Guest Column

आप सुन तो नहीं रहें होंगे....कमल दा

Publsihed: 17.Jul.2017, 10:12

प्रदीप रंवाल्टा/ कमल दा ऐसे ही लोग आपके दीवाने नहीं हैं। फेसबुक पर आज भी लोग आपकी पोस्‍टों का इंतजार कर रहे हैं।  इसका अंदाजा मुझे इस बात से ही कि मैंने आपकी वाल पर एक पोस्‍ट अपलोड की। उस पर लोगों का रिस्‍पांस बता रहा है कि वो आपको कितना चाहते हैं। आप सुन तो नहीं रहें होंगे.....?

कमल दा....ऐसे भले कोई छोड़कर जाता है...?

Publsihed: 04.Jul.2017, 15:28

प्रदीप रवात / कमल दा, जोशी जी और कुछ लोगों के लिए फिदेल कास्‍त्रो भी। पर मेरे लिए मेरे आदर्श श्री कमल जोशी जी। अभी एक सप्‍ताह ही तो हुआ था। मेरी फेसबुक पर पोस्‍ट पर उनका कमेंट आया था। लिखा था प्राउड ऑफ यू प्रदीप। आखिरी बार उनसे 15-16 मई के आसपास बात हुई थी। उनके नहीं रहने की खबर सुनने के बाद पहले तो विस्वास ही नहीं हुआ। कोटद्वार के साथी विजय पाल रावत ने फोन पर जानकारी दी। विजय ने जोशी जी के नहीं रहने की बात कहते ही मैंने उनसे सवाल किया। विजय क्‍या ऐसा हो सकता है....? विजय का जवाब था, नहीं। फिर कैसे कह रहे हो कि उन्‍होंने आत्‍महत्या की है....?

क्या आज वाकई योग दिवस है?

Publsihed: 21.Jun.2017, 07:21

आजकल हम आसन को योग और पत्ती को पेड़ कहा करते हैं!

त्रिभुवन /और जिसे योग कहा जा रहा है क्या वह योग है? आप अगर महर्षि पतंजलि मुनि के "योगदर्शन" को देखेंगे तो लगता है, पूरे देश के कुओं में भांग घुली है और योग के बारे में कोई कुछ नहीं जानता। दुनिया में योग के नाम पर भ्रम फैलाए जा रहे हैं।

भारतीय दर्शन के एक विनम्र विद्यार्थी के नाते मैं कुछ तथ्यात्मक बातें आपसे इस मौके पर साझा करना चाहता हूं। हालांकि यह तय कि बहुत से लोग इसे अनावश्यक और सिर्फ़ आलोचना का विषय समझेंगे।

अक्सर नंगा सच बोल जाते हैं ट्रम्प

Publsihed: 04.Jun.2017, 10:34

दीपक शर्मा / जिस देश में ‘समृद्ध’ नेताओं की कमाई सरकारी दलाली पर निर्भर हो, जहाँ नौकरशाह रिश्वतखोर  और उद्योगपति कर-चोर हों, उस देश के बारे में अगर डोनाल्ड ट्रम्प ये कहें कि भारत अरबों डालरों के दान और ग्रांट का भूखा है तो बुरा तो बहुत लगता है...लेकिन ट्रम्प की बात गलत नही है. 

मीर बाक़ी से भारत के इतिहास की शुरुआत नहीं होती

Publsihed: 26.Mar.2017, 13:03

शोभित शक्तावत / सन् 1528 में मीर बाक़ी ने अयोध्या में बाबरी ढांचा बनवाया था,  लेकिन सन् 1528 से तो भारत के इतिहास की शुरुआत नहीं होती.

कथा इससे बहुत बहुत पुरानी है, बंधु. श्रीराम के मिथक से जुड़े लोक और शास्त्र के संपूर्ण वांग्मय में अहर्निश उल्लेख है अवधपुरी और सरयू सरिता का. पुरातात्त्विक सर्वेक्षण के अटल साक्ष्य हैं. परंपरा की साखी है. कोई इससे चाहकर भी इनकार नहीं कर सकता.

विवाद किस बात पर है? सन् 1528 में रामजन्मभूमि पर बाबरी ढांचे का बलात् निर्माण ही एक आक्रांताजनित दुर्भावना का परिचायक था. वह स्वयं एक भूल थी. भूलसुधार का तो स्वागत किया जाना चाहिए ना. 

भावुक कर गई योगी के परिवार की साधगी

Publsihed: 20.Mar.2017, 08:25

-विनोद मुसान / हर कोई चाहता है कि समाज में साधु-संत धर्म का विस्तार करें। लेकिन सन्सासी उनके घर में पैदा हो, ऐसी चाहत किसी की नहीं होती। 
योगी आदित्य नाथ के पिता श्री आनंद सिंह बिष्ट से रिपोटर ने जब ये प्रश्न पूछा तो उनका भावुक होना स्वाभाविक था। रुआंसे गले से बोले, ये बात सच है। जब बेटा संन्यास लेने की बात कहे तो कोई भी माता-पिता इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे। 
लेकिन उनका बेटा संन्यासी जीवन जीते हुए जिस पथ पर चला, उन्हें आज उस पर गर्व है। 

बूथ कैपचरिंग से निजात दिलाई है ईवीएम मशीन ने

Publsihed: 17.Mar.2017, 00:23

 त्रिभूवन /   भारतीय ईवीएम न तो जापान से आयात की गई हैं और न ही किसी योरोपीय देश से। ये भारतीय चुनाव आयोग ने भारत इलेक्ट्रोनिक्स लि. बंगलूर और इलेक्ट्रोनिक्स कार्पोरेशन ऑफ इंडिया हैदराबाद जैसी पब्लिक सेक्टर कंपनियाें के सहयोग से तैयार की थीं।

इसे विकसित करने में सुजाता रंगराजन का भी खूब योगदान रहा है। वे एक प्रसिद्ध एमआइटियन थीं। उन्होंने भारत इलेक्ट्रोनिक्स लि. बैंगलोर साथ खूब किया था और वे ईवीएम विकसित करने वाली टीम का अहम हिस्सा थीं। 

अब वे यूपी की जनता को साम्प्रदायिक कहेंगे ?

Publsihed: 12.Mar.2017, 01:10

मनीष ठाकुर / गुजरात की जनता को अपमानित करने वाले अब यूपी की जनता को साम्प्रदायिक कहेंगे? वो साजिश रचते रहे , नफरत फैलाते रहे ,खुद को पत्रकार कहने वाले। वे इस नफरत फैलाने की कीमत वसूलते थे। आम जन उनकी फर्जी ख़बरों को सत्य मानती रही। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा,भारत की सबसे बड़ी अदालत द्वारा बनाई एसआईटी ने  2013 तक साफ कर दिया कि ज्ञानवीरों की साजिश में दम नहीं है। घटिया स्तर तक जाकर ,दंगा के दौरान, गर्भ से बच्चे निकालकर मारने की एनजीओ और एनडीटीवी व् मीडिया गिरोह की साजिश की कहानी बेपर्दा होने के बाद भी पत्रकारिता का बलात्कार जारी रहा।  

रेप ... की धमकियों के बाद #

Publsihed: 08.Mar.2017, 08:31

रेप ... की धमकियों के बाद #गुरमेहर ने अपना मिशन अधूरा छोड़ दिया ।
वो अपनी पढाई भी अधूरी छोड़ कर पटियाला लौट गई ।
भले ही सब प्रायोजित हो , मगर उतना ही दुखद भी है ।

आखिर क्यों कभी मनोवैज्ञानिकों द्वारा बीमार मानसिकता की देन माना जाने वाला रेप ,कालांतर में हथियार की तरह प्रयोग होने लगा ।
अगर कोई पुरुष आपके विचारों के विपरीत जाता है ,तो उसको जान से मार देना ,और महिला द्वारा आपसे भिन्न विचार रखने पर रेप करने की धमकी ।
ये धमकियाँ किसी भी पक्ष से आ रही हो , उसका प्रायोजक कोई भी हो , फर्क नही पड़ता ।
फ़र्क़ पड़ता है , तो सिर्फ मानसिकता से ।