नई दिल्ली । सुप्रीमकोर्ट ने कर्नाटक में प्रोटेम स्पीकर को ही विश्वासमत करवाने की जिम्मेदारी सौंपी है । यानी स्पीकर का चुनाव पहले नहीं होगा । । वैसे प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति भी राज्यपाल करता है, पर वह अपने विवेक से नहीं , अलबता सरकार की सिफारिश पर ही करता है । भाजपा विधायक के जी बोपय्या प्रोटेम स्पीकर बनाए गए हैं , जिस पर एतराज करते हुए कांग्रेस सुप्रीमकोर्ट चली गई । विधान के अनुसार सीनियर विधायको का पैनल बनता है । उस में से सरकार एक को चुनती है और राज्यपाल को भेज देती है । राज्यपाल उसे नियुक्त करता है और शपथ दिलाता है । तीन सदस्यों का प्रोटेम पैनल भी साथ बनता है ।
लोकसभा में वरिष्ठतम सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाने की परंपरा है, लेकिन यह कानून में नहीं लिखा है । विधानसभाओ में कई जगह इस परम्परा का पालन नहीं होता । जैसे झारखण्ड में कई सीनियर को दरकिनार कर कांग्रेस ने 2005 में नए विधायक बालमुचू को प्रोटेम स्पीकर बना दिया था । 2008 में के जी बोपय्या ही कर्नाटक के प्रोटेम स्पीकर थे । 2012 में उत्त्राखंड में कांग्रेस ने जूनियर शैलेंद्र मोहन सिंघल को प्रोटेम स्पीकर बनाया, जबकि भाजपा के हरबंस कपूर सीनीयर मोस्ट थे । इस लिए अब कांग्रेस की इस आलोचना का कोई मतलब नहीं है कि सिनियर की अनदेखी कर जुनियर को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है ।
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