अखिलेश सरकार के जाते ही प्रदेश में घोटाले और हेराफेरी के मामले सामने आने लगे हैं। अखिलेश सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट रही समाजवादी एंबुलेंस 102 और 108 में सरकार को किस तरह से करोड़ों का चूना लग गया है इसकी बानगी मेरठ में देखने को मिली।
यहां विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों की मिली भगत से मेरठ स्वास्थ विभाग में खड़ी एंबुलेंस 160 की स्पीड़ पर दौड़ रही है। शायद ये सुनकर आपको यकीन न आए, लेकिन ये सच है जिसे देख और सुनकर अधिकारी भी हैरान हैं। महज कागजों में दौड़ रहीं एंबुलेंस में फर्जी आईडी का खेल चल रहा है। इस खेल को जब ईटीवी/न्यूज़18 ने पकड़ा तो सरकार की योजना को पलीता लगाने वाले अधिकारी बगले झांकने लगे। कैमरे पर आने की बात तो दूर उन्होंने फोन पर बात करने से भी मना कर दिया।
मामला सामने आने पर जब सीएमओ ने स्वास्थ विभाग की एंबुलेंस में चले आईडी के खेल की जांच कराई तो मामला सही पाया गया। जिसके बाद से स्वास्थ महमके में हडकंप मचा हुआ है।
समाजवादी पार्टी की सरकार में गरीब आदमी को समय पर स्वास्थ सेवा उपलब्ध कराने के लिए 108 और 102 समाजवादी एंबुलेंस चलाई गई थी, ताकि आम आदमी को समय पर चिकित्सा सेवा मिल सके और कोई भी व्यक्ति इलाज के अभाव में दम न तोड़े। लेकिन स्वास्थ विभाग में खड़ी 102 और 108 एंबुलेंस खड़े-खड़े ही 160 की स्पीड़ पर दौड़ रही है। एंबुलेंस ड्राइवर और अधिकारियों की साठगांठ से इन गाड़ियों में ऐसी डिवाइस का इस्तेमाल किया गया है जिसे देखकर हम खुद हैरान रह गये क्योंकि खड़ी गाड़ी 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफतार से दौड़ रही थी।
खड़ी गाड़ियों के दौड़ने के इस पूरे खेल में स्वास्थ विभाग की 108 और 102 एंबुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर याकूब अली और इमजेंसी मेडिकल एग्जीक्यूटिव राहुल त्यागी की मिली भगत सामने आई। इन दोनों अधिकारियों ने व्हाट्सएप पर सभी ड्राइवर का ग्रुप बना रखा है। ये दोनों अधिकारी एंबुलेंस ड्राइवर और अन्य स्टाफ कैसे काम करना है और उन्हें क्या आदेश देना है ये सब पूरे दिशानिर्देश व्हाट्सएप पर ही देते थे। जो ड्राइवर जितनी आईडी देता उतना ही उसे सराहा जाता और जिसकी आईडी कम रहती उसे उतनी फटकार झेलनी पड़ती। आईडी का मतलब फर्जी फोन कॉल के जरिए खड़ी एंबुलेंस को दौड़ाना हैं।
जब ये पूरा मामला ईटीवी/न्यूज़18 द्वारा सीएमओ वीपी सिंह के संज्ञान में लाया गया तो खड़ी गाड़ियों का चलता मीटर, व्हट्सएप चैट देख वह भी हैरान रह गए। उन्होंने बताया कि इस माह ही 108 और 102 एंबुलेंस में लगी आईडी की जांच कराई थी। दोनो एंबुलेंस में 246 आईडी दिखाई गई। जब इन आईडी की जांच कराई गई तो महज 33 आईडी ही सही पायी गईं, बाकि फर्जी निकली। ऐसे में अंदाजा लगाना सहज है कि किस तरह से स्वास्थ महकमें के अधिकारी ही विभाग को हर माह लाखों रुपए की चपत लगा रहे हैं।
अगर एंबुलेंस का कोई ड्राइवर 108 और 102 समाजवादी एंबुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर याकूब अली और इमरजेंसी मेडिकल एग्जीक्यूटिव राहुल त्यागी की बात नहीं मानता तो उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है। चार दिन पहले ही इन दोनो अधिकारियों ने 108 एंबुलेंस के ईएमटी को हटा दिया। बताया जा रहा है कि ईएमटी अतर सिंह ने इन दोनो अधिकारियों की शिकायत इनके ही शिकायत प्रकोष्ठ ‘‘वीकेयर‘‘ पर की थी। जिसके बाद उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
कुल मिलाकर का जा सकता है इस योजना से जुड़े मात्र दो लोगों के कारण सरकार को न सिर्फ लाखो-करोड़ो का चूना लग रहा है बल्कि सरकारी योजनाएं आम जन तक नहीं पहुच पा रही हैं।
सूबे में 5 साल रही अखिलेश सरकार ने अपने कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही आम आदमी को समाजवादी एंबुलेंस 108 और 102 का तोहफा दिया था। लेकिन इस तोहफे के जरिये अधिकारियों ने किस तरह करोड़ों की हेरा-फेरी की इसकी 5 साल तक किसी को भनक तक भी नहीं लगी। लेकिन अब इस मामला के खुलने के बाद स्वास्थ महकमें में हड़कप मचा हुआ है, क्योंकि यह केवल अभी मेरठ में ही सामने आया है अगर ऐसी स्थिति सूबे के अन्य जिलों में भी रही होगी तो ये घोटाला करोड़ों की जगह अरबों में पहुंच सकता है।
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