मायावती का मायाजाल 1316 करोड का 

Publsihed: 10.Jan.2017, 10:20

यूपी का चुनाव है. सब की इज्जत का सवाल है. सो जम कर गढे मुर्दे उखडेंगे.  अपन समझते थे भाजपा एक खिडकी खुली रखेगी. वह खिडकी सिर्फ एक हो सकती थी. खिडकी थी मायावती. ताकि कही त्रिशंकु विधानसभा आए. तो मायावती के समर्थन से बीजेपी बन जाए. या बीजेपी के समर्थन से मायावती बन जाए. पर मायावती समझती हैं वही सपा की असली विकल्प है. यो तो लोकसभा चुनाव में बसपा का सूपडा साफ हुआ था. पर लोकसभा चुनाव कोई माणक नहीं हो सकता. लोकसभा चुनाव में तो दिल्ली भी एकतरफा मोदी के साथ थी. बिहार भी मोदीमय थी. सो विधानसभा चुनावो की बिसात पूरी तरह अलग. यह बीजेपी को अच्छी तरह पता है. ऐसा मानने वालो की कमी नहीं. जो अभी भी यूपी का मुकाबला सपा,बसपा में मान रही. राजनीति के गलियारो में ऐसा मानने वालो की भी कमी नहीं. जो मानते है . असली मुकाबला बीजेपी,बसपा में. कुछ सपा,बसपा में मुकाबला मान रहे. पर अपना मानना सबसे अलग.  खेल जब शुरु नहीं हुआ था.  तब मुकाबला बीजेपी और बसपा में ही था. पर जब से मुलायम के कुनबे में यादवी संघर्ष शुरु हुआ.  तब से अखिलेश पिक्चर में आ गए . अब मुकाबला तिकोणा हो गया. इस तिकोणे मुकाबले में फिलहाल मुसलिम वोटो को ले कर भारी कंफ्यूजन.  पर जैसे जैसे मुलायम परिवार की स्थिति साफ होगी. मुसलिम वोटो की स्थिति भी साफ होगी. मायावती ने मौके का फायदा उठाने की रणनीति तो गजब की बनाई. उन ने 97 मुसलमानो को टिकट दे दिया. दलितो से भी ज्यादा मुसलिम उम्मेंदवार. सपा,बसपा दोनो का खेल मुसलिम वोटो का. अपन ने मायावती के मुसलिम उम्मींदवारो का फंडा समझने की कोशिश की. कांग्रेस के एक मुसलिम नेता से पूछ . तो उन ने कहा - पिछली बार भी मायावती ने करीब 90 मुसलिम उम्मींदवार उतारे थे. पर मुसलमानो के वोट मिले मुलायम को.  पर यूपी के इस कांग्रेसी मुसलिम नेता ने माना. मायावती 20-25 पर्सेन्ट मुसलमानो के वोट ले जाएगी. अपन ने पूछा-" अगर यादव परिवार में एकता न हुई, तो मुसलिम किधर जाएगा." उन ने कहा-" यादव एकता न हुई. तो अखिलेश,राहुल,अजित,नीतिश की एकता होगी. जो बीजेपी को हराने की गारंटी होगी. तब 80 प्रसेंट मुसलिम इस महागठबंधन को जाएगा." पर अपन इस कांग्रेसी खुशफहमी से सहमत नहीं.  मुज्जफरनगर के बाद जाट और मुसलिम एक जगह नहीन होंगे. चरण सिंह के समय जाट-मुसलिम गठबंधन जरुर हुआ करता था.  मुज्जफरनगर ने हालात बदल दिए. पर  मुसलिम वोट महागठबधन का हो गया . तो मायावती अपने आप तीसरे नम्बर पर गई समझो. मायावती बिना मुसलमानो का वोट हासिल किए सत्ता नहीं पा सकती. मायावती को दलित,मुस्लिम,ब्राह्मण का कम्बिनेशन चाहिए. ऊंची जाति के ब्राहमण-ठाकुर इस बार बीजेपी के साथ दिखते है. बीजेपी की रणनीति मायावती को पिक्चर से बाहर करने की. ताकि तिकोणी फाईट न हो. मुसलिम एकतरफा अखिलेश गठबंधन के साथ हो जाए. तो हिंदुओ का रिएक्शन हो जाएगा.  मुसलिम एकतरफा होगा तो ध्रुविकरण होगा.  बीजेपी की रणनीति ऊंची जातियो के साथ ओबीसी के कम्बीनेशन की. यादवो के अलावा बाकी ओबीसी भी बीजेपी का वोट बैंक. लोकसभा चुनावो में तो दलित वोट भी बीजेपी को मिला. पर जब मायावती को सीएम बनाने की बात होगी. तो दलित ही मायावती का वोट बैंक. अब अपन महागठबंधन की खुशफहमी वाली बात पर आए. अपन ने ऊपर लिखा. जाट और मुस्लिम एक जगह नहीं होंगे. अजित सिंह महागठबधन का हिस्सा बने . तो घाटे में रहेंगे. उन का जाट वोट बीजेपी का हो जाएगा. वह विधानसभा में भी ठुनठुन गोपाल होंगे. जैसे लोकसभा में हुए. पर बात बीजेपी. बीजेपी की रणनीति मायावती को पिक्चर से बाहर करने की. नोटो की खिलाडी मायावती को नोटबंदी ने सब से ज्यादा प्रभावित किया. तभी तो सब से पहले वही नोटबंदी के खिलाफ बोली. ज्यादा बोल कर चोर की दाढी में तिनका वाली कहावत याद दिलाई. नोटबंदी के दौरान 500 करोड बैंक में जमा करवा कर खुद सुर्खियो में आई. अब बीजेपी किरिट सौमईया टीम ने रही सही कसर निकाल दी. इनकम टेक्स डिपार्टमेंट ने बहिन जी के भाई जी के खाते खंगाल दिए.  जब मायावती 2007 से 2012 तक सीएम रही. कहावत तो कखपति से लखपति की है.  तब आनंद कुमार कखपति से करोडपति बन गए. थोडे बहुत नही. वह 1316 करोड के मालिक हो गए. दर्जन भर कम्पनिया.  पर सब फर्जी.  करप्शन का पैसा कम्पनियो की आमदनी बनता रहा. अब इनकम टेक्स डिपार्टमेंट लगा है. गढे मुर्दे उखाडने. ताकि  चुनावो में वोटरो को 2007 से 2012 लूट याद आए और वह पिक्चर से बाहर हो.  पर क्या ऐसा होगा.  

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