डिम्पल-प्रियंका के बाद अखिलेश-राहुल के पोस्टर 

Publsihed: 15.Jan.2017, 05:27

सोमवार से चुनावी रंगत चढनी शुरु होगी. बाप-बेटे की लडाई का फैसला सोमवार को होगा. अपन ने कोई 40 साल पहले एक नेता का भाषण सुना था. वोटिंग से पहले वाली रात थी. बंद कमरे में वर्करो की मीटिंग थी. नेता कह रहा था, आज की रात कत्ल की रात है. मतलब यह कि जो करना है,आज की रात कर लो. इसी तरह अखिलेश-मुलायम के लिए आज की रात कतल की रात. घर की बात घर में रह जाए. तो घर की साईकिल भी घर में रह जाएगी. वरना जैसे पुलिस थाने में जब्त वाहनो की हालत होती है. वैसी हालत चुनाव आयोग में जब्त साईकिल की होगी. वापस मिली भी तो आधे पुर्जे नहीं होंगे.  बहुत साल पहले अपन एक पुलिस वाले घर में किराएदार थे. उन की कार का पुर्जा खराब होता. तो मुफ्त में बदल जाता. वह मिस्त्री को थाने बुला कर वहाँ खडी कारो में से वह पुर्जा निकलवा लेते. इसी लिए जब झगडा निपटा तो कांग्रेस ने दो बैलो की जोडी वापस नहीं ली. फिर जब दूसरा झगडा निपटा तो गाय-बछडा वापस नहीं लिया. कांग्रेस ने भले वक्त में गाय-बछडे से पीछा छुडा लिया. वरना दादरी वाले केस में बिना वजह धरी जाती.  वीएन गाडगिल कांग्रेस के आखिरी हिंदू नेता थे. जिन ने कांग्रेस में हिंदुओ की लडाई लडी. उस के बाद तो सब हिंदु विरोधी हो गए.  लोकसभा चुनाव हारने के बाद एंटनी कमेटी की रिपोर्ट में यही बात कही गई थी. कहा गया था:- "ज्यादा मुस्लिमप्रस्ती से हिंदु नाराज हो चुके. पार्टी को रणनीति बदलनी होगी." पर जब आखिरी दिनो में गाडगिल की कद्र नहीं हुई. तो कोई हिंदुवादी कांग्रेस में बचा ही नहीं. अब राहुल गांधी ने जरुर थोडी कोशिश की है.  असम विधानसभा चुनाव का किस्सा याद होगा.  2015 की बात.  उन ने आरएसएस  पर आरोप लगाया था. बोले-" आरएसएस के वर्करो ने मुझे बारपेटा के मंदिर में नहीं जाने दिया." वैसे मंदिर के पुजारी ने आरोप बेबुनियाद बता दिया था. खैर राहुल की हिंदुओ को रिझाने कोशिश इस बार भी होगी. सुप्रीम कोर्ट का सेक्यूलर डंडा न चलता. तो जरा ज्यादा खुल के खेलते.  वह असुदुद्दीन औवेसी तो हो नहीं सकते. जिन ने शनिवार को कैराना में खुल कर मुस्लिम वोटबैंक की बात की. राहुल जरा छुप-छुप के खेलेंगे . जैसे कांग्रेस के वेदना सम्मेलन में शिव और गुरु नानक याद आए. उत्तराखंड और पंजाब पर ही दाव है कांग्रेस का.  बाबा शिव की नगरी केदार नाथ को आपदा के वक्त  कांग्रेस और अफसरो ने जो लूटा है.  पांच लीटर वाले स्कूटर की टैकियो में 35-35 लीटर पेट्रोल डलवाया.  बाबा भी माफ नहीं करेंगे. वोटरो ने तो क्या करना.  पर राहुल गांधी की कोशिश बरकरार.  सोमवार को उत्तराखंड में चुनावी डंका  बजाएंगे. चुनावी डंका बजाने की जगह उन ने चारधाम का प्रवेश द्वार ऋषिकेश चुना है.  तो अपन समझ सकते हैं . पंजाब में गुरु की नगरी अमृतसर से प्रचार  शुरु करेंगे.  ताकि उत्तराखंड में बाबा  शिव का. तो पंजाब में बाबा नानक का आशिर्वाद मिले.  अमृतसर वैसे भी अमरेंद्र और  सिद्धु का चुनावी हल्का. अमरेंद्र ने सिद्धु के लिए लोकसभा सीट छोडी.  पर सिद्धु अमृतसर से विधानसभा लडेंगे. अमरेंद्र सिंह पटियाला के साथ अब लम्बी से भी लडने के मूड में. पटियाला में जनरल जेजे सिंह ने पहले ही दिन छक्के छुडा दिए.  लम्बी में बादल से हारे भी.  तो भी शहीद तो कहलाएंगे. अरुण जेतली भी तो अमृतसर में शहीद हो कर वित्तमंत्री बन गए.  भले ही चंगे भले सिद्धु भाजपा से चले गए.  मान लो अमरेंद्र पटियाला और लम्बी दोनो जगह से हारे.  और कांगेस सत्ता में आ गई. तो सिद्धु की मुराद पूरी होगी.  पर अपन ने बात शुरु की थी बाप-बेटे में चल रही साईकिल की जंग की. आज कत्ल की रात में हल न निकला. तो अखिलेश मोटर साईकिल मांगेगे.  मुलायम हल जोतता किसान या हलधर किसान. बेटे को शहर जाने के लिए साईकिल से ज्यादा स्पीड पकडनी है.  बाप को वापस पहुचना है  किसान के पास.  सो सोमवार महत्वपूर्ण. बीजेपी उत्तराखंड के उम्मींदवार सोम को तय कर देगी. राहुल सोम को ऋषिकेश से चुनावी डंका बजाएंगे. अखिलेश को साईकिल या मोटर साईकिल जो भी मिले. उन की राहुल से मुलाकात होगी. जैसे 10 जनवरी को दिल्ली में डिम्पल और प्रियंका मिले थे.  शनिवार को डिम्पल और प्रियंका के पोस्टर तो लग गए. अब राहुल और अखिलेश के लगने बाकी. 

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