उत्तराखंड ने घमंडी हरीश रावत को उखाड़ फैंका

Publsihed: 11.Mar.2017, 12:37

देहरादून: उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रचंड बहुमत के साथ चुनाव जीत रही है. मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा दोनों ही सीटों से चुनाव हार गए हैं . हरिद्वार से 12000 से ज्यादा वोटों से और किच्छा सीट से वह 92 वोट से हार गए . हरीश रावत ने कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को कांग्रेस से निकल जाने के लिए मजबूर कर दिया था . हरीश रावत के घमद को प्रदेश की जनता ने चकनाचूर कर दिया |

70 सीटों के आए रुझान में बीजेपी को 51 और कांग्रेस 15 सीटों पर सिमटती दिख रही है. खुद भाजपा को इतनी बड़े बहुमत की उम्मेंद नहीं थी | आइए घमंड के अलावा और कौन सी वह चार बड़ी वजह रही जिसके चलते बीजेपी ने जमीनी नेता हरीश रावत की सरकार को उखाड़ फेंका.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जलवा

उत्तर प्रदेश की तरह उत्तराखंड में भी बीजेपी की जीत के सबसे बड़ा कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. पीएम मोदी में आज भी लोगों का विश्वास कायम है. पार्टी ने पीएम मोदी के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ा जिसका उन्हें जबरदस्त फायदा मिला. लोगों ने विकास के प्रतीक और गरीबों के मसीहा के रूप में उभरे प्रधानमंत्री के चहरे को देखकर वोट किया. पीएम मोदी की छवि के सामने हरीश रावत कहीं नहीं ठहर सके.

बीजेपी ने उतारी प्रचारकों की फौज

उत्तराखंड  चुनाव में बीजेपी की जीत की बड़ी वजह प्रचार में उतरे नेताओं की बड़ी फौज भी है. कांग्रेस की तरफ से जहां केवल हरीश रावत बड़े प्रचारक थे, वहीं बीजेपी की ओर से पीएम मोदी के साथ अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी सहित करीब 12 केंद्रीय मंत्रियों ने यहां चुनावी संभाएं कीं. इतना ही नहीं, बीजेपी की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, बीसी खंडूडी, रमेश पोखरियाल निशंक के अलावा अब एनडी तिवारी भी बीजेपी के लिए वोट मांगे.

इन तीन मुद्दों पर बीजेपी ने हरीश रावत को किया चित

उत्तराखंड चुनाव में बीजेपी मुख्य रूप से तीन मुद्दे पलायन, आपदा पीड़ितों का पुनर्वास और भ्रष्टाचार को जोर-शोर से उठाए. पीएम मोदी और अमित शाह सहित सभी भाजपा नेताओं ने हरीश रावत सरकार को इसी मुद्दे पर घेरती रही. इस हमले का हरीश रावत सरकार के पास कोई जवाब नहीं मिला.

मुस्लिम बहुल इन दो जगहों पर भी फेल हुई कांग्रेस

उत्तराखंड की 70 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के लिहाज से हरिद्वार और उधमसिंह नगर की 20 सीटें बेहद अहम  हैं. हरीश रावत ने इन्हीं दिओ जिलों पर जोर देने के लिए हरिद्वार और किच्छा से चुनाव लड़ा था . राज्य बंटवारे के बाद से यहां की ज्यादातर सीटें कांग्रेस के खाते में जाती रही है. इस बार कांग्रेसी नेताओं के बीजेपी में आने के चलते इस इलाके में भी हरीश रावत को भारी नुकसान हुआ है.

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