यूपी का गठबंंधन बढा रहा कांग्रेस की बेचैनी

Publsihed: 24.Jan.2017, 20:24

उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस गठबंधन दोनों के फायदे में । अपन को यूपी का एक सपा नेता बता रहा था । भले ही कांग्रेस का यूपी में कोई ढांचा नहीं बचा । पर हर विधानसभा हल्के में कांग्रेस के पांच से दस हजार वोट पक्के । जो तिकोने मुकाबले में हरेक के लिए महत्वपूर्ण । वे पांच दस हजार वोट सपा को पंद्रह बीस सीटें ज्यादा दिला देंगे । कांग्रेस की सीटें भी दस-बारह बढ सकती । सो अखिलेश और राहुल ने सोच समझ कर फैसला किया । वैसे भूमिका ज्यादा प्रियंका और डिंपल की । काफी सोच समझ कर अखिलेश ने दांव खेला । पर यूपी के गठबंधन से उत्तराखंड में कांग्रेस की नींद हराम हो गई । एक तो धस्माना जैसे पुराने सपा नेताओं को कांग्रेसी टिकट मिल गया। ऊपर से कांग्रेस ने सपा से गठबंधन कर लिया । राजेश रावत की मौत तब के सपा नेता सूर्यकान्त धस्माना के घर से हुई फ़ायरिंग में हुई थी। जो अब देहरादून की कैंट विधान सभा सीट से कांग्रेस उम्मींदवार । सपा-कांग्रेस गठबंधन से उत्तराखंडियों के जख्म हरे हो गए । भाजपा भले ही यह मुद्दा न उठाए । उत्तराखंड क्रांति दल जैसे दल यह काम कर लेंगे । सोशल मीडिया में काग्रेस पर हमला शुरू हो चुका । क्षेत्रीय भावनाएं भडकी हुई हैं । मसूरी ,खटीमा ,देहरादून ,रामपुर तिराहा ,कोटद्वार गोलीकांड याद करवाए जा रहे । सोशल मीडिया पर पूछा जा रहा -" उत्तराखंड राज्य आंदोलन को क्या उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी भूल गए ? क्या मिला चपरासी की नौकरी ? सपा और कांग्रेस के गठबंधन को देख उत्तराखंड की बहनों- माताओं की आत्माएं धिक्कार ही रही होगी ।" लोगों के जख्म हरे किए जा रहे । दिल्ली रैली में जा रही पहाडी औरतों का कैसे  रामपुर तिराहा पर बलात्कार हुआ था।  मुज़फ़्फ़रनगर में पुलिस-प्रशासन ने जैसा दमन किया था ।  आन्दोलनकारियों को रात के अन्धेरे में घेरकर गोलियाँ बरसाई गईं । जिस में सात पहाडी मारे गए थे । पहाड़ की सीधी-सादी महिलाओं के साथ दुष्कर्म तक किया गया। चुनावों से पहले दिए अनुदान की बात भी अब जनता समझ रही । इसी 3 जून 2016 को 3100 रूपए की पेंशन की घोषणा की ।  यानि 100 रुपये रोज ?  अस्मत लूटाने वाले हरीश रावत को कह रहे । क्या यह सपा से गठबंधन पर मुंह बंद रखने की रिश्वत है । मजदूर की दिहाड़ी भी 400 रुपये रोज है जनाब । क्या मजदूर से भी गए गुजरे हैं आंदोलनकारी ? उत्तराखंडी ब्यूरोक्रेसी  से सर्वाधिक परेशान । जब से उत्तराखंड बना । तब से सब से ज्यादा मौज ब्यूरोक्रेट्स ने की । नेताओं से मिल कर रिटायरमैंट के बाद का जुगाड भी जमकर किया । हरीश रावत ने तो अपने चहेते अफसरो को जमकर लुटाया । ताकि नेता- अफसर के कुकर्म पर भी पर्दा पड़ा रहे है । दोनो मिल कर  मलाई भी खाते रहे । पर मूल सवाल दूसरा । सपा-कांग्रेस का गठबंधन उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी को किस ऒर ले जायेगा ? और यहाँ जख्म खाई  जनता गठबंधन को बर्दाशत करेगी ?  क्या मसूरी ,खटीमा गोलीकांड परिवार के लोग इसको बर्दाश्त कर पाएंगे ? सोशल मीडिया की ताजा टिप्पणियां देखिए -" हमें सोचना होगा । हम समाजवादी पार्टी का उत्तराखंड में विरोध करते आये है । कांग्रेस आज उसी सपा की गोद में जा बैठी हमें चिढा रही है ।  मैं कांग्रेसी हूं । मेरी आत्मा मुझे झकझोर रही है । इन राजनेताओं के चाल चलन और सोच पर शक हो रहा है । क्या आप सब बुद्धिजीवी उत्तराखंडियों का खून ठंडा हो गया है।  तो आपको याद दिला दूं उत्तराखंड  शहीदों की चिता पर बना है ।" सोशल मीडिया पर पुरानी सारी घटनाएँ याद करवाई जा रही । जो कांग्रेस की बेचैनी बढा रही ।

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