आतंकियों के समर्थकों के समर्थक कांग्रेसी 

Publsihed: 17.Feb.2017, 21:22

सेना प्रमुख के एक बयान ने खलबली मचा दी है | उनने कहा  कि आतंकियों की मदद करने वाले आतंकी ही माने जाएंगे | उन्हें आतंकियों का समर्थक माना जाएगा | या आतंकियों के जमीनी कार्यकर्ता माना जाएगा | आपरेशन के दौरान आर्मी पर पत्थराव करने वाले बख्शे नहीं जाएंगे | आज वे बच सकते हैं | पर कल पकडे जाएंगे | जनरल बिपिन रावत का बयान राजनीतिबाजों को बुरी तरह चुभा हुआ है | कभी कांग्रेस के गुलामनबी आज़ाद का बयान |  कभी दिग्विजय सिंह का बयान | तो कभी जनता दल के के.सी.त्यागी का बयान | वामपंथियों के बयान तो आने ही थे | उन के जमूरे ने तो  जेएनयूं  में नारे लगवाए थे - "भारत तेरे  टुकडे होंगें, इंशा अल्लाह, इंशा अल्लाह" | यह वामपंथियों की सोच न होती ,तो जेएनयूं  में भारत विरोधी नारे भी न लगते | अपन वामपंथियों को तो देश का हितैषी मानते ही नहीं | तो उन से आर्मी चीफ के बयान का समर्थन करने की उम्मींद ही क्या करना, क्यों करना | उन का तो शुरू से ही आर्मी पर वही स्टैंड रहा, जो पाकिस्तान का है |  वे आर्मी पर कश्मीरियों के शोषण के वही आरोप दोहराते रहे, जो पाकिस्तान लगाता रहा | जेएनयूं  में आर्मी पर बलात्कार के आरोप लगाए गए | अपन सुरजेवाला, गुलामनबी के बयान को छोड़ भी दें ,जो राजनीति से भरे हुए हैं |  दिग्विजय सिंह के बयान को ही लें | उन ने कहा  -"जब आर्मी कश्मीरियों से सद्भावना का वातावरण बना रही थी, तब यह भड़काने वाला बयान क्यों ? आर्मी और सद्भावना ??? सद्भावना राजनीतिज्ञों का काम है | आर्मी का नहीं | कश्मीर में आर्मी का काम आतंकवाद  को कुचलना है | जो लोग आर्मी के काम में अड़चन बनें , उन से सद्भावना किस बात की | आर्मी चीफ का यह बयान पीएम के उस स्टेंड से जोड़ कर देखा जाए, जिस में आर्मी को खुली छूट दी गयी है | आतंकवाद के बाद यह पहली बार हुआ है | जब ऊपर से कह दिया गया, उधर से आर्मी पर एक गोली चले, तो आप दस चलाईए | दिल्ली से आदेश माँगने की जरूरत नहीं | अब सीधा सा सवाल है ? आर्मी पर हमला अन्दर से ही होने लगे, तो आर्मी क्या चुप रहे ? शायद गुलाम नबी , सुरजेवाला , दिग्विजय यही चाहते हैं ! शायद वे चाहते हैं, कश्मीर के अन्दर से आर्मी पर गोली चले, तो आर्मी जवाब न दे | कांग्रेस सरकारों की इसी नीति ने तो पाकिस्तान की यह रणनीति बनवाई | जिसमें कश्मीरी युवकों को खरीद कर आर्मी पर हमले करवाए जा रहे | आर्मी चीफ का यह स्टेंड और बयान तो कई साल पहले आना चाहिए था | पर तब की सरकार की ऐसी नीति ही नहीं थी | अब सरकार का स्टैंड साफ़ है, तो आर्मी चीफ का स्टैंड भी साफ़ है | बर्दाश्त की भी एक सीमा होती है | इन बयान बहादुर कांग्रेसियों को उन विधवाओं से पूछना चाहिए | जिनके पति कश्मीर में आतंकियों के हाथों मारे गए | क्या आर्मी के जवान कश्मीरी आतंकियों के हाथों मारे जाते रहें | आर्मी चीफ को हरी झंडी मिल गयी होगी | तभी उन ने साफ़ स्टेंड लिया | अब आपरेशन के समय बाधा बनने वाले बख्शे नहीं जाएंगे | आतंकवाद से तो अब पाकिस्तान के होश उड़ चुके | इन कांग्रेसियों को होश कब आएगी ?  कराची की  सूफी दरगाह पर आतंकी हमले में 80 मरे थे | पाकिस्तान ने देशभर में जवाबी कार्रवाई में 100 आतंकी मार गिराए | अगर यही कार्रवाई भारत में हुई होती | तो चिदंबरम , गुलामनबी , सुरजेवाला, दिग्विजय लट्ठ ले कर मोदी के पीछे पड गए होते | क्या ये तुजर्बेकार राजनीतिबाज यह भी नहीं समझते कि आतंकवादियों को कश्मीर में लोकल सपोर्ट है | जिसे ख़त्म किए बिना आतंकवाद ख़त्म नहीं होगा | पर अगर आतंकियों के समर्थकों को कांग्रेस का समर्थन मिलेगा, तो क्या कहा जाएगा | 

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