कांग्रेस में बारी रेवड़ियों की, बीजेपी में बदलाव की

Publsihed: 25.Jun.2009, 10:34

बदलाव की बयार बहने लगी। बदलाव की बयार दोनों तरफ बही। बीजेपी ने उत्तराखंड से बदलाव की शुरूआत की। तो कांग्रेस ने महासचिवों से पहले गवर्नर बदलने शुरू किए। बात बीजेपी-कांग्रेस की चली। तो बुधवार को दोनों एक मुद्दे पर सहमत दिखे। अशोका रोड से वेंकैया नायडू माओवादियों के मुद्दे पर लेफ्ट के रुख पर भड़के। तो अकबर रोड से मनीष तिवारी। पहले लेफ्ट के रुख की बात। बुधवार को लेफ्ट ने कहा- 'माओवादियों को आतंकवादी बताने से समस्या का समाधान नहीं होगा।' बता दें- चारों वामपंथी दल माओवादियों पर बैन से खफा। पर वामपंथी सीएम बुध्ददेव भट्टाचार्य अपने दल से सहमत नहीं। इसका धमाकेदार खुलासा श्रीप्रकाश जायसवाल ने किया।

वह कोलकाता में बोले- 'बंगाल सरकार की सिफारिश पर ही केंद्र ने माओवादियों को बैन किया।' पर आज बात वामपंथियों के बेनकाब होने की नहीं। आज बात बदलाव के बयार की। पहले बात बीजेपी की। तो बीजेपी ने उत्तराखंड में लोकतांत्रिक तरीका अपनाया। पर बंद कमरे में रायशुमारी से पहले जमकर उखाड़-पछाड़ हुआ। राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। यह उत्तराखंड के सीएम चुनते वक्त साबित हुआ। खंडूरी भले खुद सीएम नहीं रह पाए। पर उनने कोश्यारी को भी नहीं बनने दिया। कोश्यारी बनते नहीं दिखे। तो कोश्यारी पाले के एमएलए पाला बदल गए। कोश्यारी की रणनीति थी- खुद सीएम न बन सके। तो प्रकाश पंत को बनवाएंगे। पर कोश्यारी की यह रणनीति भी नहीं चली। खंडूरी की मदद से रमेश पोखरियाल बाजी मार ले गए। कोश्यारी को राज्यसभा से इस्तीफा देना महंगा पड़ा। बीजेपी ने अनुशासन का सबक सिखाया। पहले यशवंत सिन्हा को सिखाया था। तो बता दें- अब बारी राजस्थान की। अभी वसुंधरा का फैसला टलेगा। पर जब होगा, तो गुलाब चंद कटारिया भारी। ओम माथुर की तो अब दिल्ली लौटने की बारी। अरुण जेटली का पद खाली। माथुर की जगह अरुण चतुर्वेदी होंगे, मदन दिलावर या सतीश पूनिया। फिलहाल चौंकाने वाले इन तीनों नामों पर विचार। अब बात कांग्रेसी बयार की। गवर्नरों की तैनाती शुरू हो गई। हंसराज भारद्वाज गवर्नर हो गए। अपन ने 11 जून को लिखा- 'भारद्वाज, सोज, पाटिल का फैसला सौ दिन में होगा। सभी की निगाह संगठन और राजभवनों पर।' यों भारद्वाज गवर्नर बनने को तैयार नहीं थे। गवर्नरी की बजाए महासचिव पद मांग लिया। पर दस जनपथ से मांगने पर कुछ नहीं मिलता। जो मिले, वही लेना पड़ता है। सो प्रतिभा पाटील के यहां से फरमान हुआ है- 'वह कर्नाटक के गवर्नर होंगे।' अब येदुरप्पा  होशियार हो जाएं। भारद्वाज जो ठान लें। वह करने के माहिर। सबको ठेंगे पर रखकर उनने क्वात्रोची के खाते खुलवाए। फिर रेड कॉर्नर वारंट रद्द करवाया। सो येदुरप्पा अपनी सलाह गंभीरता से लें। केंद्र ने तैनाती से पहले येदुरप्पा की सलाह तो ली नहीं होगी। यों सरकारिया आयोग की सिफारिश थी- 'गवर्नर की तैनाती से पहले राज्यों से सलाह की जाए।' आडवाणी जब होम मिनिस्टर थे। तो उनने सिफारिश का पालन किया। एक भी तैनाती बिना सलाह के नहीं की। मध्यप्रदेश के गवर्नर भाई महावीर की भी नहीं। जिनकी बाद में दिग्विजय से चखचख चलती रही। पर बात दूसरे गवर्नरों की। अपन को लगता था बलराम जाखड़ राजभवन से जाएंगे। रघुनंदन भाटिया बने रहेंगे। अपन ने नौ जून को लिखा- 'जाखड़ का तो तय नहीं। पर भाटिया के बने रहने की उम्मीद।' पर दोनों की छुट्टी हो गई। अब मध्यप्रदेश में जाखड़ की जगह कर्नाटक से रामेश्वर ठाकुर आएंगे। दस जनपथ के करीबी ठाकुर की दुबारा तैनाती हो गई। दुबारा तैनाती तो टीवी राजेश्वर की भी होगी। आठ जुलाई को खत्म हो रहा है कार्यकाल। पर बिहार में भाटिया की जगह असम के कांग्रेसी नेता देवानंद कुंवर जाएंगे। पर तैनातियों की बात चली। तो बता दें- अपन ने नौ जून को ही लिखा था- 'पीएम के मीडिया एडवाइजर होंगे हरीश खरे।' सो वही हुआ। उन्नीस जून को तैनाती हो गई। कल चौबीस को चार्ज भी ले लिया।

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