जब मरीना बीच जेएनयू सा बन गया

Publsihed: 24.Jan.2017, 04:02

अपन को पहले से आशंका थी कि जलिकट्टू भारत विरोधी हो जाएगा । तमिलनाडू में अलगाव की आग हिंदी के मुद्दे पर भी फैली थी । सो जब नौजवान चैन्नई, मदुरै, तिरूचि में सडकों पर आए । अपन को आशंका हो गई थी । यह आशंका पन्नीरसेल्वम को भी रही होगी । तभी तो वह भाग कर दिल्ली आए । जरूर पन्नीरसेल्वम ने मोदी को बताया होगा । तभी मोदी फौरन हल निकालने को तैयार हुए । वरना तो सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आग भडकने देते । सुप्रीमकोर्ट की कई बातें तो बेहद अजीब । माना, समाज को बुराईयां छोडनी चाहिए । माना सांड पर बेरहमी होती है । सांड तो बेचारा डर कर भाग रहा होता है । उस बेचारे को क्या पता सल्लीकुट्टी है क्या । इस का जिक्र अपन ने पहले भी किया था । सल्ली माने सिक्का और कुट्टी माने ईनाम । सल्लीकुट्टी ही बाद में जलिकुट्टू हो गया । सांड को काबू में ला कर सिंग पर बंधा सिक्का उतारने का खेल था । जैसे सीता का स्वयम्बर धणुष तोडने वाले राम के साथ हुआ । उसी तमिल सुंदरियों में सल्लीकुट्टी जीतने वाले का क्रेज हुआ करता था । जो सांड सल्लीकुट्टी खेल का हिस्सा बनते । उन की परवरिश अलग तरह से होती थी । सल्लीकुट्टी वाले सांड ऐसे छुट्टे नहीं घूमते फिरते थे । उन की ट्रेनिंग होती थी । उन्हें भागने की ट्रेनिंग दी जाती थी । रिहर्सल होती थी । अलग तरह की खुराक दी जाती थी । जैसी मुसलमान बलि के बकरे की परवरिश करते है । पर वक्त के साथ खेल में बुराईयां आती गई । सुप्रीमकोर्ट में ऐसे सबूत पेश हुए  ।  कि क्या बताएं । बहुत अत्याचार सहे हैं बेचारे सांड ने । सुप्रीमकोर्ट में एक ऐसा वीडियो पेश हुआ । जिस में दिखाया गया था, जलिकट्टू  से पहले सांड की गुद्दा में मिर्ची डाली गई । ताकि जब उसे मिर्ची लगे तो वह भागे । ऐसे भागते हुए सांड को कोई काबू करेगा । तो सच में सिक्के का हकदार होगा । पर खेल में आई बुराईयां दूर करना एक बात । बुराईयां दूर हो रहीं थी । २००८ में जब हाईकोर्ट ने जलिकट्टू बैन किया । तो सुप्रीमकोर्ट ने शर्तों के साथ इजाजत दी थी । शर्तें सुधारात्मक थीम । कोर्ट सही दिशा में चल रही थी । वह तो जब नंगी औरतों वाली संस्था "पेटा" बीच में कूदी । तो बात बैन करने की तरफ बढी । सांडों पर अत्याचार न हो । यह शर्त काफी होती । पर कोर्ट ने सारा खेल ही बिगाड दिया । कोर्ट तो देश की एकता का खेल ही बिगाडने में लगी थी । यह तो देश की राजनीतिक सूझ-बूझ थी । जो हाथों हाथ आर्डिनेंस का फार्मूला तैयार हुआ । और आर्डिनेंस के बाद हाथों-हाथ बिल भी पेश हुआ । वरना आप ने देखा, कैसे देश विरोधी नारे शुरू हो गए थे । मरीना बीच सोमवार को जेएनयू बन गया था । जंहा नारे लग रहे थे : भारत तेरे टूकडे होंगे ईँशा ईँशा अल्लाह । और वही डीएमके अलगाववाद को हवा दे रही थी । जिसने साठ के दशक में अलगाववाद की आग लगा रखी थी । सोमवार को जब जेएनयू जैसे वामपंथियों पर मरीना बीच में लाठीचार्ज हुआ । तो डीएमके ने विधानसभा में हंगामा किया । वाकआऊट किया । देखिए कांग्रेस ने किस डीएमके को गोदी में बिठाया हुआ है । अपन ने उस दिन बताया था यह फच्चर कांग्रेस ही फंसा कर गई थी । तब डीएमके भी केंद्र की यूपीए सरकार में थी । कांग्रेस और डीएमके मिलाजुला था यह अलगाववाद भडकाने का खेल ।

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