सिर्फ जावडेकर की तरक्की, बाकी मुंह ताकते रहे

Publsihed: 05.Jul.2016, 15:55

मोदी ने खोले 19 के भाग्य, छह की छुट्टी। नरेंद्र मोदी ने अपने एक ओर विदेश दौरे से पहले आखिर केंद्रीय मंत्रिमंडल का उलटफेर कर डाला। यों तो खुद मोदी के करीबी पीयूष गोयल और जेटली के करीबी धर्मेन्द्र प्रधान तरक्की कि उम्मीन्द लगाए बैठे थे, पर तरक्की मिली सिर्फ प्रकाश जावडेकर को। वह कैबिनेट मंत्री हो गए। मोदी ने प्र्फ़ोर्मेंस पर इनाम दिया। विस्तार में जावडेकर समेत 20 का शपथ ग्रहण हुया, पर इधर शपथ ग्रहण हुया और उधर छह मंत्रियों की छुट्टी होने की खबर आ गयी। भले रिकार्ड के लिए इस्तीफा बताया जाता है, परआज के युग में इस्तीफा कोन देता है। इस उठापटक कके बाद अब मंत्रियों की संख्या 77 हो गयी है। शपथ ग्रहण मे अमित शाह भी मौजूद रहे । सुषमा स्वराज गायब थी , उनका विभाग बदले जाने की अटकलें लग रहीं थी, हालांकि एन वक्त पर सुषमा स्वराज ने टवीट कर के सफाई दी की वह हंगरी के मंत्री के साथ बातचीत मे मशरूफ़ थीं।
जिन की छुट्टी हुयी, उन में बलात्कार कांड में विवादास्पद रहे राजस्थान के निहाल चंद भी हैं। यों तो जब उन्हें मंत्री बनाया गया था तब भी लोगों को , अलबत्ता पार्टी वालों को ही आश्चर्य हुया था। अब जब मोदी ने इस बार यूपी में चुनाव के चलते दलित मंत्रियों की फौज खड़ी कर दी है, तो निहाल चंद से पिंड छुड़ा लिया। बाकी जिन पाँच को राम राम कहा गया , वे हैं रामशंकर कथेरिया, मोहन कुंडारिया , जीएम सिद्धेश्वरा , सांवर लाल जाट ( अस्वस्थता के कारण ) और मंसूख वासवा। यों चर्चा थी की कालराज मिश्रा और नजमा हेपतुल्ला का भी इस्तीफा होगा, पर अभी हुया नहीं, अपन को लगता है, उन्हे पहले राज्यपाल बनाया जाएगा, फिर वे इस्तीफा देंगे। ताकि ब्राह्मण और मुस्लिम बिना वजह आहत न हों। कलराज की जगह ब्राह्मण महेंद्र नाथ पांडे और हेपतुल्ला की जगह अकबर की भर्ती कर ली गयी है।
फगगन सिंह कुलसते को राज्यमंत्री बनाया गया। वह वाजपयी सरकार में मंत्री थे। एस एस आहलुवालिया को राज्यमंत्री बनाया गया। आहलुवलिया सब से पहले कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य बने थे। बाद में भाजपा के राज्य सभा सदस्य भी रहे। वह सुषमा स्वराज के करीबी हैं और इस बार जसवंत सिंह वाली पुरानी दार्ज्लिंग सीट से जीत कर पहली बार लोकसभा में पँहुचे हैं। उन्होने एक बार खुद को माता सुषमा का हनुमान कहा था। । कर्नाटक से पाँचवी बार जीते रमेश चंडप्पा को राज्य मंत्री बनाया गया है, वह पहले जनता दल यू मे थे। विजय गोयल की भी मंत्रिमंडल में वापसी हुयी है, वह वाजपेयी सरकार में अत्यंत प्रभावशाली प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्य मंत्री थे। अब वह राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए मे शामिल हुये महाराष्ट्र के मराठी भाषी दलित नेता रामदास अठवाले राज्य मंत्री बने हैं, उनकी हिन्दी में ली गयी शपथ को राष्ट्रपति ने कई बार टोक कर सही करवाया। । महाराष्ट्र की धुले सीट से जीते सुभाष राम राव भामरे को भी राज्यमंत्री बनाया गया।
मंत्रिमंडल विस्तार में गुजरात और उत्तरप्रदेश को मजबूत करने की कोशिश कि गयी है । गुजरात के पुरषोतम रूपला को राज्य मंत्री बनाया गया है, रूपाला उस समय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष थे , जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे। गुजरात के ही राज्यसभा सदस्य मंसूख मांड्या और जसवंत सिंह सुमन को भी राज्यमंत्री बनाया गया है । उत्तर प्रदेश से ब्राह्मण संसद महेंद्र नाथ पांडे , पहली बार जीत कर आई दलित समुदाय की कृष्ण राज को भी राज्यमंत्री बनाया गया है। उत्तरप्रदेश से अपना दल की ओबीसी सांसद अनुप्रिय पटेल को मंत्री बनाया गया है, वह पहली बार लोकसभा में आई हैं, कल ही भाजपा ने अपना दल से चुनावी समझौता किया है। उत्तरप्रदेश के साथ ही चुनाव वाले पडौसी राज्य उत्तराखंड की अल्मोड़ा सीट से पहली बार लोकसभा में आए अजय टमटा को राज्यमंत्री बनाया गया है। वह दलित समुदाय से आते हैं। ब्राह्मण ठाकुर बहुल उत्तराखंड से दलित को मंत्री बनाया जाना किसी के गले नहीं उतर रहा , जबकि लोकप्रिय कोशियारी और खनदुरी को छोड़ दिया गया।
संसद मे साइकिल पर आने वाले रिटायर्ड आईएएस राजस्थान के अर्जुन मेघवाल को राज्यमंत्री बनाया गया। पहले उन्हें हाउस कमेटी का चेयरमेन बनाया गया था। अब लोकसभा की हाऊस कमेटी का चेयरमैन नया बनाया जाएगा। राजस्थान के ही पाली से जीते पीपी चौधरी को भी मंत्री बनाया गया । नागौर के सांसद और पूर्व प्राध्यापक राजस्थान के ही सीआर चौधरी को भी राज्यमंत्री बनाया गया है।एक जात हटाया तो दो ले लिए । असम के राजन गोहोन को राज्य मंत्री की शपथ दिलाई गयी। मध्य प्रदेश से दूसरी बार राज्य सभा में आए अनिल माधव दवे को राज्य मंत्री बनाया गया है, वह एक मात्र राज्य सभा सदस्य हैं, जिन्हें भाजपा ने दूसरी बार टिकट दिया, जबकि बाकी सभी को यह कह कर टरका दिया था कि मंत्रियों को छोड़ किसी को दूसरी बार राज्यसभा नहीं मिलेगी। अब सब को समझ आ गया होगा कि उन्हें दुबारा राज्य सभा में क्यों लाया गया।

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