परिवारवाद और वीरभद्र सिंह के तेवर 

Publsihed: 30.Aug.2017, 21:40

भाजपा जब 75 साल वालों को रिटायर कर रही है | तब पिछले साल 74 साल के अमरेन्द्र सिंह ने अपने बूते कांग्रेस को पूरी एसेम्बली जीता दी थी | उनने सोनिया और राहुल के नाक में दम कर के पंजाब का नेतृत्व सम्भाला था | अब वही तरीका 83 साल के मुख्यमंत्री वीरभद्रसिंह अपना रहे हैं | ऐसा नहीं है कि 83 साल के हो गए हैं , तो चुनाव का नेतृत्व नहीं कर सकते | पांच साल पहले प्रकाश सिंह बादल 84 साल की उम्र में अकाली दल को दुबारा सत्ता में ले आए थे | हिमाचल विधानसभा के चुनाव जनवरी में होने हैं | विधानसभा का आख़िरी सत्र इस महीने हो गया | वैसे मुख्यमंत्री चाहें , तो सत्र बुला सकते हैं | उस पर कोई रोक नहीं | पर मोटे तौर पर विधानसभा चुनावों का बिगुल बज गया | वीरभद्र सिंह ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को हटवाने का अभियान छेड़ रखा है | वह चाहते हैं पार्टी का संगठनात्मक चुनाव न कराया जाए | पर प्रदेश कांग्रेस की बागडोर उन्हें सौंप दी जाए | राहुल गांधी इस के लिए कतई तैयार नहीं | हूँ-ब-हूँ यही मांग पंजाब एसेम्बली चुनावों से पहले अमरेन्द्र सिंह ने रखी थी | राहुल गांधी तब भी तैयार नहीं थे | अमरेन्द्र सिंह ने राहुल गांधी के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी थी | ऐसा लग रहा था कि अमरेन्द्र पार्टी छोड़ने वाले हैं | तब सोनिया गांधी के बीच-बचाव में राहुल झुके थे | प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बाजवा को हटा कर अमरेन्द्र को पार्टी की बागडोर भी दी गई | मुख्यमंत्री पद का उम्मीन्द्वार भी घोषित किया गया | चुनाव में भी प्रदेश कांग्रेस ने राहुल गांधी को ज्यादा तव्वजो नहीं दी थी | अमरेन्द्र सिंह ने साबित किया कि राहुल गांधी न हों, तो कांग्रेस चुनाव जीत सकती है | अब वही बात वीरभद्र कह रहे हैं | और वही तरीका अपना रहे हैं | कांग्रेस हाईकमान ने उनकी मांग पर तव्वजो नहीं दी | तो उनने 25 अगस्त की कांग्रेस विधायक दल की बैठक में चुनाव मैदान से हटने का एलान कर दिया है | उनने दो-टूक कह दिया कि वह न तो चुनाव लड़ेंगे, न लड़वाएंगे | मीटिंग में सन्नाटा छा गया | जैसे 2004 में कांग्रेस संसदीय दल की मीटिंग में सोनिया गांधी ने कहा था कि वह पीएम नहीं बनेगी | तो कांग्रेसी सांसद आत्महत्या की धमकी देने लगे थे | ठीक वैसे ही कांग्रेस के 35 में से 26 विधायकों ने कह दिया कि वे भी चुनाव नहीं लड़ेंगे | यानि कांग्रेस विधायकों ने सामूहिक राजनीतिक आत्महत्या का एलान कर दिया | विद्या स्टोक्स समेत तीन मंत्री भी खुलकर वीरभद्र के साथ आ गए हैं | वीरभद्र को यही चाहिए था , उनके पीछे मर मिटने वाला टोला | जैसे पिछले हफ्ते बाबा गुरमीत सिंह राम-रहीम के पीछे भक्त मर-मिटने पर उतारू थे | चीफ पार्लियामेंट्री सेक्रटरी नंदलाल ने सोनिया गाधी को लिखी चिठ्ठी में मीटिंग का खुलासा किया है | चिठ्ठी में कहा गया है कि चुनाव की बागडोर वीरभद्र सिंह को सौंपी जाए | प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी अम्बिका सोनी को पता कि ऐन मौके पर वीरभद्र नाटक करेंगे | जो उनसे सम्भाला नहीं जाएगा | तब अहमद पटेल का टोला उन्हें अक्षम साबित करेगा | इसलिए अम्बिका सोनी ने जुलाई में इस्तीफा दे कर किनारा कर लिया | राहुल गांधी ने अब सुशील कुमार शिंदे को प्रभारी बनाया है | सुनते हैं वीरभद्र सिंह उन्हें भी पसंद नहीं करते | सो उन के खिलाफ भी मोर्चा खोल लिया है | 30 अगस्त को आमदनी से ज्यादा सम्पत्ति वाले केस के सिलसिले में वीरभद्र दिल्ली में थे | उनने पहले ही सोनिया गांधी से मिलने का सन्देश भिजवा दिया था | वीरभद्र सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है | वीरभद्र सिंह खेले-खाए खिलाड़ी हैं | उनने अपनी गिरफ्तारी पर वक्त से पहले ही सुप्रीमकोर्ट से रोक लगवा ली थी | गिरफ्तार हो जाते , तो मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ता | कांग्रेस में उनके विरोधियों का काम आसान हो जाता | वीर भद्र 10 करोड़ रूपए का हिसाब किताब नहीं दे पाए हैं | आरोप है कि जब वह केंद्र में स्टील मंत्री थे | तब उनने काली कमाई की | इस चक्र में उनका दिल्ली के सैनिक फ़ार्म वाला फ़ार्म हॉउस सील हो चुका है | सरकारी कागजों में वह 10 करोड़ का है | वैसे उसका मार्केट रेट 27 करोड़ है | खैर बावजूद इस के कि वह 83 साल के हो गए | बावजूद इसके कि भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीटेड हैं | कांग्रेस हाईकमान की नाक में दम कर रखा है | उन्हें ठाकुर होने का फायदा है | हिमाचल में कोई 28-30 फीसदी वोट ठाकुर हैं | उधर भाजपा में भी ठाकुर होने का जो फायदा प्रेम कुमार धूमल को है | वही ब्राह्मण होने का नुकसान जेपी नड्डा को है | ब्राह्मणों के वोट ठाकुरों से आधे भी नहीं | इस लिए कांग्रेस और भाजपा को ठाकुर ही प्रोजेक्ट करने पड़ते हैं | और हिमाचल में काग्रेस के सब से बड़े ठाकुर वीरभद्र हैं | भाजपा में सब से बड़े ठाकुर प्रेम कुमार धूमल हैं | धूमल अपने बेटे अनुराग धूमल को उभार रहे हैं | वीरभद्र का बेटा अनुराग के मुकाबले राजनीति में पिछड़ गया है | अब वीरभद्र चाहते है कि उनका बेटा विक्रमादित्य उनका राजनीतिक वारिस बने | पर दस जनपथ परिवारवाद की राजनीति के खिलाफ है | अपन ने कांग्रेस की कोटरी के एक नेता को विक्रमादित्य पर टटोला | तो उसका कहना था-कांग्रेस का भठ्ठा बिठाना है क्या | 

 

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