अजय सेतिया / नई दिल्ली | एक तरफ तो यह खबर है कि संसदीय कमेटी ने नोटबंदी के मुद्दे पर रिजर्व बैंक के गवर्नर को तीसरी बार तलब करने का नोटिस दिया है, और उन के अगले सप्ताह कमेटी के सामने पेश होने की संभावना है, वहीं दूसरी ओर सूत्रों के अनुसार कमेटी ने अपनी रिपोर्ट करीब करीब तैयार कर ली है, जिस में सरकार की जम कर खिंचाई की गई | कथित तौर पर इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी सरकार का सब से गलत फैसला था |
काला धन नहीं मिला |
नोट बंदी का एक भी लक्ष्य हासिल नहीं हो सका | कमेटी ने कहा है कि बड़ी मात्रा में काला धन नहीं पकड़ा जा सका | खुद वित्त मंत्री ने स्वीकार किया है कि सिर्फ 4172 रूपए की संदेहास्पद धन मिला है , जिसे काला धन कह सकते हैं | ( जब कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5-7 लाख करोड़ रूपए का काला होने की संभावना जताई थी |
आतंकवाद-नक्सलवाद की फंडिंग बेअसर रही |
आतंकवाद की फंडिंग पात्र कोई असर नहीं हुआ, जब कि सरकार दावा कर रही थी, आतंकवाद की अमर टूट जाएगी | नोट बंदी के बाद कश्मीर घाटी में सेना पर पथराव की घटनाओं में कमी आने की बजाए, बढ़ोतरी हो गई | इसी तरह हाल ही सालों में नक्सलवाद की सब से बड़ी घटना नोटबंदी के बाद हुई , जिस में दो दर्जन सुरक्षा कर्मी मारे गए |
कैशलेस और लेस कैश
कथित तौर पर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट के ड्राफ्ट में लिखा है कि न तो देश को कैश लेस करने का प्रचारित लक्ष्य प्राप्त हुआ और न ही लेस कैश का कोई संकेत मिल रहा है |
लघु उद्योग की कमर टूटी
भारतीय मजदूर संघ तक ने कहा है कि 4 कार्ड रोजगारों का ह्रास हुआ और 3 लाख छोटी औद्योगिक इकाईयां बंद हुई |
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