरकार ने देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं के खिलाफ साजिश रची और देशद्रोहियों के बचाव के लिए रची गई साजिश में एक देशभक्त सैनिक को मोहरा बनाया गया | ‘रॉ’ के पूर्व अधिकारी आरएसएन. सिंह ने अपनी पुस्तक में लिखा  हैं - ‘ यूपीए शासनकाल में धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करने के लिए एक व्यूह रचना की गई थी| ऐसा करने के पीछे एक ही वजह थी- ‘वोट बैंक की राजनीति  |’ उसी के तहत ‘जेहादी आतंक’ की तर्ज पर ‘हिन्दू आतंक’ का तानाबाना बुना गया’ | 

 

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