देहरादून। नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड प्रशासन के मुह पर तमाचा मारते हुए बड़ा फैसला सुनाया है. शासन के आदेश होने के बावजूद जिलो का प्रशासन फैवीक्विक तथा व्हाइटनर की बिक्री को रेगुलेट नहीं कर रहा था. चार साल पहले रज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष अजय सेतिया की सिफारिश पर शासन ने जिलाधिशो को निर्देश जारी किया था कि वे अपने जिलो में फैवीक्विक तथा व्हाइटनर की बिक्री को रेगुलेट करे ताकि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे के हाथ में न जा सके.
इस के बावजूद बीते दिनों उत्तराखंड में एक बच्चे की व्हाइटनर सूंघने से मौत हो गई. जिसके बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में आयोडेक्स, फैवीक्विक तथा व्हाइटनर की बिक्री प्रतिबंधित कर दी है. इसके साथ ही कोई भी नशीला पदार्थ 18 साल से कम उम्र से बच्चों को न बेचने के आदेश दिए.
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकल पीठ के समक्ष बागेश्वर निवासी देवेंद्र सिंह की जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। देवेंद्र के पास से एक किलो नौ सौ ग्राम चरस बरामद की गई थी। कोर्ट ने देवेंद्र की जमानत अर्जी खारिज करते हुए भवाली में दो रोज पहले एक किशोर की नशा सूंघने की वजह से हुई मौत का स्वत: संज्ञान भी ले लिया।
कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि उनके संस्थान में कोई नशे का प्रयोग न कर सके। कोर्ट ने टिप्पणी की कि कई दुकानों में नशीले पदार्थ आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं, जो बच्चों को नशे का आदी बना रहे हैं.
नशाखोरी की वजह से बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों भी कोर्ट ने राज्य में चरस के उत्पादन व विपणन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाते हुए राज्य के जिलाधिकारियों व पुलिस अधिकारियों को कड़े दिशा-निर्देश जारी किए थे.
कोर्ट ने मुख्य सचिव समेत जिलों के पुलिस कप्तान को इस आदेश का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा हुक्का बार में 18 साल से कम आयु के किशोर व बच्चों के आने को रोकने को कहा है। बता दें कि बिहार को नशा मुक्त बनाने के लिए वहां के सीएम ने शराब पर बंदी लगा दी है.
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