पुलवामा का चुनाव पर असर

Publsihed: 19.Feb.2019, 19:33

अजय सेतिया / पुलवामा की घटना ने चुनावी समीकरण बदल दिए हैं | नरेंद्र मोदी ने 5 साल हिन्दू एजेंडे पर कोई काम नहीं किया | हिंदुत्व के एजेंडे को अगली सरकार पर छोड़ने के लिए उन्होंने आरएसएस को मना लिया था | पर पुलवामा की घटना की सब से पहली प्रतिक्रिया यह हुई कि शिवसेना और भाजपा के मनभेद दूर हो गए | पुलवामा की घटना ने मोदी पर कश्मीर मामले में दबाव बना दिया है | सारा देश मांग कर रहा है कि वह एक सप्ताह का विशेष सत्र बुला कर , जरूरत पड़े तो संयुक्त अधिवेशन से 370 और 35 ए की विदाई करें, ताकि गैर कश्मीरियों के जमीने खरीदने का रास्ता साफ़ हो | कश्मीर में भारत के इन्टेग्रेष्ण का वही रास्ता है | ऐसा कदम मोदी की दुबारा वापसी की पक्की शर्त भी साबित होगा , क्योंकि देश की जनता का कश्मीर से भी रामजन्मभूमि जैसा ही लगाव है | लेकिन नरेंद्र मोदी कोई बड़ा कदम उठाते दिखाई नहीं देते वह पाकिस्तान का एमऍफ़एन स्टेट्स वापस लेने , हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापसी और पाकिस्तानी कलाकारों पर बैन लगाने जैसे छुटपुट कदम उठा कर ही हिन्दू वोटरों का गुस्सा शांत करना चाहते हैं |

इस के बावजूद पुलवामा की घटना ने वोटरों के मन में यह धारणा तो बनानी शुरू कर दी है कि पाकिस्तान से मोदी ही निपट सकते हैं | कानूनी विशेषज्ञों की एक राय यह भी है कि 370 को संविधान संशोधन से ही हटाया जा सकता है, जिसके लिए दो-तिहाई बहुमत चाहिए | तो वह 370 के नाम पर दो-तिहाही बहुमत का चुनावी नारा भी लगा सकते हैं | पाकिस्तान से निपटने और हुर्रियत कांफ्रेंस को काबू करने में नरेंद्र मोदी का रिकार्ड बाकियों से बेहतर रहा है , इसलिए 370 के लिए दो-तिहाही का नारा विपक्ष की कमर तोड़ सकता है | संभवत: इसी लिए पुलवामा की घटना के बाद विपक्ष सहमा हुआ है | राहुल गांधी ने वैसी कोई गलती नहीं की, जैसी उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक के बाद की थी | राहुल गांधी की चुप्पी को प्रियंका गांधी का राजनीतिक दखल भी माना जा रहा है , जिन्हें पूर्वी उत्तरप्रदेश की अहम जिम्मेदारी दी गई है | अगर मोदी पुलवामा की घटना को अपने पक्ष में बहा ले गए, तो प्रियंका का राजनीतिक कैरियर भी चौपट हो जाएगा | इस लिए कांग्रेस फूंक फूंक कर कदम रख रही है |

पुलवामा का यूपी की राजनीति पर इस लिए भी गहरा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि जम्मू कश्मीर के बाद यूपी ही वह राज्य है जहां मुसलमानों की आबादी 20 प्रतिशत है | मुलायम सिंह ने जब लोकसभा में मोदी के दुबारा प्रधानमंत्री बनने की कामना की तो सोनिया गांधी का चेहरा तमतमा गया था , लेकिन उस बयान से अब कांग्रेस प्रफुल्लित है ,क्योंकि कांग्रेस मुलायम के बयान को सामने रखकर मुस्लिम वोटरों को अपने खेमे में लाने में कामयाब हो सकती है | मुलायम सिंह ने 2009 में जब कल्याण सिंह के साथ गठजोड़ किया था तो मुस्लिम वोटों के सहारे कांग्रेस 21 लोकसभा सीटें जीत गई थी | सपा-बसपा चुनावी गठबंधन के बाद माना जा रहा था कि मुस्लिम, यादव और दलित जातियों का योग गठजोड़ को 50 तक सीटें दिला सकता है | मुलायम के मोदी समर्थक बयान से कांग्रेस को मुस्लिम वोटों में सेंध मारने की उम्मींद बढ़ी है | वह शिवपाल यादव और ओमप्रकाश राजभर को अपने साथ ला कर यादवों और अन्य पिछड़ों में भी सेंध मार सकती है | अगर 80 में से 50 सीटों पर भी तिकोना मुकाबला बनता है तो पुलवामा के कारण हिंदुत्व की एकजुटता भाजपा को आधी से ज्यादा सीटें दिला सकती है | 

         

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